US से भारत को मिलने वाली है ऐसी Technology जिससे Indian Ocean और LAC पर निगरानी होगी मजबूत

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अपने अमेरिकी दौरे के दौरान जहां दोनों देशों के संबंधों को नई दिशा दी वहीं महत्वपूर्ण तकनीकी समझौते भी किये जिससे भारत को सैन्य रणनीतिक रूप से भी कई लाभ होंगे। इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका की राजकीय यात्रा का जो निमंत्रण दिया है वह भी दोनों देशों के संबंधों की नई ऊँचाई को दर्शाता है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने बाइडन का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है और अब माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री जून या जुलाई महीने में अमेरिका जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी दौरे के दौरान अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित कर सकते हैं और उनके सम्मान में व्हाइट हाउस में रात्रिभोज भी आयोजित किया जायेगा। हम आपको यह भी बता दें कि इसके बाद सितंबर में दिल्ली में होने वाली जी-20 शिखर सम्मेलन बैठक के दौरान बाइडन समेत जी-20 सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी भारत के दौरे पर आयेंगे।
जहां तक डोभाल की यात्रा के दौरान भारत को सैन्य नजरिये से हुए लाभ की बात है तो आपको बता दें कि भारत और अमेरिका तीन अरब डॉलर से अधिक की लागत वाले 30 ‘एमक्यू 9बी प्रीडेटर आर्म्ड ड्रोन’ के सौदे को अंतिम रूप देने के एकदम करीब पहुँच गये हैं। हम आपको बता दें कि भारत को इससे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और हिंद महासागर के आसपास अपने समग्र निगरानी तंत्र को मजबूत करने में मदद मिलेगी। बताया जा रहा है कि पांच साल तक इस पर काम करने के बाद अब ‘‘भारत की ओर से फैसला किया जाना है।’’ एमक्यू 9बी प्रीडेटर आर्म्ड ड्रोन को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा तथा रक्षा जरूरतों के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा रहा है। 30 ड्रोन में से तीनों सेनाओं को 10-10 ड्रोन दिए जाएंगे। इस सौदे की घोषणा 2017 की गर्मियों में की गई थी।
ऐसा माना जा रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर भी चर्चा की। उल्लेखनीय है कि डोभाल ने अपने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन, अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन सहित कई शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की है। ऐसा माना जा रहा है कि बैठकों में दोनों पक्ष इस बात पर सहमत दिखे कि सौदे को जल्द अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। भारत इसे इसलिए भी जल्द हासिल करना चाहता है क्योंकि ‘एमक्यू 9बी प्रीडेटर आर्म्ड ड्रोन’ से उसे न केवल हिंद महासागर में, बल्कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भी राष्ट्रीय सुरक्षा और निगरानी को मजबूत करने में मदद मिलेगी। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन जल्द से जल्द इस सौदे को अमली जामा पहनाना चाहता है, क्योंकि इससे अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और राजनीतिक रूप से भी यह सौदा फायदेमंद होगा।
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भारत की कैसे मदद करेगा एमक्यू 9बी प्रीडेटर आर्म्ड ड्रोन ?
हम आपको यह भी बता दें कि एमक्यू-9बी भारतीय सेना को इस श्रेणी में किसी भी अन्य विमान की तुलना में कहीं अधिक दूर तक उड़ान भरने, हवा में अधिक समय रहने और अभियान को अधिकर कारगर बनाने में सक्षम बनाएगा। स्काईगार्डियन और सीगार्डियन वस्तुतः किसी भी स्थिति में, दिन हो या रात, ‘फुल-मोशन’ वीडियो प्रदान कर सकते हैं, साथ ही अपने ‘ऑनबोर्ड सिस्टम’ के साथ अन्य जानकारी भी मुहैया कराते हैं। एमक्यू-9बी आज दुनिया में बहु-भूमिका निभाने व काफी दूर से संचालित किया जा सकने वाला विमान है। इसकी मांग अधिक है। जापान, बेल्ज़ियम, ब्रिटेन और कई अन्य देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं या इसकी तैयारी कर रहे हैं।
डोभाल की महत्वपूर्ण मुलाकातें
उधर, जहां तक डोभाल के अमेरिकी दौरे की बात है तो आपको बता दें कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात कर वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर विचारों का आदान-प्रदान किया। इस दौरान दोनों ने द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने पर चर्चा की। इजराइल और मिस्र समेत पश्चिम एशिया के दौरे से स्वदेश लौटने के तुरंत बाद एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को डोभाल से मुलाकात की। ब्लिंकन ने बैठक के बाद ट्वीट किया, “अमेरिका वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के साथ सहयोग बढ़ा रहा है।” उन्होंने ट्वीट में कहा, “हमारी रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने पर चर्चा करने के लिए आज भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ मेरी अच्छी बैठक हुई।” भारतीय दूतावास ने भी एक ट्वीट में कहा, “दोनों पक्षों ने आपसी हित के वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर विचारों का आदान-प्रदान किया और चर्चा की कि कैसे भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत किया जाए।”
अमेरिकी सरकार का बयान
हम आपको बता दें कि डोभाल अमेरिका में एक उच्चाधिकार प्राप्त भारतीय प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को अपने अमेरिकी समकक्ष जैक सुलिवन से भी मुलाकात की थी। डोभाल और सुलिवन ने व्हाइट हाउस में अपने-अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ ‘इनीशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी’ (आईसीईटी) की पहली उच्च-स्तरीय बैठक की थी। बैठक के बाद व्हाइट हाउस ने जानकारी दी थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का मानना है कि ‘क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज’ (आईसीईटी) पर भारत-अमेरिका की पहल दोनों देशों के वास्ते एक लोकतांत्रिक प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। भारत-अमेरिका संबंधों में आईसीईटी को “नेक्स्ट बिग थिंग” (एक बड़ा कदम) बताया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि आईसीईटी का मई 2022 में तोक्यो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच बैठक के बाद पहली बार एक संयुक्त बयान में उल्लेख किया गया था। इसका मकसद दोनों देशों की सरकारों, व्यवसायों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सामरिक प्रौद्योगिकी साझेदारी तथा रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ाना तथा उसे विस्तार देना है।
भारतीय दूतावास ने क्या कहा?
उधर, डोभाल की यात्रा के बारे में भारतीय दूतावास ने कहा है कि यात्रा के दौरान हुई चर्चाओं के माध्यम से अत्याधुनिक क्षेत्रों में भारत-अमेरिका सहयोग को गति देने का आधार तैयार किया गया जो कि वास्तव में एक व्यापक व वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की परिपक्वता का परिचायक है। बयान में भारतीय दूतावास ने कहा, ''इस यात्रा के दौरान हुईं चर्चाएं अत्याधुनिक क्षेत्रों में भारत-अमेरिका सहयोग को गहरा करने का आधार स्थापित करती हैं और वास्तव में भारत-अमेरिका व्यापक, वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की परिपक्वता को दर्शाती हैं।’’ दूतावास ने बताया कि बैठक में भारत के अर्द्धचालक (सेमीकंडक्टर) अभियान के लिए इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आईईएसए) और यूएस सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन (एसआईए) को शामिल करते हुए एक कार्यबल गठित करने पर सहमति बनी, ताकि निकट भविष्य के अवसरों की पहचान करने और अर्द्धचालक पारिस्थितिकी के दीर्घकालिक विकास की सुविधा के लिए तैयारी हो सके। रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में दोनों पक्ष पारस्परिक हित की प्रमुख वस्तुओं के संयुक्त उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने पर सहमत हुए। साथ ही अगली पीढ़ी के दूरसंचार में, भारत की लागत-प्रतिस्पर्धात्मकता को देखते हुए दोनों पक्ष विश्वसनीय स्रोतों का उपयोग करते हुए एक सार्वजनिक-निजी संवाद शुरू करने पर सहमत हुए, जिसमें 5जी/6जी और ओआरएएन को भी शामिल किया जाएगा।
विशेषज्ञों के नजरिये से आईसीईटी
वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और उनके अमेरिकी समकक्ष द्वारा आईसीईटी पर भारत-अमेरिका पहल की शुरुआत एक महत्वपूर्ण संकेत है कि दोनों देश बाधाओं को तोड़ने, प्रौद्योगिकी में संबंधों को बढ़ावा देने और रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए तैयार हैं। ‘सेंटर फॉर न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी’ में हिंद-प्रशांत सुरक्षा कार्यक्रम की वरिष्ठ फेलो और निदेशक लीज़ा कर्टिस ने बताया, “भारत और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच पहली आईसीईटी बैठक का आयोजन संबंधों के लिए एक प्रमुख मील का पत्थर है और यह संकेत देता है कि दोनों पक्ष निकट प्रौद्योगिकी और रक्षा सहयोग के वास्ते बाधाओं को तोड़ने के लिए तैयार हैं।” हम आपको बता दें कि सीआईए की पूर्व अधिकारी कर्टिस 2017 से 2021 तक दक्षिण और मध्य एशिया के लिए राष्ट्रपति और एनएससी के वरिष्ठ निदेशक की उप सहायक थीं। इस दौरान उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कर्टिस ने कहा, “दोनों पक्ष उभरती हुई प्रौद्योगिकी साझेदारी से लाभ प्राप्त करने के लिए तैयार हैं: भारत रक्षा प्रौद्योगिकियों तक पहुंच प्राप्त करेगा और ऐसे समय में अपनी क्षमताओं को मजबूत करेगा जब चीन-भारत सीमा संघर्ष बढ़ रहा है और जून 2020 में गलवान और दिसंबर 2022 में तवांग के निकट हुए संघर्ष जैसे मामले बढ़ रहे हैं।”
उधर, ‘यूएस इंडिया स्ट्रेटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम’ (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा, “आईसीईटी की शुरुआत अमेरिका-भारत साझेदारी में एक महत्वपूर्ण क्षण है।” उन्होंने कहा कि लंबे समय से प्रतीक्षित ‘नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार’ (एनआईएसएआर) पृथ्वी अवलोकन उपग्रह पर काम पूरा करना इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि अंतरिक्ष में अमेरिका-भारत की साझेदारी दुनिया को कैसे लाभान्वित कर सकती है। उन्होंने कहा, “जलवायु परिवर्तन हमारे सामने एक वास्तविक खतरा है और एनआईएसएआर दोनों देशों को इस खतरे से लड़ने के लिए करीब लाता है।”
-नीरज कुमार दुबे
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