Lockdown के 25वें दिन कोरोना से ठीक होने वाले मामलों की संख्या बढ़ी

Coronavirus

अधिकारियों ने कहा है कि देश में जारी लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा का सामना कर रहीं महिलाओं की मदद के लिए 50 से अधिक हेल्पलाइन शुरू की गई हैं। कोई भी व्यक्ति देश में कहीं भी महिलाओं के खिलाफ होने वाली घरेलू हिंसा को लेकर शिकायत दर्ज करा सकता है।

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को लॉकडाउन के दौरान देश की स्थिति की समीक्षा की और इस दौरान आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति का जायजा लिया। अधिकारियों के अनुसार बैठक में शाह को बताया गया कि गृह मंत्रालय ने देश के विभिन्न भागों में फंसे मजदूरों की मदद करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। शाह ने कोरोना वायरस महामारी की निगरानी और राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय के लिए स्थापित नियंत्रण कक्ष के कामकाज का भी जायजा लिया। गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘‘गृह मंत्री ने अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान मंत्रालय के नियंत्रण कक्ष के कामकाज का जायजा लिया और विभिन्न राज्यों में कोविड-19 के हालात की समीक्षा की।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नियंत्रण कक्ष चौबीस घंटे काम कर रहा है और राज्यों के साथ-साथ केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के साथ भी समन्वय कर रहा है।’’ बैठक में शाह के साथ गृह राज्य मंत्री जी. कृष्ण रेड्डी और नित्यानंद राय, केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। शाह ने जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह से फोन पर बात की और लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराने और जम्मू-कश्मीर पुलिस के सभी कर्मियों की विशिष्ट सेवा के लिए उनकी प्रशंसा की। कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में सबसे पहले लॉकडाउन की घोषणा 24 मार्च की मध्यरात्रि से की। यह लॉकडाउन 21 दिन के लिए था जो 14 अप्रैल की मध्यरात्रि पर समाप्त होता। लेकिन लॉकडाउन को बढ़ाकर तीन मई तक कर दिया गया है।

4291 मामले मरकज में हुए कार्यक्रम से जुड़े हैं

देश के 23 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में अब तक कोरोना वायरस के कुल संक्रमित मामलों में से 4291 मामले दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में मार्च में आयोजित तबलीगी जमात के कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं। यह जानकारी शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी। देश में कोविड-19 की स्थिति को लेकर आयोजित दैनिक संवाददाता सम्मेलन में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि मरकज में हुए कार्यक्रम से जुड़े अधिकतर मामले राज्यों से जुड़े हुए हैं। तमिलनाडु में 84 फीसदी, तेलंगाना में 79 फीसदी, दिल्ली में 63 फीसदी, उत्तर प्रदेश 59 फीसदी और आंध्र प्रदेश से 61 फीसदी है। उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 के कुल 14,378 मामलों में से 4291 मामले या 29.8 फीसदी तबलीगी जमात के कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं।’’ स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने यह भी कहा कि कुछ राज्यों में कोविड-19 संक्रमण के मामले कम हैं लेकिन वहां भी मरकज के कार्यक्रम से जुड़े मामले सामने आए हैं। उदाहरण के लिए अरूणाचल प्रदेश में कोरोना वायरस का एकमात्र मामला मरकज में हुए कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है। इसी तरह असम में 35 में से 32 मामले और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में 12 में से 10 मामले जमात के कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में शुक्रवार की सुबह से 24 घंटे के अंदर कोविड-19 के 991 नये मामले और 43 लोगों के मरने की सूचना है जिससे संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 14 हजार 378 और मृतकों की संख्या 480 हो गई है। अग्रवाल ने कहा कि अभी तक कोविड-19 से 1992 मामले यानी 13.85 फीसदी रोगी ठीक हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत में कोविड-19 से मरने की दर 3.3 फीसदी है। अग्रवाल ने कहा, ‘‘मरने वालों में 75.3 फीसदी 60 वर्ष या अधिक उम्र के हैं और 83 फीसदी मामलों में मरीज अन्य रोगों से भी ग्रस्त पाए गए।’’ स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने कहा कि राज्यों के साथ भी त्वरित एंटीबॉडी जांच किट के इस्तेमाल के प्रोटोकॉल साझा किए गए हैं।

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महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है रेलवे

राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में दवाइओं और अन्य जीवनरक्षक चीजों की कमी का सामना कर रहे लोगों के लिये भारतीय रेल इस हफ्ते अपने नेटवर्क का उपयोग करते हुए जीवनदायिनी साबित हुई। वहीं, जिन लोगों को इससे मदद पहुंची उन्हें यह किसी चमत्कार से कम नहीं लग रहा है। रेलवे देश के सभी कोनों में जरुरी सामान, खाद्यान्न, दवाइयां आदि पहुंचाने के महत्वपूर्ण कार्य में जुटा हुआ है। साथ ही, इसने लोगों की जीवन रक्षा के लिए बहुत कम समय में उनकी जरुरत की चीजें भी उन तक पहुंचायी हैं। रेलवे ने मुंबई में रहने वाले तीन साल के एक ऑटिस्टिक बच्चे को ऊंटनी का दूध पहुंचाया क्योंकि इस बच्चे को कोई और दूध हजम नहीं होता है। उसके बाद कई लोगों ने व्यक्तिगत तौर पर रेलवे से अपने-अपने लिए अनुरोध किया। जैसा कि पीटीआई...भाषा ने अपनी खबर में बताया था, 10 अप्रैल को उत्तर पश्चिम रेलवे ने ऊंटनी का 20 लीटर दूध मुंबई पहुंचाया। दरअसल, एक महिला ने ट्वीट किया था कि उसके तीन साल के बच्चे को गाय, भैंस और बकरी के दूध से एलर्जी है, इस वजह से उसे ऊंटनी का दूध दिया जाता है और लॉकडाउन के कारण वह उपलब्ध नहीं है। इस मामले में रेलवे की त्वरित प्रतिक्रया और उससे मिली मदद को देखते हुए अहमदाबाद निवासी हितेष शर्मा ने राजस्थान के अजमेर में रहने वाले अपने 14 साल के भाई के लिए दवा भेजने का अनुरोध किया था और रेलवे से मिली मदद को वह ‘‘चमत्कार’’ कह रहे हैं। यह बच्चा भी ऑटिस्टिक है और उसे दवा की सख्त जरूरत थी। सामान्य तौर पर शर्मा महीने में एक बार अहमदाबाद में अपने भाई की डॉक्टर से जांच करवाते हैं और उसकी दवाइयां खरीदते हैं, जरुरत पड़ने पर दवाइयां कुरियर से भी भेज देते हैं। लेकिन लॉकडाउन के कारण ऐसा नहीं हो पाया। शर्मा ने अहमदाबाद में बताया, ‘‘यह अविश्वसनीय है। मैंने मदद के लिए उन्हें फोन किया और 15 घंटे के भीतर पार्सल ट्रेन से दवा मेरे भाई को मिल गयी। अगर यह मेरे साथ नहीं हुआ होता तो, मैं इस पर विश्वास नहीं करता।’’ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे 23 वर्षीय शर्मा ने बताया कि वह रेलवे के नोडल अधिकारियों की सूची खोज रहे थे, उसी में उन्हें पश्चिम रेलवे के अहमदाबाद डिविजन के सहायक वाणिज्यिक प्रबंधक आशीष उजलायन का नंबर मिला। शर्मा ने उन्हें फोन किया और उन्हें रेलवे से मदद का आश्वासन मिला। उजलायन ने बताया, ‘‘उन्होंने हमसे संपर्क कर बताया कि उक्त दवाएं अजमेर में उपलब्ध नहीं है और सामान्य तौर पर वह अहमदाबाद से कूरियर कर देते, लेकिन लॉकडाउन के कारण वह ऐसा करने में असमर्थ हैं, इसलिए हमसे संपर्क कर रहे हैं। हमने उनसे कहा कि हर संभव मदद की जाएगी।’’ अधिकारी ने बताया, ‘‘उन्होंने दवाइयां खरीदीं और हमने पार्सल ट्रेन से उन्हें अगली सुबह अजमेर पहुंचा दिया। भारतीय रेल ऐसे समय में हर संभव मदद करने की कोशिश कर रही है।’’ शर्मा ने दवाइयों का पार्सल रेलवे को 15 अप्रैल शाम छह बजे दिया और अगली सुबह 11 बजे दवाएं अजमेर पहुंच गयीं। शर्मा के भाई ऑटिस्टिक हैं, उसे एडीएचडी, ओसीडी भी है। लॉकडाउन की अवधि तीन मई तक बढ़ाए जाने के बाद उसकी दवाइयां खत्म होने लगी थी। शर्मा ने बताया, ‘‘उसे जो दवाइयां लेनी होती हैं वे अजमेर में उपलब्ध नहीं हैं और यहां भी एक ही जगह है, जहां से मैं उसके लिए दवा लेता हूं। उसकी दवाइयों का पर्चा मेरे पास है और वह हर महीने यहां डॉक्टरी सलाह के लिए आता है। मुझे बहुत चिंता थी कि दवाइयों के बिना वह बेहोश हो सकता है और उसे दौरा भी पड़ सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं मदद के लिए रेलवे के पास गया और उन्होंने मदद की। मुझे अभी भी यह किसी चमत्कार जैसा ही लग रहा है।’’ दूसरे मामले में लीवर प्रतिरोपण कराने वाले 16 वर्षीय उर्मिल पाटिदार ने रेलवे से अनुरोध किया कि वह गुजरात से उनकी दवाएं मध्यप्रदेश के रतलाम पहुंचाने में मदद करें। 16 वर्षीय किशोर ने कहा, ‘‘भारतीय रेलवे सर्वश्रेष्ठ है। उनकी वजह से ही चार दिन पहले मुझे मेरी दवाइयां मिल पाई।’’ दोनों ही मामलों में रेलवे ने दवाइयां नजदीकी रेलवे स्टेशन तक पहुंचायी, जहां से उनके परिवार के सदस्य आकर उसे ले गए।

लॉकडाउन में समय का सदुपयोग

उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि वह आपातकाल के बाद पहली बार एक ही स्थान पर इतने लंबे समय तक रह रहे हैं और वह रचनात्मक कार्य कर इस लॉकडाउन में समय का सदुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में यह भी कहा कि वह इन दिनों अच्छी पुस्तकें पढ़ रहे हैं और अपने प्रियजनों के साथ विचार साझा कर रहे हैं। नायडू ने कहा, 'हर चीज़ का मूल तो मस्तिष्क में ही है। किसी भी चुनौती के सामने, हमें अपने मस्तिष्क को उस अनहोनी को स्वीकार करने और उसका समाधान करने के लिए तैयार और प्रशिक्षित करना होता है। अगर हम इस गुत्थी को समझ लें तो हम किसी भी परिवर्तन को सहर्ष स्वीकार और आत्मसात कर सकते हैं।' उप राष्ट्रपति ने आपातकाल का स्मरण करते हुए कहा, '1970 के दशक के अपने विद्यार्थी जीवन के दिनों से ही कभी ऐसा अवसर नहीं आया कि मुझे एक ही स्थान पर इतना लंबा समय व्यतीत करना पड़ा हो। सिवाय आपातकाल के, इस प्रकार बंधन में रहना, न मेरी प्रकृति में है, न ही मेरी प्रवृत्ति में।' उन्होंने कहा, 'मेरे लिए भी ये नया अनुभव ही है और मैं इस नई स्थिति का भरसक उपयोग कर रहा हूं, अपने मन मस्तिष्क को इस की अनिश्चितता को निर्विकार भाव से स्वीकार करने के लिए प्रशिक्षित कर रहा हूं।' नायडू ने कहा, 'मैं अपने समय का रचनात्मक सदुपयोग कर रहा हूं, अच्छी पुस्तकें पढ़ रहा हूं जिससे मेरा अपना दृष्टिकोण व्यापक बनता है। अपने विचारों को अपने स्वजनों के साथ साझा करता हूं, उनसे विचार-विमर्श करता हूं।' उनके मुताबिक लॉकडाउन के बाद उनकी दिनचर्या में बदलाव आया है।

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राहुल गांधी ने सरकार को दिया धन्यवाद

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत की सीमाओं से लगे देशों से निवेश संबंधी नियमों में संशोधन किए जाने के बाद शनिवार को कहा कि उनकी बात का संज्ञान लेने के लिए वह नरेंद्र मोदी सरकार का धन्यवाद करते हैं। उन्होंने गत रविवार को किये गए अपने एक ट्वीट का हवाला देते हुए कहा, 'मेरी ओर से आगाह किये जाने का संज्ञान लेने और एफडीआई के कुछ विशेष मामलों में सरकार की अनुमति अनिवार्य बनाने की खातिर नियमों में संशोधन करने के लिए सरकार का धन्यवाद करता हूं।' गौरतलब है कि भारत की सीमाओं से लगे देशों की कोई कंपनी अथवा व्यक्ति भारत के किसी भी क्षेत्र में अब सरकार की मंजूरी मिलने के बाद ही निवेश कर सकेगा। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के एक बयान में यह कहा गया है। डीपीआईआईटी ने बताया, ‘‘भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों के निकाय अब यहां सिर्फ सरकार की मंजूरी के बाद ही निवेश कर सकते हैं। भारत में होने वाले किसी निवेश के लाभार्थी भी यदि इन देशों से होंगे या इन देशों के नागरिक होंगे, तो ऐसे निवेश के लिये भी सरकार की मंजूरी लेने की आवश्यकता होगी।’’ इस पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'खुशी है कि सरकार ने विदशी नियंत्रण से हमारे कारपोरेट की सुरक्षा करने से जुड़े राहुल गांधी के सुझाव पर सकारात्मक कदम उठाया है। हम एफडीआई नीति में संशोधन का स्वागत करते हैं।' उन्होंने कहा, 'हम आशा करते हैं कि सकारात्मक संवाद का सिलसिला जारी रहेगा।' दरअसल, राहुल गांधी ने बीते रविवार ट्वीट कर कहा था, 'बड़े पैमाने पर आर्थिक सुस्ती ने कई भारतीय कॉरपोरेट जगत को कमजोर करके अधिग्रहण के लिए आकर्षक लक्ष्य बना दिया है। इस राष्ट्रीय संकट के समय सरकार को भारतीय कॉरपोरेट के ऊपर विदेशी नियंत्रण को अनुमति नहीं देनी चाहिए।"

कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री ने लॉकडाउन के नियमों की अनदेखी की

बेल्लारी में रूपानगुडी रोड पर भोजन के पैकेट बांटने के लिए सैंकड़ों लोगों का जमावड़ा लगाने वाले कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री बी श्रीरामुलू अपनी ही पार्टी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के निशाने पर आ गए। सामने आए वीडियो में दिखा है कि लॉकडाउन के मद्देनजर श्रीरामुलू जब गरीबों और जरूरतमंदों के लिए राहत सामग्री के पैकेट बांट रहे थे, उस वक्त बड़ी संख्या में लोग एक ही जगह जमा हो गए और भगदड़ में एक-दूसरे पर गिर पड़े। मंत्री कुछ लोगों के साथ सड़क किनारे खड़े होकर गरीब लोगों को राहत किट बांट रहे थे। कतार में बुजुर्ग लोग भी खड़े थे। खाद्य सामग्री लेने के लिए जो लोग इकट्ठा थे उनमें से कई ने मास्क या रूमाल आदि से अपना चेहरा भी नहीं ढका था। कर्नाटक भाजपा प्रवक्ता जी. मधुसूदन ने कहा, ‘‘जो भी हुआ, उन्होंने बड़ी गलती की चाहे बेल्लारी में श्रीरामुलू हों या होस्पेट में आनंद सिंह।’’ उन्होंने कहा कि ये सभी जनप्रतिनिधि दिखाना चाहते थे कि वे अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोगों की सेवा कर रहे हैं। नियमों का उल्लंघन करने के लिए सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की आलोचना करते हुए मधुसूदन ने कहा कि नेताओं के लिए इस तरह का सस्ता प्रचार पाना एक चलन-सा बन गया है। उन्होंने श्रीरामुलू को सलाह दी कि सार्वजनिक स्थान पर जमावड़ा लगाने के बजाए उन्हें घर पर ही सामान पहुंचा देना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता के ई राधाकृष्ण ने कहा कि नियमों के उल्ल्ंघन के लिए मामला दर्ज होना चाहिए। देश में वीवीआईपी संस्कृति की आलोचना करते हुए राधाकृष्ण ने कहा कि जब देश ऐसे संकट का सामना कर रहा है, लोग धूम-धड़ाके से शादियों और जन्मदिन का आयोजन कर रहे हैं। इसी बीच स्वास्थ्य मंत्री ने खाद्य वितरण मेला का भी आयोजन किया। बहरहाल, बेल्लारी में संवाददाताओं से बात करते हुए श्रीरामुलू ने माना कि सामाजिक दूरी का पालन नहीं करने के कारण राज्य में अचानक से मामले बढ़े हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जरूरी है कि लोग लॉकडाउन का समर्थन करें।’’

कुछ शर्तों के साथ सरकारी दफ्तरों को खोलने का निर्णय

बिहार ने लॉकडाउन के दौरान कुछ शर्तों के साथ सरकारी दफ्तरों को खोलने का निर्णय लिया है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा शनिवार को जारी एक आदेश में भारत सरकार की 15 अप्रैल की अद्यतन मार्गदर्शिका का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इसके द्वारा 20 अप्रैल से कार्यालय खोलने के प्रावधान किये गये हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश में कहा गया है कि बिहार के गृह विभाग के 16 अप्रैल के पत्रांक 268 द्वारा इन निर्देशों का अनुपालन करने का मार्गदर्शन प्राप्त है जिसके आलोक में निर्देश दिये जाते हैं कि सामान्य प्रशासन विभाग के सभी प्रशाखा एवं कोषांग 20 अप्रैल के प्रभाव से खुले रहेंगे। आदेश में कहा गया है कि वर्ग- 'क' एवं 'ख' के सरकारी कर्मचारी नियमित तौर पर प्रतिदिन कार्यालय आयेंगे। वर्ग- 'ग', अन्य न्यून वर्ग तथा संविदा कर्मी के 33% कर्मचारी प्रतिदिन कार्यालय आयेंगे। सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश में कहा गया है कि प्रशाखाओं अथवा कोषांगों में पदस्थापित सहायकों अथवा आशुलिपिक संवर्ग के कर्मियों, डाटा एंट्री ऑपरेटरों, संविदा नियोजित कर्मियों अथवा कार्यालय परिचारी के संबंध में संबंधित प्रशाखा पदाधिकारी अथवा प्रभारी पदाधिकारी द्वारा आन्तरिक व्यवस्था के तहत रोस्टर का निर्धारण किया जायेगा। आदेश में कहा गया है कि उच्च वर्गीय लिपिक एवं निम्न वर्गीय लिपिक के संबंध में पूर्व में निर्गत कार्यालय आदेश द्वारा निर्धारित रोस्टर 20 अप्रैल से तीन मई तक प्रभावी रहेगा। सभी पदाधिकारी एवं सरकारी सेवकों को कोविड-19 के प्रबंधन संबंधी राष्ट्रीय मार्गदर्शिका तथा कार्यालयों में सामाजिक दूरी के लिए निर्धारित मापदंड का अक्षरश: पालन करना होगा।

कोविड-19 के मामलों में मामूली कमी आयी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि शहर में पिछले तीन दिन में कोविड-19 के मामलों में मामूली कमी आयी है। साथ ही, उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में इसमें और कमी आएगी। कोरोना वायरस संक्रमण पर ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में केजरीवाल ने कहा कि शुक्रवार को कुल 2,274 नमूनों की जांच की गई, जिनमें से केवल 67 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई। कुछ दिन पहले तक रोजाना संक्रमण के 180 से 350 मामले आ रहे थे। मुख्यमंत्री ने निषिद्ध क्षेत्र के निवासियों से अनुरोध किया कि वे नियमों का पालन करें और अपने-अपने घरों से बाहर ना निकलें। केजरीवाल ने कहा, ‘‘निषिद्ध क्षेत्र में कुछ लोग सड़कों पर दिख रहे हैं। कल जहांगीरपुरी इलाके के एक ही परिवार के 26 सदस्यों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, इसे निषिद्ध क्षेत्र घोषित कर दिया गया है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में 71 निषिद्ध क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं। शुक्रवार तक दिल्ली में कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,707 मामलों की पुष्टि हुई थी।

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12 लाख से अधिक निर्माण श्रमिकों को मिलेंगे 2000-2000 रूपये

महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते अपनी आजीविका गंवा बैठे 12 लाख पंजीकृत निर्माण मजदूरों को 2000-2000 रूपये देने का शनिवार को निर्णय लिया। ये पाबंदियां 24 मार्च का लगायी गयी थीं जिन्हें बाद में तीन मार्च तक के लिए बढ़ा दिया गया। राज्य के श्रम मंत्री दिलीप वाल्से पाटिल ने कहा कि श्रमिक मुश्किलों से जूझ रहे हैं और उनके लिए रोजमर्रा की जरूरतें पूरा करना कठिन हो रहा है क्योंकि निर्माण गतिविधियां लॉकडाउन के चलते थम गयी हैं। मंत्री ने एक सरकारी बयान में कहा, ''स्थिति को देखते हुए हरेक उस मजदूर के खाते में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से 2000 रूपये जमा किये जाएंगे जो महाराष्ट्र बिल्डिंग एवं अन्य निर्माण गतिविधि श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकृत हैं।’’ उन्होंने कहा कि बोर्ड में पंजीकृत 12 लाख से अधिक मजदूर इस कदम से लाभान्वित होंगे। बयान के अनुसार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, वाल्से पाटिल एवं वरिष्ठ नौकरशाहों की एक बैठक में यह निर्णय लिया गया। ठाकरे ने शुक्रवार को कहा था कि कुछ औद्योगिक एवं वाणिज्यिक गतिविधियां नियमों के अनुपालन के आधार पर 20 अप्रैल से फिर से चालू की जाएंगी। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लॉकडाउन और संबंधित नियम लगाये गये हैं।

आपात मोचन केंद्र को किया सक्रिय

केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को कहा कि देश में जारी लॉकडाउन की वजह से लोगों के समक्ष उत्पन्न हो रही समस्याओं के समाधान के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने सभी जिलों में ‘आपात मोचन केंद्रों’ को सक्रिय कर दिया है। गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने दैनिक ब्रीफिंग में कहा कि मंत्रालय में स्थापित एक नियंत्रण केंद्र लोगों को 24 घंटे सहायता उपलब्ध करा रहा है और हेल्पलाइन 1930 तथा 1944 पर उनकी शिकायतों का समाधान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धता संतोषजनक है। अधिकारी ने कहा कि एकल आपात प्रतिक्रिया नंबर 112 सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में काम कर रहा है। 112 मोबाइल एप संबंधित जगह का पता लगा कर तुरंत सेवाएं उपलब्ध कराता है। गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांग जनों द्वारा लॉकडाउन के दौरान इसका काफी इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि इन सभी सेवाओं की मदद से हम लॉकडाउन की अवधि के दौरान आपकी समस्याओं का समाधान कर सकेंगे।’’ अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से देश में फंसे विदेशी नागरिकों की वीजा अवधि ऑनलाइन आवेदन मिलने पर तीन मई की आधी रात तक विस्तारित की जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसे विदेशी नागरिक इस अवधि के दौरान यदि बाहर जाने का आग्रह करते हैं तो इसके लिए तीन मई के बाद और 14 दिन का समय दिया जाएगा तथा समय से अधिक रुकने को लेकर उनसे कोई जुर्माना नहीं लिया जाएगा।

तीन हजार छात्र अपने घरों को रवाना

लॉकडाउन के चलते राजस्थान के कोटा में फंसे लगभग तीन हजार छात्र उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भेजी गईं 100 बसों में सवार होकर शनिवार को अपने-अपने घरों को रवाना हो गए, लेकिन सात हजार छात्र अब भी अपनी बारी के इंतजार में हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने करीब 7,500 छात्रों का अनुमान शुक्रवार को 250 बसें कोटा भेजी थीं, लेकिन यात्रा का प्रबंध होने की खबर मिलने के बाद शहर के तीन रवानगी केन्द्रों पर और अधिक छात्र जमा हो गए। कुछ छात्र अपने परिजन के साथ आए हुए थे। अधिकारियों को डर है कि कहीं घर जाने के इच्छुक छात्रों के लिये बसें कम न पड़ जाएं। हालांकि कोटा के जनसंपर्क उप निदेशक हरिओम गुर्जर ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें आश्वस्त किया है कि कमी पड़ने पर और बसों का इंतजाम किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि कोटा प्रशासन ने कोचिंग संस्थानों द्वारा दी गई सूचना के आधार पर छात्रों की एक सूची तैयार की थी। इसमें वे छात्र शामिल नहीं थे जो किसी शिक्षण संस्थान में पंजीकरण कराए बगैर पढ़ाई कर रहे हैं। इस कवायद की निगरानी कर रहे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश मिल ने बताया कि लगभग तीन हजार छात्रों को लेकर 100 बसें शनिवार तड़के उत्तर प्रदेश रवाना हो गईं। उन्होंने कहा कि इस सूची में शामिल छात्रों को भेजने की प्रक्रिया जारी है।

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सशस्त्र बलों पर दिया जा रहा विशेष ध्यान

सेना के अधिकारियों ने कहा कि मुंबई में नौसेना के एक महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान में 26 नाविकों का कोरोना वायरस की चपेट में आना इस बारे में एक चेतावनी है कि सशस्त्र बलों के लगभग 15 लाख कर्मियों को महामारी की जद में आने से बचाने के लिए तय किए गए सभी नियमों का कड़ाई से क्रियान्वयन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेना के तीनों अंग पहले ही ‘‘कोई आवागमन नहीं’’ की नीति लागू कर चुके हैं जिसके तहत महत्वपूर्ण संचालन मामलों और रणनीतिक निगरानी से जुड़ी इकाइयों को छोड़कर उनके लगभग सभी प्रतिष्ठान पूर्ण लॉकडाउन के दायरे में लाए जा चुके हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी महामारी से निपटने की सशस्त्र बलों की समूची तैयारी की समीक्षा कर रहे हैं। नौसेना के एक अधिकारी ने कहा कि सात अप्रैल को संक्रमण के पहले मामले का पता चलने के बाद नौसेना ने सभी प्रशिक्षण गतिविधियों को निलंबित करने के साथ ही अपने सभी प्रतिष्ठानों को आदेश दिए हैं कि वे अपने कर्मियों और परिसंपत्तियों के किसी भी तरह के आवागमन को अनुमति न दें। उन्होंने कहा कि नौसेना ने सभी तबादलों और नयी तैनाती को निलंबित करने के साथ छुट्टी पर गए कर्मियों को घर में ही रहने के आदेश दिए हैं। विभिन्न पोतों और अन्य प्लेटफॉर्म पर तैनात कर्मियों से अपने प्रवास को वहीं विस्तारित करने को कहा गया है। इस संबंध में एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘अब हम प्रतिष्ठानों और कमान के भीतर अपने कर्मियों के एक इमारत से दूसरी इमारत में जाने पर रोक लगा रहे हैं। हम प्रतिष्ठानों से बाहर जाने या अंदर आने जैसी गतिविधियों को भी प्रतिबंधित कर रहे हैं।’’ भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा कि वायुसेना मुख्यालय ने कर्मियों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए अपने सभी प्रतिष्ठानों को विशिष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं। भारतीय वायुसेना में अब तक संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस प्रभावित देशों से अपने लोगों को निकालकर लाने के विभिन्न मिशनों पर भेजे गए विमान को भी 14 दिन तक पृथक रखा गया और उसे पूरी तरह ‘‘संक्रमणमुक्त’’ बनाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। थलसेना के एक अधिकारी ने कहा कि 15 लाख कर्मियों को विषाणु से बचाने के लिए बल के सभी प्रतिष्ठानों में ‘‘कठोर प्रोटोकॉल’’ अपनाया जा रहा है। चीन और पाकिस्तान की सीमा से लगते अग्रिम प्रतिष्ठानों के संदर्भ में अधिकारी ने कहा कि वहां तैनात कर्मियों को संक्रमण से बचाने के लिए कड़े नियम अपनाए जा रहे हैं और उन क्षेत्रों में विषाणु के पहुंचने की संभावना कम है। वायरस के संक्रमण की चपेट में आए नौसेना के नाविक मुंबई में आईएनएस आंग्रे में तैनात थे जिनका अब नौसेना के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है।

प्रशांत किशोर ने नीतीश पर कसा तंज

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य के लोग देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए हैं लेकिन जदयू प्रमुख उनका मुद्दा उठाने के बजाय ‘लॉकडाउन की मर्यादा का पाठ’’ पढ़ा रहे हैं। किशोर ने ट्वीट कर दावा किया कि नीतीश शायद इकलौते ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो पिछले एक महीने से लॉकडाउन के नाम पर अपने बंगले से बाहर नहीं निकले हैं। उन्होंने कहा, ‘‘साहेब की संवेदनशीलता और व्यस्तता ऐसी है कि कुछ करना तो दूर इस दौरान बिहार के फँसे हुए लोगों की मदद के लिए आपने किसी राज्य के मुख्यमंत्री से फ़ोन पर भी बात करना ज़रूरी नहीं समझा।’’ किशोर ने कहा, ''देश भर में बिहार के लोग फंसे पड़े हैं और नीतीश कुमार जी लॉकडाउन की मर्यादा का पाठ पढ़ा रहे हैं। स्थानीय सरकारें कुछ कर भी रही हैं, लेकिन नीतीश जी ने सम्बंधित राज्यों से अब तक कोई बात भी नहीं की है। प्रधानमंत्री के साथ बैठक में भी उन्होंने इसकी चर्चा तक नहीं की।’’ कभी नीतीश के विश्वासपात्र रहे लेकिन मतभेदों के चलते जदयू से निकाल दिये गये किशोर ने राजस्थान के कोटा से विद्यार्थियों को वापस लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वहां बसें भेजे जाने पर कुमार द्वारा एतराज जताये जाने संबंधी खबरों का भी हवाला दिया। बिहार के मुख्यमंत्री ने कथित रूप से इसे लॉकडाउन की मर्यादा के खिलाफ बताया है।

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घर-घर जाकर अखबार और पत्रिकाएं पहुंचाने पर रोक

महाराष्ट्र सरकार ने शनिवार को कहा कि राज्य में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों के तहत घर-घर जाकर अखबार और पत्रिकाएं पहुंचाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। राज्य सरकार ने विस्तृत दिशा निर्देश जारी करते हुए उन सेवाओं की जानकारी दी जिन्हें 20 अप्रैल से आंशिक रूप से फिर से शुरू किया जाएगा। सरकार ने बताया कि हालांकि लॉकडाउन के दौरान 20 अप्रैल से प्रिंट मीडिया पर कोई रोक नहीं है लेकिन विषाणु फैलने के खतरे को देखते हुए घर-घर जाकर अखबार और पत्रिका पहुंचाने पर प्रतिबंध होगा।

आगरा में मिले कोरोना वायरस के 24 नये मामले

उत्तर प्रदेश के आगरा में कोरोना वायरस से संक्रमण के 24 नये मामले आने के साथ जिले में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 196 हो गई है। आगरा में कुल पांच लोगों की कोरोना वायरस के संक्रमण से मौत हुई है जबकि 13 लोगों के संक्रमण मुक्त होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी है। जिले में संक्रमित लोगों में 73 का संबंध दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के कार्यक्रम से है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में हुई जांच की रिपोर्ट शुक्रवार रात्रि को प्राप्त हुई जिसकी जिला प्रशासन द्वारा समीक्षा करने के बाद जारी किया गया। जिलाधिकारी पीएन सिंह के अनुसार आगरा में कोरोना संक्रमितों की संख्या अब 196 पर पहुंच गयी है। शुक्रवार रात को एक साथ 24 कोरोना पॉजिटिव मामले आए। ये मामले शहर के अलग-अलग हिस्सों में पूर्व में कोविड-19 मरीजों के संपर्क में आने वालों के हैं। इसके बाद टीम इनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाने में जुट गई है। जिला प्रशासन के मुताबिक कोरोना संक्रमित मरीजों में एसएन अस्पताल के कोरोना पॉजिटिव मिले दो वार्ड ब्बॉय के सात परिजन हैं। इसमें से पांच कौशलपुर, लॉयर्स कॉलोनी और दो कौशलपुर निवासी हैं। वहीं, कोरोना संक्रमित छह लोग गढ़ैया ताजगंज के रहने वाले हैं। ये तबलीग जमात के सदस्यों के संपर्क में आए थे। प्रशासन ने बताया कि तीन कोरोना संक्रमित घटिया आजम खां निवासी डॉक्टर के संपर्क में आए लोग हैं। प्रशासन के मुताबिक शुक्रवार रात एक संक्रमित युवती के स्वस्थ होने पर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी जिससे कोरोना संक्रमण से ठीक हुए लोगों की संख्या 13 हो गयी है। वहीं पारस हॉस्पिटल को सील करने के बाद अस्पताल के संचालक डॉ.अरिंजय जैन और उसके प्रबंधक एसपी यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

20 अप्रैल के बाद लॉकडाउन प्रतिबंधों में कुछ छूट देगी

कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को 20 अप्रैल के बाद लॉकडाउन प्रतिबंधों में कुछ छूट देने का फैसला किया। इनमें आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए उद्योगों के संचालन और आईटी-बीटी क्षेत्र की कंपनियों को 33 प्रतिशत कर्मचारियों को कार्यालय में बुलाने की अनुमति देना शामिल है। वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने संवाददाताओं से कहा, ' राज्य के कोविड-19 प्रभावित उन क्षेत्रों को जिन्हें कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है, में प्रतिबंधों में छूट की अनुमति नहीं दी जाएगी।' उन्होंने कहा, 'यह फैसला किया गया कि जरूरी सामानों के साथ ही बजरी, रेत, सीमेंट और स्टील के परिवहन पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा।' मुख्यमंत्री ने कहा कि निर्माण कार्य में लगे मजदूरों को जहां काम कर रहे हैं, वहीं रहने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के औद्योगिक समूहों और विशेष आर्थिक क्षेत्र अथवा शहरी क्षेत्र की औद्योगिक टाउनशिप के अंतर्गत आने वाले उद्योगों को अनुमति दी जाएगी।

ब्रिटेन में कोरोना वायरस से 888 लोगों की मौत

ब्रिटेन में कोरोना वायरस संक्रमण से और 888 लोगों की मौत होने के साथ ही देश में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या बढ़कर 15,464 हो गयी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है, ‘‘17 अप्रैल, शाम पांच बजे तक कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अस्पतालों में भर्ती लोगों में से 15,464 लोग की मौत हो चुकी है।’’ 

ईरान में मृतकों की संख्या 5,000 के पार

ईरान में शनिवार को कोरोना वायरस से 73 और मौतें हुई हैं, जिससे देश में मृतकों की संख्या 5,031 तक पहुंच गई। इस बीच सरकार ने तेहरान में छोटे व्यवसायों को फिर से अपना काम शुरू करने की अनुमति दी है। पिछले सात दिनों से मौतों की संख्या में कमी आ रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता कियानौस जहानपुर ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि यह लगातार पांचवां दिन है जब नई मौतों की संख्या दोहरे अंक में बनी हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘यह संख्या (73) हाल के दिनों की तुलना में बहुत कम है।’’ उन्होंने मामलों में गिरावट जारी रहने की उम्मीद जतायी। जहानपुर ने कहा कि ईरान के प्रति "दुश्मनी" के बावजूद ईरान ने कोरोना वायरस के खिलाफ ‘‘छोटी जीत’’ हासिल की है। उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी प्रतिबंधों ने ईरान को दक्षिण कोरिया से वायरस परीक्षण किट खरीदने से रोक रखा है। यह उनके उन सभी झूठे दावों के बावजूद हुआ है कि दवाओं का व्यापार प्रतिबंधों के अधीन नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया इस तरह की कार्रवाइयों का न्याय करेगी।’’ जहानपुर ने कहा कि पिछले 24 घंटों में संक्रमण के 1,374 नए मामले सामने आए, जिससे संक्रमितों की कुल संख्या 80,860 हो गई। अस्पताल में भर्ती होने वालों में से 55,987 मरीज ठीक हो चुके हैं और उन्हें छुट्टी दे दी गई है, जबकि 3,513 मरीज गंभीर हालत में हैं। बहरहाल, ईरान सरकार ने पिछले सप्ताह कई प्रांतों में छोटे व्यवसाय शुरू करने के बाद तेहरान में भी छोटे व्यवसायों को फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी है।

दुनियाभर में 22.5 लाख से अधिक लोग संक्रमित

दुनियाभर में 22.5 लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं, जिनमें से करीब आधी संख्या यूरोप में हैं। आधिकारिक स्रोतों से एएफपी द्वारा संकलित आंकड़े के अनुसार यह जानकारी सामने आयी है। 22,51,695 मामलों में कुल 1,54,188 मौतें हुई हैं। महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित यूरोप में संक्रमण के 11,15,555 मामले सामने आये हैं और 97,985 मौतें हुई हैं। अमेरिका में यह वायरस सबसे तेज गति से फैल रहा है, जहाँ संक्रमण के अब तक 7,06,779 मामले सामने आये हैं जिनमें से 37,079 लोगों की मौत हो चुकी है। राष्ट्रीय प्राधिकरणों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से प्राप्त जानकारी के आधार पर एएफपी द्वारा एकत्र किए गए आंकड़े में बताई गई संक्रमण की संख्या की तुलना में वास्तविक संख्या कहीं अधिक हो सकती है। कई देश केवल गंभीर मामले की ही जांच कर रहे हैं।

-नीरज कुमार दुबे

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