अयोध्या में राममंदिर तो तेजी से बन रहा है पर NOC नहीं मिलने से मस्जिद का काम रुका हुआ है

ayodhya ram mandir
ANI

उच्चतम न्यायालय ने नौ नवंबर 2019 को अयोध्या मामले में अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि अयोध्या में एक प्रमुख स्थान पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन दी जानी चाहिए।

राम मंदिर निर्माण के लिए ‘भूमि पूजन’ के दो साल के भीतर मंदिर परियोजना का 40 फीसदी से अधिक काम पूरा हो गया है। अयोध्या में भगवान राम के विशाल मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी संभाल रहे श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा, “दुनियाभर के श्रद्धालु दिसंबर 2023 से भगवान राम की पूजा कर सकते हैं। मंदिर ही नहीं, मंदिर क्षेत्र के आसपास भी सड़क के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए निर्माण और जीर्णोद्धार की गतिविधि जोरों पर चल रही हैं।” मंदिर के निर्माण कार्य की प्रगति के बारे में पूछे जाने पर राय ने कहा, “मंदिर का 40 प्रतिशत से अधिक निर्माण कार्य पूरा हो गया है। प्लिंथ का काम 80 प्रतिशत से अधिक पूरा हो चुका है और दिसंबर 2023 से यहां दर्शन शुरू होने की संभावना है।” उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पांच अगस्त 2020 को निर्माण कार्य की शुरुआत करते हुए मंदिर के लिए ‘भूमि पूजन’ किया था। 

अयोध्या के कारसेवकपुरम में प्रवास कर रहे चंपत राय निर्माण कार्य की देखरेख करते हैं, बैठकें करते हैं और दैनिक आधार पर प्रगति की समीक्षा भी करते हैं। निर्माण के लिए इस्तेमाल होने वाले धन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “भगवान के काम के लिए धन की कोई कमी नहीं हो सकती है। भगवान के चरणों में तो लक्ष्मी बैठी ही रहती हैं।” ट्रस्ट अधिकारी चंपत राय के मुताबिक, कम से कम 1,000 वर्षों तक मंदिर की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जमीन के नीचे एक विशाल ठोस नींव रखी जा रही है।

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अन्य कार्यों के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण और उसके प्रांगण सहित कुल आठ एकड़ भूमि को घेरते हुए एक आयताकार दो मंजिला परिक्रमा सड़क का निर्माण किया जाएगा, जिसके पूर्वी हिस्से में एक प्रवेश द्वार होगा। चंपत राय ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह के अंदर राजस्थान की मकराना पहाड़ियों के सफेद संगमरमर का प्रयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मकराना संगमरमर की नक्काशी का काम प्रगति पर है और इनमें से कुछ नक्काशीदार संगमरमर के ब्लॉक भी अयोध्या पहुंचने लगे हैं। उन्होंने बताया कि इस मंदिर परियोजना में ‘परकोटा’ (प्राचीर) के लिए आठ से नौ लाख घन फीट के नक्काशीदार बलुआ पत्थर, प्लिंथ के लिए 6.37 लाख घन फीट ग्रेनाइट और मुख्य मंदिर के लिए लगभग 4.70 लाख घन फीट नक्काशीदार गुलाबी बलुआ पत्थर लगेंगे। चंपत राय ने कहा कि गर्भगृह के निर्माण में 13,300 घन फीट और फर्श बनाने में 95,300 वर्ग फीट मकराना सफेद नक्काशीदार संगमरमर का उपयोग किया जाएगा।

इसके अलावा, योजना के तहत राम मंदिर के आसपास 70 एकड़ के क्षेत्रफल में माता सीता, भगवान वाल्मीकि, केवट, माता शबरी, जटायु, विघ्नेश्वर (गणेश) और शेषावतार (लक्ष्मण) के मंदिर भी बनाए जाएंगे। यही नहीं, राम मंदिर के अलावा प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर तक जाने वाली सड़क को चौड़ा करने के लिए दुकानों और घरों को तोड़ने का काम भी चल रहा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि तोड़फोड़ का शुरुआती दौर में विरोध जरूर हुआ था, लेकिन अब काम शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है और लोग स्वेच्छा से अपनी उन दुकानों/घरों को तोड़ रहे हैं, जो चौड़ीकरण परियोजना में आड़े आ रहे हैं। महान गायिका लता मंगेशकर के नाम पर नया घाट में एक सड़क निर्माण की भी योजना है और इसे मंजूरी भी मिल गई है। हालांकि, इसके लिए काम शुरू होना बाकी है। स्थानीय संतों ने बताया कि कुछ संत शुरू में लता मंगेशकर के नाम पर सड़क का नामकरण करने के खिलाफ थे, लेकिन अब आम सहमति बन गई है और जल्द ही काम शुरू किया जाएगा।

मस्जिद का क्या हुआ?

तो इस प्रकार, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य तेज गति से जारी है, लेकिन संबंधित विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलने की वजह से अभी अयोध्या में मस्जिद बनाने का काम शुरू नहीं हुआ है। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा गठित ‘इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन’ व अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने बताया है कि अयोध्या विकास प्राधिकरण ने 15 जुलाई को अग्निशमन सेवा, नागरिक उड्डयन, अयोध्या नगर निगम, सिंचाई विभाग, पीडब्ल्यूडी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन सहित संबंधित विभागों को पत्र जारी कर मस्जिद निर्माण का रास्ता साफ करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने को कहा था।

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अतहर हुसैन ने कहा कि अब तक न किसी विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया है और न ही विभागीय अधिकारियों द्वारा मौके पर निरीक्षण किया गया है। उन्होंने बताया कि सिर्फ अग्निशमन विभाग द्वारा निरीक्षण किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित मस्जिद और वहां बनने वाले अस्पताल की ऊंचाई के लिये यह आवश्यक है कि संपर्क मार्ग 12 मीटर चौड़ा हो, जबकि दोनों मौजूदा संपर्क सड़क की चौड़ाई छह मीटर से अधिक नहीं है। अतहर हुसैन ने बताया कि मुख्य पहुंच मार्ग की चौड़ाई केवल चार मीटर है और पहुंच मार्ग संकरा होने के कारण दमकल विभाग ने भी निर्माण पर अनापत्ति देने से इनकार कर दिया है। अतहर हुसैन ने कहा, "हम उत्तर प्रदेश सरकार और अयोध्या प्रशासन से अपील करते हैं कि वहां पर 12 मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण किया जाए ताकि जल्द से जल्द मस्जिद निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जा सके। उन्होंने कहा कि यहां मस्जिद के अलावा अस्पताल, रसोई और अनुसंधान केंद्र बनाये जाने हैं। अतहर हुसैन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद उप्र सरकार के निर्देश पर अयोध्या प्रशासन द्वारा यह जमीन दी गई है। लेकिन जिस तरह से किसी भी विभाग की अनापत्ति नहीं मिली है वह दर्शाता है कि निर्माण में विलंब किया जा रहा है।

उधर, अतहर हुसैन के आरोपों पर मुख्य अग्निशमन अधिकारी आरके राय ने बताया है कि संपर्क मार्ग की चौड़ाई कम होने के कारण अग्निशमन विभाग ने अयोध्या मस्जिद परियोजना के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र को रोक दिया है। उन्होंने कहा कि हमने इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन को एक पत्र जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि अनापत्ति प्रमाण पत्र केवल तभी जारी किया जा सकता है, जब सड़क की चौड़ाई 12 मीटर हो।'

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने नौ नवंबर 2019 को अयोध्या मामले में अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि अयोध्या में एक प्रमुख स्थान पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन दी जानी चाहिए और तत्कालीन अयोध्या प्रशासन द्वारा अयोध्या से करीब 27 किलीमीटर दूर सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में इस उद्देश्य के लिए जमीन आवंटित की गई थी।

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