कांग्रेसी कुचक्र का हिस्सा है प्रधानमंत्री की सुरक्षा के साथ हुआ खिलवाड़

PM Modi security

प्रधानमंत्री के कार्यक्रम और यात्रा की योजना के बारे में पंजाब सरकार को पहले ही जानकारी दी गयी थी। प्रक्रिया के अनुसार, उन्हें सुरक्षा के साथ-साथ आकस्मिक योजना को तैयार रखते हुए इस सम्बन्ध में आवश्यक व्यवस्था करनी होती है।

पांच जनवरी को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ की घटना महज एक चूक नहीं है, बल्कि देश विरोधी ताकतों के साथ मिलकर एक बहुत बड़ा षडयंत्र कांग्रेस पार्टी की ओर से रचा गया। पंजाब सरकार और कांग्रेस पार्टी ने एक कलंक कथा लिखी, जिसके लिए देश कभी माफ नहीं करेगा। शहीदों को सम्मान और पंजाब को विकास की सौगात देने के लिए जाने प्रधानमंत्री के पंजाब में सड़क मार्ग से जाते समय  सुरक्षा में षड्यंत्र की घटना से न सिर्फ पूरा देश स्तब्ध हो गया, बल्कि कांग्रेस की चाल, चरित्र और चेहरा पूरी दुनिया के सामने आ गया। वैसे भी सुरक्षा में लापरवाही को लेकर चरणजीत‍ सिंह चन्नी सरकार पूरी तरह घिरी हुई है। साथ ही कांग्रेस की कुत्सित साजिश, प्रधानमंत्री के प्रति घृणा का भाव और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ती शक्ति को कमजोर करने के लिए भारत विरोधी तत्वों की सांठगांठ ने देश को एकबारगी चिंता में डाल दिया है।  दुखद पहलू तो यह है कि सुरक्षा षड्यंत्र के कारण जिस देश में दो-दो प्रधानमंत्रियों को जान गंवानी पड़ी हो, जिसे अच्छी तरह से जानने वाली पार्टी की ओर से इस तरह की साजिश में शामिल होना, एक गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। शहीदों को सम्मान और पंजाब को विकास की सौगात देने के लिए पंजाब जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोककर कांग्रेस ने शहीदों का अपमान किया है और पंजाब में विकास को भी बाधित किया। दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे सहित 42 हजार करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं की नींव रखने के लिए जाने वाले प्रधानमंत्री को रोककर पंजाब की कांग्रेस सरकार ने यह भी सिद्ध किया कि उसे पंजाब में विकास भी पसंद नहीं है। एक ओर नरेंद्र मोदीजी के नेतृत्व में सबका साथ, सबका विकास हो रहा है, तो दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी विकास में बाधा डालने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

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प्रधानमंत्री की सुरक्षा में जो लापरवाही बरती गई वह सोची समझी साजिश का हिस्सा है। सब कुछ पंजाब की कांग्रेस सरकार और कांग्रेस पार्टी के इशारे पर हुआ है। इसका कारण, पंजाब पुलिस को इस बात की पहले से आशंका थी कि प्रधानमंत्री अगर सड़क मार्ग से यात्रा करते हैं तो किसान उनके लिए बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। इसके बावजूद कांग्रेस की चन्नी सरकार लापरवाह क्यों बनी रही? पंजाब के एडीजीपी (ला एंड आर्डर) ने तीन बार सरकार को किसानों के धरने से रोड ब्लाक होने के बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन पंजाब पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार इसे लेकर एक, तीन और चार जनवरी को बकायदा निर्देश भी दिए गए थे। भारतीय लोकतंत्र में सर्वोच्च पदों पर आसीन लोगों की सुरक्षा में इस तरह की लापरवाही न सिर्फ निंदनीय है, बल्कि पूरी तरह से अस्वीकार्य है। यह पूरा क्षेत्र पाकिस्‍तान के एक दम नजदीक है और कोई भी राष्‍ट्र विरोधी तत्‍व मौके का फायदा उठा सकता था। जब मौसम में सुधार नहीं हुआ तो निर्णय लिया गया कि प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से राष्ट्रीय शहीद स्मारक जाएंगे, जिसमें दो घंटे से अधिक समय लगता है। जब पंजाब के पुलिस महानिदेशक द्वारा आवश्यक सुरक्षा प्रबंधों की आवश्यक पुष्टि के बाद प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से यात्रा के लिए रवाना हुए तो फिर प्रधानमंत्री के काफिले के फ्लाईओवर पर पहुंचने पर प्रदर्शनकारियों ने सड़क को कैसे अवरुद्ध कर दिया था? यह एक गंभीर सवाल है कि सुरक्षा में गंभीर चूक के कारण प्रधानमंत्री को कार्यक्रम में शामिल हुए बिना वापस लौटना पड़ा। जिससे पंजाब के आम जन का नुकसान हुआ है।

प्रधानमंत्री के कार्यक्रम और यात्रा की योजना के बारे में पंजाब सरकार को पहले ही जानकारी दी गयी थी। प्रक्रिया के अनुसार, उन्हें सुरक्षा के साथ-साथ आकस्मिक योजना को तैयार रखते हुए इस सम्बन्ध में आवश्यक व्यवस्था करनी होती है। आकस्मिक योजना को ध्यान में रखते हुए, पंजाब सरकार को सड़क मार्ग से किसी भी यात्रा को सुरक्षित रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात करने चाहिए थे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया था। मामला तब और गंभीर हो जाता है, जब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी टेलीफोन पर बात करने या मामले का समाधान करने को भी तैयार नहीं हुए। पंजाब की सरकार का यह रवैया लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास करने वाले सभी लोगों को स्तब्ध कर देने वाला है। पंजाब की कांग्रेस सरकार ने राज्य में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को विफल करने के लिए हरसंभव हथकंडे अपनाए। ऐसा करने के दौरान उन्होंने यह भी नहीं सोचा कि प्रधानमंत्री, भगत सिंह और अन्य शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले थे और कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखने वाले थे। ऐसी गंदी राजनीति कर पंजाब की कांग्रेस सरकार ने दिखा दिया है कि वह विकास विरोधी है और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति उसके मन में कोई सम्मान नहीं है।

भटिंडा हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कहा गया यह शब्द हर भारतीय के कान में गूंज रहा है-"अपने सीएम को धन्यवाद कहना, कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट आया।" लोग भगवान को धन्यवाद दे रहे हैं, प्रधानमंत्री की रक्षा और दीर्घायु के लिए देशभर में प्रार्थना और अनुष्ठान कर रहे हैं।

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गृहमंत्री अमित शाह जी ने भी कहा, ''पंजाब में आज हुई कांग्रेस-निर्मित घटना इस बात का ट्रेलर है कि यह पार्टी कैसे सोचती और काम करती है? लोगों द्वारा बार-बार ठुकराए जाना उन्हें (कांग्रेस) पागलपन के रास्ते पर ले आया है। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को भारत के लोगों से अपने किए के लिए माफी मांगनी चाहिए।''

कांग्रेस का चेहरा उस समय और भी बेनकाब हुआ पंजाब सरकार के मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने राज्य में विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखे बिना प्रधानमंत्री की वापसी को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया। फिरोजपुर से प्रधानमंत्री की वापसी पर प्रतिक्रिया देते हुये राणा गुरजीत सिंह को भी कहना पड़ा ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और ऐसा नहीं होना चाहिये था। यह हमारे गृहमंत्री और पुलिस महानिदेशक की जिम्मेदारी थी। प्रधानमंत्री पूरे देश का प्रधानमंत्री होता है चाहे वह किसी भी राजनीतिक पार्टी से ताल्लुक रखते हों। ‘वह हमारे प्रधानमंत्री हैं और बड़े नेता हैं।’ जिन परियोजनाओं की आधारशिल प्रधानमंत्री को रखनी थी, उसमें किसी प्रकार की देरी नहीं होनी चाहिए।  पंजाब सरकार के इस मंत्री का बयान ही कांग्रेस पार्टी और चन्नी सरकार को आईना दिखाने के लिए काफी है। देश की जनता भी कांग्रेस को एक फिर से समझ ली है कि यह पार्टी आखिर चाहती क्या है?

हमारे प्रधानमंत्री का ईश्‍वर पर पूर्ण श्रद्धा भाव है। प्रभु श्रीराम व काशी विश्‍वनाथ की असीम कृपा व जनता के अगाध स्‍नेह से कोई अनहोनी नहीं हो सकी। यह कहावत उचित लगता है कि:  

"जाको राखै साईयां, मार सके न कोय।

बाल न बाँका कर सके, जो जग बैरी होय।।"

- डॉ. राकेश मिश्र

कार्यकारी सचिव, पूर्व राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष, भारतीय जनता पार्टी

(पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद महाकौशल)

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