CyroSleep है साइंस के विकास की नई पहचान, वो Technology जिससे इंसान समय और मौत पर विजय प्राप्त कर बनेगा "अजर अमर"

cryosleep
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रितिका कमठान । Feb 22 2023 2:37PM

नींद लेना सेहत के लिए काफी जरुरी है। अगर नींद कुछ घंटों के लिए ना लेकर वर्षों तक के लिए ली जाए तो ये आम व्यक्ति के लिए संभव नहीं है। इसके लिए जरुरत पड़ती है साइंस और टेक्नोलॉजी की। ऐसा ही एक पैटर्न है "कायरोस्लीप" जिसमें व्यक्ति तभी उठता है जब उसकी जरुरत हो।

धरती पर व्यक्ति की वर्षों से इच्छा है कि वो अमर हो जाए। इसके लिए साइंस की फिल्ड में भी सालों से साइंटिस्ट जुटे हुए हैं ताकि इंसान को सालों तक जीवित रखने की तकनीक को इजात किया जा सके। दरअसल इस तकनीक को ढूंढने से कई तरह के लाभ हो सकते है। अगर ऐसी तकनी विकसीत होती है तो खासतौर से स्पेस प्रोजेक्ट्स को लंबे समय तक सुचारू रूप से चलाया जा सकता है।

वैसे लंबे समय तक इंसान को जीवित रखने का तरीका मिलता है तो इसे अजर अमर रखना कहा जाएगा। इस दिशा में साइंस में Cryosleep यानी कायरोस्लीप का जिक्र करता है। कायरोस्लीप तकनीक का प्रदर्शन कई फिल्मों में भी किया गया है। साइंस फ्रिक्शन पर आधारिक फिल्मों में कई बार ये कॉन्सेप्ट दिखाया गया है जिसमें व्यक्ति गहरी नींद में चला जाता है। ये नींद इतनी गहरी होती है कि वो कई सालों के अंतराल के बाद उठता है जो कि दोबारा जीवित होने के बराबर है। ऐसा ही कॉन्सेप्ट फिल्म Interstellar में दिखाया गया है। इसके अलावा और भी कई फिल्में हैं जिसमें कायरोस्लीप तकनीक उपयोग हुई है।

वहीं जब फिल्मों में ये कॉन्सेप्ट उपयोग हुआ है तो वैज्ञानिक ये भी जांचने में जुटे हुए हैं कि क्या असल जीवन में भी ऐसा कुछ संभव है या नहीं। दरअसल कई लोगों की अलग अलग कारणों से ख्वाहिश है की वो हमेशा के लिए इस धरती पर रहे। उनकी इस इच्छा को पूरा करने में Cryosleep यानी कायरोस्लीप काफी लाभदायक सिद्ध हो सकती है। दुनियाभर में इस टेक्नोलॉजी पर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं।

जानें क्या है कायरोस्लीप
जानकारी के मुताबिक कायरोस्लीप की शुरुआत Cryonics से होती है। दरअसल Cryonics ऐसा कॉन्सेप्ट है जिसका जिक्र सबसे पहले मिशिगन प्रोफेसर Robert Ettinger ने अपनी किताब The Prospect of Immortality में किया था। ग्रीक भाषा से Cryonics शब्द को लिया गया है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में जब Cryosleep यानी कायरोस्लीप सच होगा तब इसका उपयोग स्पेस मीशन में भी हो सकेगा। इसका मूल उद्देश्य सिर्फ मनुष्यों को अमरत्व पहुंचाना नहीं है।

बता दें कि ये ऐसी प्रक्रिया होगी जिसमें व्यक्ति के शरीर को -196 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर ठंडा कर रखा जाता है ताकि व्यक्ति के शरीर को खराब होने से बचाया जा सके। ऐसा करने से व्यक्ति को भविष्य में दोबारा उठा पाना संभव होगा। अब तक वैसे तो किसी भी व्यक्ति को जीवित रहते हुए फ्रीज कर नहीं रखा गया है।

ऐसी होती है प्रक्रिया
जानकारी के मुताबिक जिस व्यक्ति को Cryosleep यानी कायरोस्लीप के लिए रखा जाएगा उसे अधिकतम -200 डिग्री सेल्सियस तक ठंडे तापमान में रखा जाएगा। इसके लिए एक कंटेनर में लिक्विड नाइट्रोजन भरी जाएगी जिसके बाद व्यक्ति को रखा जाएगा। हालांकि अब तक इस प्रक्रिया को किसी व्यक्ति पर फॉलो नहीं किया गया है। मगर इस दिशा में सफलता नजर आ रही है। अगर वैज्ञानिक इस तकनीक को हासिल कर लेते हैं तो किसी भी व्यक्ति के मोशन को रोका जाएगा। इसके बाद उन्हें कुछ इस तरह से प्रिजर्व किया जाएगा ताकि समय पड़ने पर उन्हें दोबारा जीवित किया जा सके या जगाया जा सके। उनके शरीर को कुछ इस तरह से प्रीजर्व किया जाएगा कि समय के साथ उनका शरीर भी स्वस्थ और जीवित रहे। बता दें कि कई फिल्मों में इस तरह के कॉन्सेप्ट पर काम हुआ है। इसमें Interstellar के अलावा कैप्टन अमेरिका, द बॉयज़ जैसी फिल्में भी हैं जिनमें इस तरह का ही सबजेक्ट दिखाया गया है। हालांकि अब तक असल जीवन में ऐसा कुछ वैज्ञानिक हासिल नहीं कर सके हैं मगर इस दिशा में कदम आगे बढ़ रहे है।

इस तकनीक को सच बनाने कि लिए स्पेस वर्क इंटरप्राइजेज और NASA भी काम कर रहे है। दोनों संस्थाओं की कोशिश है कि कायरोस्लीप को हकीकत बनाया जाए। इस तकनीक के जरिए मार्स व अन्य प्लेनेटों में मौजूद मिशनों को लंबे समय तक के लिए चलाना संभव हो सकेगा।

इस व्यक्ति के जरिए आया आइडिया
बता दें कि जहां वर्षों से वैज्ञानिक जीवन को प्रिजर्व करने की कोशिशों में जुटे हुए है वहीं एक ऐसा मामला भी देखने को मिला जिसने इस उम्मीद को बढ़ावा दिया। वर्ष 2016 में पेंसिल्वेनिया में 26 वर्षीय जस्टिन स्मिथ नामक युवक अपने घर से बाहर निकला और किसी कारणवश बर्फ में दब गया। घरवालों ने उसे ढूंढना शुरू किया और लगभग नौ घंटों के बाद वो बर्फ के नीचे दबा हुआ मिला, जिसमें सामने आया कि वो जिंदा था, मगर उसका शरीर जम चुका था। हालांकि बर्ष में दबे रहने से युवक का चेहरा नीला पड़ गया था। उसकी सांसे, नब्ज सब चलना बंद हो गया था। इलाज कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक उसके शरीर का तापमान इतना कम था कि उस इलाज देना भी संभव नहीं था।

हालांकि डॉक्टरों ने हार नहीं मानी और उसे इलाज देना जारी रखा। उसे ECMO (extracorporeal membrane oxygenation) की सुविधा दी गई, जिसके जरिए शरीर का खून गर्म किया जा सकता है। ये जस्टिम के शरीर के तापमान को दोबारा सामान्य करने के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हुआ। इलाज मिलने के भी 30 दिनों के बाद जस्टिन दोबारा होश में आ सका। 

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