Lockdown के 35वें दिन कोरोना से मरने वालों की संख्या पहुँची 1000 के करीब

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दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के पहले 1,000 मामले 42 दिनों में आए लेकिन आठ दिनों में संक्रमित लोगों की संख्या 2,000 से 3,000 हो गयी। सरकार द्वारा साझा किए आंकड़ों से यह तथ्य सामने आया है। राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमण का पहला मामला एक मार्च को सामने आया था।

देश में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या मंगलवार को बढ़कर 937 हो गई और संक्रमितों की तादाद 29,974 पर पहुंच गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के संक्रमण से 51 लोगों की मौत हुयी है और संक्रमण के 1,594 नये मामले सामने आये हैं। देश में अब तक 7,026 मरीज ठीक हो चुके हैं और 22,010 मरीजों का अभी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। संक्रमितों में विदेशियों की संख्या 111 है। मंत्रालय के अनुसार संक्रमित लोगों में से 23.44 प्रतिशत लोग स्वस्थ हुये हैं। एक व्यक्ति विदेश चला गया था। सोमवार शाम से अब तक कुल 51 मरीजों की जान गई है जिनमें से 27 की मौत महाराष्ट्र में, 11 की गुजरात में, सात की मध्य प्रदेश में, पांच की राजस्थान में और एक की मौत जम्मू- कश्मीर में हुई। देश में कोविड-19 से हुई 937 मौतों में से सबसे ज्यादा 369 लोगों की जान महाराष्ट्र में गई है। इसके बाद गुजरात में 162, मध्य प्रदेश में 113, दिल्ली में 54, राजस्थान में 46, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 31-31 मरीजों की मौत हुई है। तेलंगाना में 26 लोगों की मृत्यु हुई है। तमिलनाडु में 24 तो पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में 20-20 मरीजों ने संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया है। बीमारी से पंजाब में 18, जम्मू-कश्मीर में सात, केरल में चार और झारखंड तथा हरियाणा में तीन-तीन लोगों की मौत हुई है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में दो मरीजों ने दम तोड़ा है जबकि मेघालय, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और असम में एक-एक मरीज की मौत हुई है। हालांकि संक्रमण के बारे में राज्य सरकारों के आंकड़ों पर आधारित सूची के मुताबिक मंगलवार को देश में संक्रमित मरीजों की संख्या 29,993 और इससे मरने वालों की संख्या 945 हो गयी है। स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकारों के आंकड़ों में प्रक्रियागत कारणों से अंतर बना हुआ है। मंत्रालय के मंगलवार की शाम को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा पुष्ट मामले महाराष्ट्र में हैं जहां 8,590 लोग कोविड-19 से संक्रमित हैं। इसके बाद गुजरात में 3,548, दिल्ली में 3,108, मध्य प्रदेश में 2,368, राजस्थान में 2,262, उत्तर प्रदेश में 2,043 और तमिलनाडु में 1,937 लोग संक्रमित हैं। आंध्र प्रदेश में कोविड-19 के मामलों की संख्या 1,259 और तेलंगाना में 1,004 हो गई है। पश्चिम बंगाल में मामलों की संख्या 697, जम्मू-कश्मीर में 546, कर्नाटक में 520, केरल में 482, बिहार में 346 और पंजाब में 313 हो गई है। हरियाणा में कोरोना वायरस के 296 मामले सामने आए हैं, जबकि ओडिशा में 118 मामले हैं। झारखंड में 103 और उत्तराखंड में 51 लोग वायरस से संक्रमित हुए हैं। हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में 40-40 मामले हैं तो असम में 38 और छत्तीसगढ़ में 37 मामले हैं। अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में 33 मामले हैं जबकि लद्दाख में इस संक्रमण ने 22 लोगों को अपनी चपेट में लिया है। मेघालय में 12 और पुडुचेरी में आठ मामले हैं जबकि गोवा में कोविड -19 के सात मामले सामने आए हैं। मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो मामले हैं जबकि मिजोरम तथा अरुणाचल प्रदेश में एक-एक मामला है।

भारत में विकसित हो जायेगी त्वरित परीक्षण किट

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिये त्वरित परीक्षण किट का भारत में ही अगले महीने के अंत तक निर्माण शुरु हो सकेगा और इसके साथ ही देश में कोविड-19 के संक्रमण की परीक्षण क्षमता एक लाख प्रतिदिन तक पहुंचाने के लक्ष्य की भी प्राप्ति हो सकेगी। डॉ. हर्षवर्धन ने मंगलवार को जैव प्रौद्योगिकी विभाग और इससे संबंधित शोध संस्थाओं के शीर्ष अधिकारियों के साथ कोरोना वायरस के खिलाफ अभियान में तकनीकी संसाधनों को विकसित करने के लिये चलाये जा रहे कार्यों की समीक्षा बैठक के बाद यह जानकारी दी। मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार डॉ. हर्षवर्धन ने इस दिशा में वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना करते हुये कहा कि देश में आगामी मई के अंत तक स्वदेशी तकनीक पर आधारित त्वरित परीक्षण एंटीबॉडी किट और आरटीपीएस किट का निर्माण शुरु हो जायेगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही मई के अंत तक कोरोना वायरस संक्रमण के प्रतिदिन एक लाख परीक्षण करने के लक्ष्य को प्राप्त करना संभव हो जायेगा। इस दौरान उन्होंने वैज्ञानिकों से कोरोना वायरस का टीका, नई दवा और इलाज की पद्धति एवं अन्य जरूरी चिकित्सा उपकरण विकसित करने के लिए तेजी से काम करने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि टीका विकसित करने संबंधी लगभग आधा दर्जन परीक्षण के प्रयास चल रहे हैं और इनमें से चार उन्नत चरण में हैं। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा इस दिशा में 150 से अधिक स्टार्टअप सॉल्यूशन को सहायता दी जा रही है। बैठक में विभाग की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने कोरोना वायरस संक्रमण के चिकित्सकीय समाधान खोजने की दिशा में जारी प्रयासों की जानकारी दी।

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गैर कोरोना मरीजों की अनिवार्य चिकित्सा सेवायें सुनिश्चित करें

केन्द्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों से कोरोना के संक्रमण से पीड़ित मरीजों के अलावा कैंसर, हृदय रोग और अन्य बीमारियों के मरीजो की अनिवार्य चिकित्सा सेवाओं को बहाल रखने के सभी इंतजाम सुनिश्चित करने को कहा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने मंगलवार को राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर कहा कि लॉकडाउन के दौरान गैर कोरोना मरीजों को डायलसिस या कीमो थैरेपी सहित अन्य अनिवार्य चिकित्सा सेवायें बाधित न हों। उन्होंने कहा कि इसके लिये खासतौर पर निजी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं की बहाली सुनिश्चित करना अनिवार्य है। उन्होंने निजी अस्पतालों में गैर कोरोना मरीजों से कोरोना संक्रमण मुक्त होने का प्रमाण पत्र मांगे जाने की शिकायतों के मद्देनजर राज्य सरकारों से कहा कि कोरोना संक्रमण का परीक्षण कराने के लिये कोई अस्पताल तभी कह सकता है जबकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशानिर्देशों के तहत ऐसा किया जाना जरूरी हो। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के इस दौर में कोविड-19 मरीजों की चिकित्सा सुविधाओं को सुनिश्चित करने की तात्कालिक जरूरत के बीच गैर कोरोना मरीजों की चिकित्सा सेवाओं को भी सुचारू रखना जरूरी है। इसके मद्देनजर सूदन ने राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं को, खासकर निजी चिकित्सा संस्थाओं में बहाल रखने को कहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि कोरोना से इतर अन्य बीमारियों के मरीजों को डायलसिस और कीमोथेरेपी सहित अन्य जरूरी चिकित्सा सुविधायें देने से अस्पतालों में कोरोना संकट के कारण इंकार नहीं किया जाये।

प्लाज्मा थैरेपी या कोई अन्य थेरेपी स्वीकृत नहीं

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस संक्रमण के प्लाज्मा थैरेपी से संभावित इलाज के बारे में मंगलवार को स्पष्ट किया कि उपचार की यह पद्धति अभी प्रयोग के दौर में है और ऐसी किसी भी पद्धति को मान्यता नहीं दी गयी है। स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि परीक्षण के दौर से गुजर रही प्लाजमा थैरेपी के बारे में अभी तक पुष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं जिनके आधार पर यह दावा किया जा सके कि इस पद्धति से कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज किया जा सकता है। इस बीच स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने भरोसा व्यक्त किया कि कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिये त्वरित परीक्षण किट का भारत में ही अगले महीने के अंत तक निर्माण शुरू हो सकेगा। उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी विभाग और इससे संबंधित शोध संस्थाओं के शीर्ष अधिकारियों के साथ कोरोना वायरस के खिलाफ अभियान में तकनीकी संसाधनों को विकसित करने के लिये चलाये जा रहे कार्यों की समीक्षा के आधार पर कहा कि स्वदेशी किट विकसित होने के साथ ही देश में कोविड-19 के संक्रमण की परीक्षण क्षमता एक लाख प्रतिदिन तक पहुंचाने के लक्ष्य की भी प्राप्ति हो सकेगी। अग्रवाल ने देश में कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति की जानकारी देते हुये बताया कि अन्य देशों की तुलना में भारत की स्थिति काफी बेहतर है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के हवाले से बताया कि कोरोना के संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित 20 देशों की तुलना में भारत में संक्रमित मरीजों की मौत 200 गुना कम हुयी है। वहीं, इन देशों में संक्रमण के 84 गुना अधिक मामले दर्ज किये गये हैं। अग्रवाल ने कहा कि अगर आबादी के लिहाज से देखें तो इन 20 देशों की कुल जनसंख्या भारत की जनसंख्या के लगभग बराबर है। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि भारत में संक्रमण रोकने के उपायों को बेहतर तरीके से लागू किया जा सका है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस संक्रमण से देश में अब तक 937 लोगों की मौत हो चुकी है। अग्रवाल ने कोरोना संक्रमण का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज के दावों से उत्पन्न भ्रम के बारे में स्थिति को स्पष्ट करते हुये कहा कि ये दावे गलत हैं दावों और इस तरह की किसी पद्धति को अभी मान्यता नहीं दी गयी है। उल्लेखनीय है कि देश के विभिन्न अस्पतालों में प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना वायरस संक्रमण का उपचार किये जाने के प्रयोग चल रहे हैं। इस पद्धति से इलाज संभव होने के दावों के बीच मंत्रालय ने स्थिति को स्पष्ट करते हुये यह जानकारी दी है। अग्रवाल ने प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के दावों को भ्रामक और गैरकानूनी बताते हुये कहा कि फिलहाल यह पद्धति प्रयोग एवं परीक्षण के दौर में है। उन्होंने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 के इलाज में इस पद्धति की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन शुरु किया है। इसके तहत ही विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में इस पद्धति का परीक्षण किया जा रहा है। अग्रवाल ने कहा, ‘‘आईसीएमआर ने अब तक इस बात की पुष्टि नहीं की है कि कोरोना वायरस के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी कारगर साबित हुयी है। अभी यह दावा करने के पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज किया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि ऐसी किसी भी पद्धति से कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करना मरीज के जीवन के लिये घातक साबित हो सकता है। इसलिये आईसीएमआर द्वारा अध्ययन पूरा होने के बाद पुख्ता प्रमाणों के आधार पर इसे इलाज की पद्धति के रूप में मान्यता दिये जाने तक इसे उपचार का विकल्प नहीं माना जा सकता। अग्रवाल ने कोरोना वायरस के खिलाफ जारी अभियान की प्रगति के बारे में बताया कि देश में अब तक स्वस्थ होने वाले संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 6,868 हो गयी है। यह कुल संक्रमित मरीजों की संख्या का 23.3 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से पहले मरीजों की संख्या दोगुना होने में तीन दिन का समय लग रहा था लेकिन अब यह दर बढ़कर दस दिन हो गयी है। उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान 684 मरीजों को स्वस्थ्य होने पर अस्पताल से छुट्टी दी गयी है। देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के 1543 नये मामले सामने आये हैं, इसके साथ ही संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 29,435 हो गयी है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस संक्रमण से देश में अब तक 934 लोगों की मौत हो चुकी है। अग्रवाल ने बताया कि जिला स्तर पर चलाये जा रहे संक्रमण रोधी अभियान के कारण देश के 17 जिले ऐसे हैं, जिनमें पिछले 28 दिनों से संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है। सोमवार को ऐसे जिलों की संख्या 16 थी। उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल के बाद इस सूची में दो जिले (पश्चिम बंगाल का कलिमपोंग और केरल का वायनाड) जुड़े हैं। वहीं, बिहार के लखीसराय जिले में संक्रमित मरीज मिलने के कारण यह जिला इस सूची से बाहर हो गया है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने मंगलवार को जैव तकनीक विभाग के 18 शोध संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक कर कोरोना वायरस के इलाज और टीके को विकसित करने के लिये जारी शोध कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कोविड-19 के परीक्षण की स्वदेशी किट भी यथाशीघ्र विकसित करने की जरूरत पर बल दिया। अग्रवाल ने बताया कि मंत्रालय ने बेहद मामूली लक्षणों वाले संक्रमित मरीजों को घर में ही पृथक रख कर इलाज और देखभाल करने के बारे में दिशानिर्देश जारी किये हैं। उन्होंने बताया कि ये दिशानिर्देश पिछले दिनों संदिग्ध मरीजों के पृथकवास के बारे में दिये गये दिशानिर्देशों को ही विस्तार देते हुये जारी किये गये हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि बहुत मामूली लक्षणों वाले मरीजों को अस्पताल के बजाय घर में ही पृथक रखना अधिक सुरक्षित होने के कारण यह व्यवस्था दी गयी है। इसमें मरीज और उसकी नियमित देखभाल के लिये निर्दिष्ट व्यक्ति (केयर गिवर) के लिये विशेष सुरक्षा उपाय सुझाये गये हैं। इस बीच डा. हर्षवर्धन ने मंगलवार को दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल, स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन और दिल्ली सरकार एवं स्थानीय निकायों के शीर्ष अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिये समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय राजधानी में कारोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों से उत्पन्न स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। डा. हर्षवर्धन ने दिल्ली में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा है कि एम्स सहित अन्य केन्द्रीय संस्थानों तथा संबद्ध अधिकारियों को राष्ट्रीय राजधानी पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है।

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स्कूलों में इस गर्मी की छुट्टी में भी छात्रों को मध्याह्न भोजन मिलेगा

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 से निपटने के लिये लागू लॉकडाउन के मद्देनजर स्कूलों में इस गर्मी की छुट्टी में भी छात्रों को मध्याह्न भोजन प्रदान किया जायेगा। इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्री ने राज्यों से 10वीं एवं 12वीं बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू करने और सीबीएसई को इस कार्य में मदद करने को कहा। मानव संसाधन विकास मंत्री ने यह टिप्पणी वीडियो कांफ्रेंस के जरिये राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के साथ बैठक में की। निशंक ने कहा, ‘‘लॉकडाउन के दौरान छात्रों को मध्याह्न भोजन योजना के तहत राशन प्रदान किया जा रहा है, ताकि उन्हें पर्याप्त एवं पौष्टिक भोजन मिले। इस गर्मी की छुट्टी में स्कूलों के छात्रों को मध्याह्न भोजन प्रदान करने को मंजूरी दी गई है। इसपर 1600 करोड़ रपये अतिरिक्त खर्च होंगे। इसके अतिरिक्त मध्याह्न भोजन योजना के तहत पहली तिमाही के लिये 2500 करोड़ रुपये का अस्थायी अनुदान जारी किया जा रहा है।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर मध्याह्न भोजन योजना के तहत खाना पकाने पर आने वाले खर्च के मद में केंद्रीय आवंटन (दाल, सब्जी, तेल, मसाला, ईंधन की खरीद) को 7300 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 8100 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो 10.99 प्रतिशत की वृद्धि है। मानव संसाधन विकास मंत्री ने राज्यों से कहा कि वे बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच की प्रक्रिया शुरू करें। उन्होंने कहा, ‘‘मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए और राज्यों की अपने-अपने यहां छात्रों की उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन में सीबीएसई मदद करे। जहां केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय मंजूर हैं, लेकिन जमीन के अभाव या कम क्षमता के कारण शुरू नहीं हो पाये हैं, उन प्रदेशों से आग्रह किया जाता है कि वे जल्द जमीन हस्तांतरित करें।''

गुजरात में 226 नये मामले सामने आये

गुजरात में मंगलवार को कोरोना वायरस के 226 नये मामले सामने आने के बाद राज्य में संक्रमित लोगों की कुल संख्या 3,774 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पिछले 24 घंटे में 19 और लोगों की मौत होने से राज्य में मृतकों की संख्या बढ़कर 181 हो गई है। राज्य में जो नये मामले सामने आये है उनमें से सबसे अधिक 164 मामले अहमदाबाद से है। इसके बाद वडोदरा से 15 और सूरत से 14 मामले सामने आये हैं। प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) जयंती रवि ने बताया कि इस वायरस से अहमदाबाद से 19 और लोगों की मौत हुई है।

औरंगाबाद में चौबीस घंटे में दोगुने हुए संक्रमण के मामले

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में मंगलवार को कोरोना वायरस के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई। शहर में पिछले 24 घंटे में संक्रमण के सौ से अधिक मामले सामने आए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने यहां बताया कि सोमवार शाम तक संक्रमण के 53 मामले थे, जिनकी संख्या मंगलवार शाम को बढ़कर 105 पर पहुंच गई। अधिकारियों ने कहा कि पड़ोस के हिंगोली जिले में कोविड-19 के दो ताजा मामले सामने आए, जिसके बाद कुल मामलों की संख्या बढ़कर 14 हो गई। निकाय आयुक्त आस्तिक कुमार पांडेय ने शहर में कोविड-19 के मामलों में अचानक हुई वृद्धि के बारे में ट्वीट किया। उन्होंने कहा, “अभी हम पहले से अधिक संदिग्धों की जांच कर रहे हैं। कोविड-19 मरीजों के संपर्क में आए लोगों की पहचान करने की औरंगाबाद नगर निगम की क्षमता में वृद्धि हुई है।”

दिल्ली से लगी हरियाणा की सीमा बंद की गयी

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली से लगी राज्य की सीमाओं को बंद कर दिया गया है, लेकिन आवश्यक सेवाओं के लिए अनुमति दी जाएगी। हालांकि, राष्ट्रीय राजधानी से आने वाले लोगों पर सख्त प्रतिबंध होंगे। विज ने कहा कि जहां तक कोविड-19 मामलों का संबंध है, अगर सीमाएं 15-20 दिनों तक बंद रहीं तो हरियाणा अच्छी स्थिति में रहेगा। विज राज्य के स्वास्थ्य मंत्री भी हैं। गुरुग्राम और फरीदाबाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, ‘‘राज्य की सीमाओं को सील कर दिया गया है… आवश्यक सेवाओं के लिए अनुमति दी जाएगी। अगर हरियाणा की सभी सीमाएं 15-20 दिनों के लिए बंद कर दी जाती हैं, तो राज्य अच्छी स्थिति (कोरोना वायरस के खतरे के लिहाज से) में होगा।’’ विज ने बताया कि आवश्यक सेवाओं और उनसे जुड़े लोगों को केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार सीमाओं को पार करने की अनुमति दी जाएगी। गत 25 मार्च को लॉकडाउन लागू होने के बाद राज्य सरकार ने वाहनों और लोगों के सीमा पार करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने कहा, "प्रतिबंध और सख्त होंगे।" विज ने कहा, ‘‘ज्यादातर वे लोग संक्रमित हो रहे हैं, जो दिल्ली में काम करते हैं और हरियाणा में रहते हैं तथा जो लोग उनके संपर्क में आते हैं। हरियाणा में उनके कारण मामले बढ़ रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल सरकार को दिल्ली सरकार के उन कर्मचारियों के ठहरने के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए, जो काम राष्ट्रीय राजधानी में करते हैं लेकिन हरियाणा में रहते हैं। विज ने कहा, "यह दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उनके रहने और खाने की व्यवस्था करे और उनका परीक्षण भी कराए। यदि वे संक्रमित हैं, तो उनका इलाज भी कराए।’’ उन्होंने कहा कि यही बात हरियाणा सरकार के कर्मचारियों के लिए भी है, जो पड़ोसी राज्य से काम करने के लिए आते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उनके ठहरने और भोजन की आवश्यक व्यवस्था करना हमारी जिम्मेदारी है।" यह पूछे जाने पर कि क्या लॉकडाउन तीन मई को हटा दिया जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि उनका व्यक्तिगत मत है कि इसे बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने रेखांकित किया कि राज्य में कोविड-19 की स्थिति नियंत्रण में है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार हरियाणा में कोरोना वायरस के अब तक 296 मामले सामने आए हैं और तीन लोगों की मौत हुयी है।

'राजस्थान मॉडल’ का श्रेय

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि कोरोना महामारी से पैदा संकट से निपटने के लिए उनके राज्य में जो भी काम हुए उसका खुद श्रेय लेने की उन्होंने कभी कोशिश नहीं की। सोमवार को मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘वीडियो-कांफ्रेंस’ में ‘राजस्थान मॉडल’ की तारीफ किए जाने के सवाल पर गहलोत का कहना था कि महामारी से निपटने के लिए राज्य में इस दौरान हुए अच्छे कार्यों का श्रेय वह सभी लोगों को देना चाहेंगे, चाहे वह आम नागरिक हों, राजनीतिक कार्यकर्ता हों या धार्मिक व सामाजिक संगठन। कोरोना वायरस संदिग्धों की जांच सहित हर मामले में अन्य राज्यों से आगे होने का दावा करते हुए गहलोत ने यह खुलासा भी किया कि राज्य सरकार ने अमेरिका से दो अत्याधुनिक मशीनें मंगाई हैं जिनसे कम से कम चार से पांच हजार अतिरिक्त जांच रोज की जा सकेंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अमेरिका की रॉश कंपनी की ‘कोबास 8800’ मशीनों का आर्डर दे चुकी है और इस मई के अंत तक उन्हें यह मशीनें मिल जाएंगी। गहलोत के अनुसार, इनमें से एक जयपुर में तथा दूसरी का उपयोग जोधपुर में होगा। जोधपुर मुख्यमंत्री का गृह जिला भी है। इस विशेष बातचीत में गहलोत ने राज्य में कोरोना महामारी से निपटने के उपायों पर भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा, "हमने इस संकट से निपटने के लिए जो भी उपाय संभव थे, सभी को समय से लागू किया। मैंने न केवल विपक्षी दलों के साथ बैठक की बल्कि हर धर्म के प्रमुख लोगों से, सामाजिक संगठनों से भी बात की। उनसे आग्रह किया कि वह अपने-अपने समाज के लोगों को समझाएं कि इस समय घर पर बैठना कितना जरूरी है। उन लोगों ने मेरी बात मानी। सभी को लगा कि उन्हें साथ लेकर चलने की कोशिश हो रही है।" मुख्यमंत्री का कहना था कि सरकारी मशीनरी को और स्वास्थ्य सेवा में लगे लोगों को इससे काफी मदद मिली। यह कहे जाने पर कि प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में राजस्थान के प्रयासों की तारीफ की है, गहलोत ने टिप्पणी की "मैंने खुद इन कामों का श्रेय लेने की कभी कोशिश नहीं की।" उन्होंने कहा, "जो भी अच्छे काम हुए उसका श्रेय हमने सबको दिया, चाहे वह आम नागरिक हो, सामाजिक या राजनीतिक कार्यकर्ता हों या सामाजिक व धार्मिक संगठन हों।" गहलोत ने स्वीकार किया कि राजस्थान की जिस तरह की सामाजिक व भौगोलिक परिस्थितियां हैं उन्हें देखते हुए जो भी काम हुआ है उससे वह संतुष्ट हैं। उनका कहना था, कि राज्य के पास केवल छ: लैब थीं और जांच के लिए नमूने पुणे और दिल्ली भेजे जा रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘आज हम पांच हजार जांच रोज कर रहे हैं। अभी हम अमेरिका से दो मशीनें और मंगा रहे हैं, जिनसे कम से कम चार से पांच हजार जांच प्रतिदिन और हो सकेंगी। हालांकि जिस कंपनी से हम यह मशीनें मंगा रहे हैं उसने छ: हजार जांच प्रतिदिन का दावा किया है, लेकिन उम्मीद है कि कम से कम चार-पांच हजार जांच तो हो ही सकेंगी।’’ गहलोत ने कहा, "हमने सारे सही कदम उठाए। जांच हमने सबसे ज्यादा की। कोरोना मामलों में मृत्यु दर हमारे यहां सबसे कम 1.7 फीसदी है। देश का औसत 3.3 फीसदी है।" उन्होंने दावा किया कि न केवल मृत्यु दर के मामले में बल्कि हर मामले में राजस्थान राष्ट्रीय औसत से आगे है। गहलोत ने कहा, अभी राजस्थान में संक्रमण के मामले दोगुना होने का समय भी अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक है। हमारे यहां 11 दिन में मामले दो गुना हो रहे हैं जबकि गुजरात में पांच और उत्तर प्रदेश में सात दिन में दो गुना हो रहे हैं और राष्ट्रीय औसत नौ दिन का है। उन्होंने कहा, राज्य में इस बीमारी से ठीक होने वालों की दर भी अन्य राज्यों के मुकाबले अच्छी है। गहलोत ने बताया कि राजस्थान में अब तक 88 हजार लोगों की जांच हो चुकी है। इस हिसाब से अगर देखें तो देश में प्रति दस लाख पर 450 जांच हो रही हैं और राजस्थान में प्रति दस लाख पर 1174 जांच हो रही हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में यह प्रति दस लाख पर 234 है। गहलोत ने कहा, प्रवासी मजदूरों की वापसी के प्रबंधन में भी राजस्थान का कार्य संतोषजनक रहा है। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने दूसरे राज्यों में फंसे हुए राजस्थानी मजदूरों और छात्रों की वापसी के लिए और जो यहां से अपने गृह राज्य जाना चाहते हैं, उनकी व्यवस्था के लिए कल से रजिस्ट्रेशन कराना शुरू किया है और एक दिन में करीब एक लाख साठ हजार लोगों ने अलग अलग राज्यों से वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। उन्होंने कहा, करीब 56 हजार ऐसे हैं जो राजस्थान से बाहर दूसरे राज्यों में जाना चाहते हैं। इस सवाल पर कि हालात कब तक सामान्य होंगे, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह अभी कहना मुश्किल है।’’ उन्होंने विशेषज्ञों का हवाला देते हुए कहा कि यह जून-जुलाई तक खिंच सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक लॉकडाउन हटाने की बात है, हमने 20 अप्रैल से कुछ संशोधित रूप में लॉकडाउन शुरू किया है। इसके तहत 288 जगहों पर सात हजार इकाईयां खुल गई हैं और पचास हजार से अधिक मजदूर काम पर लौट आए हैं।’’ राज्य को केंद्र सरकार के आर्थिक मदद के सवाल पर मुख्यमंत्री का कहना था कि उन्होंने करीब एक महीने पहले राज्यों को तदर्थ रूप से एक लाख करोड रुपए दिए जाने की मांग की थी। इस राशि में से किसी को पांच हजार करोड़ या किसी को दो हजार करोड़ रुपये मिलते जिससे इस संकट का सामना करने में उन्हें आसानी होती, लेकिन उस पर अभी तक कुछ नहीं हुआ। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों द्वारा इस संकट से निपटने के लिए अपने यहां भारी भरकम पैकेज दिए जाने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी ने अपनी जीडीपी का 12 प्रतिशत तो किसी ने 15 प्रतिशत देने की घोषणा की है, लेकिन हमारे यहां केंद्र ने अभी जीडीपी का एक फीसदी भी नहीं दिया है।

सूरत में प्रवासी मजदूरों ने तोड़फोड़ की

गुजरात के सूरत जिले में मंगलवार को अपने घर भेजने की मांग करते हुए सैकड़ों प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतर आए और उन्होंने एक इलाके में निर्माणाधीन एक इमारत में तोड़फोड़ की तथा कुछ वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। पुलिस ने कहा कि सूरत के खजोद इलाके में डायमंड बोर्स कॉम्प्लेक्स के निर्माण ठेकेदारों ने इन मजदूरों को काम पर लगाया था। पुलिस उपायुक्त (जोन-3) विधि चौधरी ने कहा कि जब मजदूरों को पता चला कि उनके ठेकेदार जिला कलेक्टर की अनुमति लेकर निर्माण कार्य को तेज करने के लिए गुजरात के अन्य हिस्सों से और मजदूरों को लेकर आए हैं, तो प्रवासी श्रमिकों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। चौधरी ने कहा, ‘‘वे निर्माण स्थल पर बाहर से आए मजदूरों को देखकर नाराज हो गए। उन्होंने दावा किया कि ये बाहरी लोग कोरोना वायरस का संक्रमण फैला सकते हैं। इसके बाद इन लोगों ने मांग करनी शुरू कर दी कि जब बाहर से यहां मजदूरों को लाने की अनुमति मिल सकती है तो वे हमें अपने गांव जाने की इजाजत क्यों नहीं दे सकते। इसके बाद हिंसक माहौल हो गया।’’ उन्होंने कहा कि नाराज मजदूरों ने निर्माणाधीन स्थल के प्रशासनिक कार्यालय और पास में खड़ी दो कारों को क्षतिग्रस्त कर दिया। अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।’’ इससे पहले सुबह एक अलग घटना में कुछ स्थानीय लोगों ने सूरत के डिंडोली इलाके में लॉकडाउन का पालन कराने की कोशिश कर रहे सुरक्षा बलों पर कथित तौर पर पत्थर फेंके, जिसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। पुलिस उपाधीक्षक (जोन-1) आर पी बरोट ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों पर हमले के मामले में पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है।

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जयशंकर ने ब्रिक्स समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये आयोजित पांच प्रमुख देशों के ब्रिक्स समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया जिसमें मुख्य रूप से कोरोना वायरस महामारी से निपटने में आपसी सहयोग को और अधिक गहरा बनाने पर जोर दिया गया। ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) एक प्रभावशाली समूह है जो 3.6 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। इस समूह का कुल जीडीपी 16 हजार 600 अरब डालर है। ब्रिक्स समूह के सभी देश अभी कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित हैं। अधिकारियों ने बताया कि विदेश मंत्रियों ने कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार पर रोक लगाने के लिये सहयोग बढ़ाने के रास्तों और आर्थिक विकास को बहाल करने की चुनौतियों पर चर्चा की। बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और ब्राजील के विदेश मंत्री अर्नेस्टो अराउजोवेरे ने हिस्सा लिया।

10वीं और 12वीं की लंबित बोर्ड परीक्षा कराना अभी संभव नहीं

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ से कहा कि कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से 10वीं और 12वीं कक्षा की लंबित बोर्ड परीक्षा को आयोजित कराना अभी संभव नहीं है। उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री की अध्यक्षता में राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की हुई बैठक में यह अनुशंसा की। सिसोदिया ने कहा, ''10वीं और 12वीं की लंबित बोर्ड परीक्षाओं को आयोजित कराना अभी संभव नहीं है। छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अगली कक्षा में प्रोन्नत किया जाना चाहिए, जैसे नौवीं और 11वीं कक्षा के छात्रों को किया गया।’’ उप मुख्यमंत्री ने कहा, ''अगले शैक्षणिक सत्र के लिये पाठ्यक्रम को 30 प्रतिशत तक छोटा किया जाना चाहिए और संयुक्त इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (जेईई) और नीट जैसी परीक्षाएं छोटे किए गए पाठ्यक्रम के आधार पर आयोजित की जानी चाहिए।''

छात्र-छात्राओं से योगी ने की बात

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोटा (राजस्थान) वापस आए छात्र-छात्राओं से मंगलवार शाम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की और उनका हाल-चाल जाना। योगी ने सरकारी आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए छात्रों से बात करते हुये कहा कि दुनिया के 200 से ज्यादा देश कोरोना वायरस महामारी की चपेट में हैं। जो देश खुद को सर्वशक्तिमान मानते थे, उनकी भी बुरी स्थिति है। हम सब भाग्यशाली हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के 135 करोड़ लोगों की भलाई के लिए सही समय पर आवश्यक कदम उठाए। आदित्यनाथ ने इस दौरान उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण कोटा में फंसे राज्य के साढ़े 11 हजार से अधिक युवाओं को वापस लाना हमारे लिए बड़ी चुनौती थी। हमने कार्ययोजना बनाकर राजस्थान और भारत सरकार से संवाद स्थापित किया और आप लोगों को आपके घरों तक पहुंचाने में सफल रहे। उन्होंने कहा कि विपत्ति में व्यक्ति का सबसे बड़ा साथी उसका धैर्य होता है, आप सबने धैर्य बनाए रखा, जिसका परिणाम है कि आज आप सब अपने घरों में सुरक्षित हैं। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि कोरोना वायरस की जंग में बचाव और जागरूकता बेहद जरूरी है। कोटा से वापस आए सभी युवा साथी 14 दिनों तक घर पर पृथकवास में रहें और एकदूसरे से दूरी बनाये रखने के नियम का पालन करें। यह आपके और आपके परिवार के लिए अच्छा रहेगा। मुख्यमंत्री योगी ने छात्रों से कहा कि वे अपने घरों में बैठकर अपने पाठ्यक्रम को पूरा कर सकते हैं। सरकार ने प्रदेश में ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था भी की है। हमारा प्रयास है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के तैयारी के लिए प्रदेश के सभी जनपदों में कुछ अच्छे सेंटर स्थापित किए जाएं। जिससे उत्तर प्रदेश के युवा प्रदेश के अंदर ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें, उन्हें प्रदेश से बाहर न जाना पड़े। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि लॉकडाउन के तीसरे दिन ही दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और देश के अन्य राज्यों से 4 लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों का अपने घरों के लिए पैदल निकल पड़ना हम लोगों के लिए बड़ी चुनौती था। इसकी जानकारी मिलते ही हमने सभी जरूरी कदम उठाए और उन श्रमिकों को बसों के माध्यम से उनके जनपद में पहुंचाकर उन्हें पृथक कराया। उन्होंने कहा कि देश के अन्य राज्यों में भी जहां उत्तर प्रदेश के प्रवासी श्रमिक या कामगार हैं, स्वास्थ्य परीक्षण के बाद उन्हें वापस लाने की कार्यवाही हम युद्ध स्तर पर कर रहे हैं।

वाराणसी में 12 नए मामले सामने आये

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 12 नए मामले सामने आये। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित दवा कारोबारी के चार परिजन भी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। इसमें दवा व्यवसायी के पिता, बहन, पत्नी के साथ ही उसकी डेढ़ वर्षीय पुत्री शामिल है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा उसके संपर्क में आने वाले तीन दवा आपूर्तिकर्ता की जांच रिपोर्ट में भी संक्रमण की पुष्टि हुई है। इसके अलावा पहाड़िया इलाके के एक दुकानदार भी संक्रमित पाया गया है। ये भी दवा कारोबारी के संपर्क में आया था। डीएम ने बताया कि रेवड़ीतलाब और भेलूपुर इलाके के तीन लोग भी संक्रमित पाए गए हैं जो जमात के एक सदस्य के संपर्क में आये थे। वहीं सिगरा के काजीपुरा खुर्द के रहने वाले एक अधिवक्ता भी संक्रमित पाये गए हैं। गौरतलब है कि वाराणसी में कोरोना वायरस के अब तक 49 मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है और आठत लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं। मंगलवार की स्थिति के अनुसार वाराणसी में अभी भी संक्रमित कुल 40 मामले हैं। इसके अलावा जिले में हॉटस्पॉट जोन (संक्रमण से ज्यादा प्रभावित क्षेत्र) भी आठ कर दिये गए हैं।

मप्र सरकार ने मुफ्त में बांटे काढ़े के पैकेट

मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा मुफ्त में बांटे जा रहे आयुर्वेदिक काढ़े के पैकेट पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तस्वीर छपी होने पर विपक्षी कांग्रेस ने मंगलवार को आपत्ति जताई जिस पर भाजपा ने कहा कि कांग्रेस हर मुद्दे पर राजनीति कर रही है। कोरोना वायरस के संकट के इस दौर में मध्य प्रदेश सरकार ने लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग एक करोड़ व्‍यक्तियों को मुफ्त में विशेष ‘त्रिकुट चूर्ण’ काढ़ा वितरित करने की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री चौहान ने सोमवार को जीवन अमृत योजना का मंत्रालय में शुभारंभ किया और इसके तहत इस काढ़े के 50-50 ग्राम के पैकेट वितरित किए जा रहे हैं। इस दौरान चौहान ने बताया, 'जीवन अमृत योजना के अंतर्गत आयुष विभाग के सहयोग से मध्‍य प्रदेश लघु वनोपज संघ द्वारा इस काढ़े के 50-50 ग्राम के पैकेट तैयार किए गए हैं। ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में लगभग एक करोड़ व्‍यक्तियों को यह काढ़ा मुफ्त में वितरित किया जा रहा है।' उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस संकट के इस दौर में यह आवश्‍यक है कि हर व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्‍छी रहे, जिससे यह वायरस हमें प्रभावित नहीं कर पाए। हम ऐसे प्रयास करें, जिससे कोरोना वायरस का प्रभाव हो ही नहीं।’’ चौहान ने कहा, ''हमारे ऋषियों एवं वैद्यों ने आयुर्वेद में ऐसी औषधियां बनाई हैं, जिनसे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और हम स्‍वस्‍थ रहते हैं। हमारे आयुष विभाग द्वारा तैयार किया गया विशेष ‘त्रिकुट चूर्ण’ काढ़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में अत्‍यधिक कारगर है। इसे प्रतिदिन तीन से चार बार पिएं।’’ उन्होंने वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के माध्‍यम से प्रदेश के विभिन्‍न जिलों के लोगों से बातचीत कर उन्‍हें इस योजना के बारे में बताया। चौहान ने इस काढ़े को बनाने की विधि भी बताई। उन्होंने कहा, ‘‘पीपल, सोंठ एवं काली-मिर्च को समान मात्रा में मिलाकर तथा कूटकर तैयार किए गए त्रिकुट चूर्ण को 3-4 तुलसी के पत्‍तों के साथ एक लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए, तब लगभग एक-एक कप कुनकुना काढ़ा दिन में तीन से चार बार पिएं।’’ लेकिन, कांग्रेस नेताओं ने इन काढ़े के पैकेटों पर मुख्यमंत्री चौहान की तस्वीर छापने पर सवाल उठाये हैं। मध्य प्रदेश से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य एवं उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने चौहान पर हमला करते हुए ट्विटर पर लिखा, 'माफ़ करिए शिवराज जी। कोरोना से इस जंग में आपका चित्र सरकारी पैकेटों में छपना बहुत ग़लत संदेश है। सरकारी पैकेटों में ऐसा करना दंडनीय अपराध। क्या आपकी अनुमति से हुआ है? नहीं तो जिस अधिकारी के आदेश से हुआ है, उसे दंडित करें।' मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा, 'मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण से कई परिवार के परिवार समाप्त हो गये। 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हमारे जाबांज पुलिस के सिपाही, चिकित्सक अपनी सेवाएं देते हुए शहीद हो गये और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी अपनी तस्वीरें छपवाने में लगे हुए हैं।' उन्होंने आगे लिखा, 'इस तरह के घटनाक्रम की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है।' यादव ने कहा, 'शिवराज जी, तरह-तरह के पोस्टर, होर्डिग और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपने प्रचार में लगे हैं। और अब जो ‘त्रिकुट चूर्ण’ बांटे जा रहे हैं उनमें भी शिवराज की फोटो छपवाकर बांटे जा रहे हैं। उन्हें लोगों को राहत देने से ज्यादा अपनी तस्वीर घर-घर पहुंचाने में दिलचस्पी है। इस तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए।' वहीं, भाजपा का कहना है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। मध्य प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा, 'शिवराज जी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और मुख्यमंत्री होने के नाते इन पैकेटों पर उनकी फोटो छपी है। कांग्रेस हर मुद्दे पर राजनीति कर रही है।' उन्होंने तन्खा को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि वह समझते हैं कि ऐसा करना दंडनीय अपराध है तो वह मुकदमा दर्ज करें।

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अणु की खोज का दावा किया

शिव नाडर विश्वविद्यालय ने मंगलवार को दावा किया है कि उसके शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के कारण हुई श्वांस संबंधी गंभीर समस्या के इलाज की क्षमता वाले रासायनिक अणुओं के एक योग की खोज की है। नोएडा में स्थित इस निजी विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा है कि रसायन विभाग के प्राध्यापक शुभब्रत सेन के नेतृत्व में एक टीम ने इस साल के अंत तक पूर्व नैदानिक शोध पूरा होने की उम्मीद जतायी है, जिसके बाद योग के मानव परीक्षणों के लिए तैयार होने की संभावना है। बयान में कहा गया है कि नये रासायनिक अणु कोविड-19 या अन्य सेवेअॅर अक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) और मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स) से होने वाली सांस संबंधी गंभीर समस्याओं (एडीआरएस) को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह थेरेपी न केवल कोविड -19 को किसी व्यक्ति के फेफड़ों को प्रभावित करने से रोकेगी, बल्कि संक्रमण की चपेट में आ चुके व्यक्ति के फेफड़ों के घावों को भी भर देगी। एडीआरएस की चपेट में आए कोविड-19 के मरीजों को राहत पहुंचाने के लिये या तो वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं हैं या फिर वे प्रभावी साबित नहीं हो रहे हैं। सेन ने कहा, "हमें उम्मीद है कि हमारा चिकित्सीय दृष्टिकोण सांस से संबंधित गंभीर समस्याओं को सुलझाएगा। हमारा उद्देश्य इस वर्ष के अंत तक पूर्व नैदानिक अध्ययनों को पूरा करना है, जिसके बाद इसे मानव शरीर पर आजमाया जाएगा।'

मूडीज ने वृद्धि अनुमान को घटाकर 0.2 प्रतिशत किया

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने मंगलवार को पंचांग वर्ष 2020 के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को घटाकर 0.2 प्रतिशत कर दिया, जबकि मार्च में उसने इसके 2.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई थी। मूडीज को उम्मीद है कि 2021 में भारत की वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत रह सकती है। मूडीज ने ‘ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2020-21 (अप्रैल 2020 में अद्यतन)’ में 2020 के दौरान जी20 देशों की वृद्धि दर के अनुमानों में 5.8 प्रतिशत की कमी की। मूडीज ने कहा कि कोरोना वायरस संकट के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था के बंद होने की आर्थिक लागत तेजी से बढ़ रही है। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया कि जी20 देशों की वृद्धि दर में सामूहिक रूप से 5.8 प्रतिशत की कमी होगी। यहां तक कि सुधार के बाद भी ज्यादातर अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर कोरोना वायरस महामारी से पहले वाले स्तर के मुकाबले कम रहने का अनुमान है। मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2020 में चीन की वृद्धि दर एक प्रतिशत रह सकती है। मूडीज ने कहा, ‘‘भारत ने देशव्यापी लॉकडाउन को 21 दिनों से बढ़ाकर 40 दिनों तक कर दिया, लेकिन अप्रैल के अंत में कृषि कार्यों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिबंधों में छूट दी है। देश ने यह सुनिश्चित किया कि उसके कई हिस्से वायरस से मुक्त रहें। भारत ने विभिन्न क्षेत्रों को खोलने के लिए चरणबद्ध योजना बनाई है।’’

-नीरज कुमार दुबे

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