ISRO ने ‘चंद्रयान-2’ को चांद की कक्षा में आगे बढ़ाने की तीसरी प्रक्रिया पूरी की

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[email protected] । Aug 28 2019 12:17PM

‘चंद्रयान-2’ने 20 अगस्त को चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया था। इसरो ने 21 अगस्त को ‘चंद्रयान-2’ की चंद्रमा की ओर आगे बढ़ाने की दूसरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद यान से ली गई चंद्रमा की तस्वीरों के दो सेट जारी किए थे।

बेंगलुरु। ‘चंद्रयान-दो’ के चंद्रमा की सतह पर उतरने के 11 दिन पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को बताया कि उसने अंतरिक्ष यान को चांद की कक्षा में तीसरी बार आगे बढ़ाने की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। इसरो ने इस प्रक्रिया (मैनुवर) के पूरी होने के बाद कहा कि यान की सभी गतिविधियां सामान्य हैं। इसरो ने कहा,‘‘ चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा की ओर आगे बढ़ाने की प्रक्रिया आज (28 अगस्त, 2019) सफलतापूर्वक संपन्न की गई। इसकी शुरुआत भारतीय समयानुसार नौ बजकर चार मिनट पर हुई। इस दौरान यान में मौजूद प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल किया गया। इस प्रक्रिया में 1190 सेकंड लगे। और फिर यान 179 किलोमीटर गुणा 1412 किलोमीटर की कक्षा में गया।’’ उसने कहा, ‘‘अंतरिक्ष यान के सभी मापदंड सामान्य है। इस तरह की अगली प्रक्रिया को 30 अगस्त 2019 को भारतीय समयानुसार शाम छह बजे से सात बजे के बीच अंजाम दिया जाएगा।’’

‘चंद्रयान-2’ने 20 अगस्त को चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया था। इसरो ने 21 अगस्त को ‘चंद्रयान-2’ की चंद्रमा की ओर आगे बढ़ाने की दूसरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद यान से ली गई चंद्रमा की तस्वीरों के दो सेट जारी किए थे। यान को चांद की सतह से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर चंद्र ध्रुवों के ऊपर से गुजरती अंतिम कक्षा में पहुंचाने के लिए अभी इस तरह की तीन और प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जाएगा। इसरो ने कहा कि इसके बाद दो सितंबर को लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चांद के इर्द-गिर्द 100 किलोमीटर X30 किलोमीटर की कक्षा में प्रवेश करेगा। इसके बाद यह चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने के लिए धीमी गति और ठहराव जैसी कई सिलसिलेवार एवं जटिल प्रक्रियाओं से गुजरेगा।

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इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने कहा है कि चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ सर्वाधिक ‘‘महत्वपूर्ण’’ क्षण होगा क्योंकि इसरो ने यह पहले कभी नहीं किया है। इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्र मिशन-2 का सबसे जटिल चरण है। यह वैज्ञानिकों के लिए बेहद ‘गंभीर’ क्षण होगा। लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद इसके भीतर से ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर बाहर निकलेगा और अपने छह पहियों पर चलकर चांद की सतह पर अपने वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा। सबकुछ यदि ठीक रहता है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इसके साथ ही अंतरिक्ष इतिहास में भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।

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