कठुआ मामला से आखिर कैसे बरी हो गया विशाल! जानें कोर्ट रूम नें क्या जाल फैलाया गया

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[email protected] । Jun 12 2019 6:39PM

अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा इंस्पेक्टर केवल किशोर से जिरह नहीं करने की ओर भी इंगित किया। अपराध में जंगोत्रा की कथित भूमिका के मामले की ज्यादातर जांच किशोर ने ही की थी।

पठानकोट। कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड की जांच के दौरान आरोपी विशाल जंगोत्रा के अनुपस्थिति के दावे को खारिज करने में अभियोजन पक्ष की असफलता के कारण ही वह बरी हुआ है। विशेष अदालत ने उक्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जम्मू पुलिस की अपराध शाखा ने जंगोत्रा के खिलाफ सबसे मजबूत सबूत छुपाया। सोमवार को अपने विस्तृत आदेश में अदालत ने कहा, ‘‘इस अदालत का मानना है कि विशाल जंगोत्रा के खिलाफ अभियोजन पक्ष के मुकदमे में बड़ी खामी है। इस संबंध में जांच के स्तर पर ही पहली नजर में अभियोजन पक्ष विशाल जंगोत्रा की ओर से पेश अन्यत्र उपस्थिति को खारिज करने में नाकाम रहा है।’’ कठुआ बलात्कार एवं हत्या कांड के सात आरोपियों में से जंगोत्रा अकेला है जिसे अदालत ने बरी किया है। अदालत ने जंगोत्रा के पिता सांजी राम सहित तीन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनायी है।

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अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा इंस्पेक्टर केवल किशोर से जिरह नहीं करने की ओर भी इंगित किया। अपराध में जंगोत्रा की कथित भूमिका के मामले की ज्यादातर जांच किशोर ने ही की थी। अदालत ने कहा, ‘‘लगभग सभी जांच अधिकारियों ने अपने बयान में कहा है कि विशाल से जुड़ी जांच इंस्पेक्टर केवल किशोर ने की थी। अभियोजन पक्ष के लिए अनिवार्य था कि वह इस मामले में आरोपी विशाल जंगोत्रा के खिलाफ मजबूत केस बनाने के लिए इंस्पेक्टर केवल किशोर से जिरह करता।’’

अदालत ने कहा कि इस मामले में इंस्पेक्टर से जिरह नहीं की गयी और यह ‘पक्का अभियोजन पक्ष की कमी है’’ और इसका कारण तो वही जानते हैं। हालांकि, पुलिस की अपराध शाखा का कहना है कि किशोर इस मामले से जुड़ी चीजों की जब्ती करने वाली टीम में शामिल थे और टीम के अन्य सदस्यों ने अदालत के समक्ष गवाही दी है और उनसे जिरह भी हुई है। जांच की कुछ मूल खामियों को इंगित करते हुए अदालत ने कहा कि उपनिरीक्षक उरफान वानी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उत्तर प्रदेश के मीरापुर से जंगोत्रा को गिरफ्तार करने से पहले उन लोगों ने उसके कॉलेज या परीक्षा केन्द्र से यह पता नहीं किया था कि वह अपनी परीक्षाओं में शामिल हो रहा था या नहीं। उसकी परीक्षा नौ जनवरी, 2018 को शुरू हुई थी।

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अदालत ने कहा, ‘‘उन्होंने (वानी) आगे यह भी माना कि 17 मार्च, 2018 तक इस संबंध में किसी हैंडराइटिंग विशेषज्ञ की रिपोर्ट नहीं थी और आरोपी की अनुपस्थिति के संबंध में उन्होंने किसी अधिकारी, प्रधानाचार्य, शिक्षक, परीक्षक या छात्र का बयान दर्ज नहीं किया था।’’ अदालत ने कहा, वानी ने अपने बयान में यह भी कहा कि उन्होंने जंगोत्रा की मकान मालकिन सुमन शर्मा का बयान उर्दू में दर्ज किया..... और उन्हें नहीं पता है कि सुमन शर्मा उर्दू जानती हैं या नहीं। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में उर्दू आधिकारिक भाषा है और पुलिस आरोपी तथा गवाह दोनों का बयान दर्ज करने के लिए इसी का इस्तेमाल करती है। अदालत ने यह भी कहा कि अधिकारियों ने एक निजी चैनल पर दिखाई गई खबर की सत्यता की भी पुष्टि नहीं की, जिसमें दावा किया गया था कि घटना के वक्त जंगोत्रा मीरापुर में मौजूद था। यह खबर एसबीआई के एटीएम में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज के आधार पर दिखाई गई थी। अदालत ने कहा कि एसबीआई मीरापुर के किसी अधिकारी का इस संबंध में बयान दर्ज नहीं किया गया। उन्होंने (वानी) यह भी स्वीकार किया कि मीरापुर एटीएम के कैमरे का हार्डडिस्क जब्त करने के बाद, उस हार्डडिस्क को किसी मजिस्ट्रेट ने सील नहीं किया था। अपराध शाखा ने हार्डडिस्क जब्त करने के बाद स्थानीय मजिस्ट्रेट से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने जांच का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया। पुलिस अधिकारी बाद में मीरापुर थाने पहुंचे और उन्हें जब्ती की जानकारी दी। उसके बाद हार्डडिस्क मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत की गयी और सील हुयी।

अदालत ने कहा कि जांच के दौरान वानी ने 14 जनवरी, 2018 की प्रायोगिक परीक्षा की कॉपी भी जब्त की थी, उसे अदालत में पेश किया जाना चाहिए था। उसने कहा, लेकिन जम्मू पुलिस की अपराध शाखा ने वह कॉपी कभी अदालत के समक्ष पेश नहीं की। उसे देखते हुए, यह कहा जा सकता है कि जम्मू, अपराध शाखा ने मजबूत सबूत छुपा लिए। अदालत ने अंत में कहा कि इसके अनुरूप रिकॉर्ड पर मौजूद अन्य सबूतों को देखते हुए एक प्रतिकूल निष्कर्ष निकलता है कि वारदात के समय आरोपी विशाल जंगोत्रा मुजफ्फरनगर के मीरापुर में मौजूद था न कि कठुआ में। विशेष अदालत ने कहा कि जंगोत्रा द्वारा ‘एलिबाई’ (अनुपस्थति) के पेश सबूत झूठे या फर्जी या गलत हैं यह साबित करने के महत्वपूर्ण काम को पूरा करने के लिए पक्के सबूत पेश करने में अभियोजन पक्ष असफल रहा है।

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