Kartarpur Corridor में मिले बंटवारे के दौरान बिछड़े भाई-बहन, परिवारों ने मिठाई बांटकर मनाया जश्न
81 वर्षीय मोहिंदर कौर, जो कि भारत के पंजाब की रहने वाली हैं, हाल ही में अपने भाई 78 वर्षीय शेख अब्दुल अजीज से मिली। दोनों विभाजन के दौरान एक-दूसरे से अलग हो गए थे। अजीज परिवार से बिछड़कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर चले गए। वहां जाकर अजीज ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया।
आजादी से ठीक पहले 14 और 15 अगस्त 1947 को भारत-पाकिस्तान का विभाजन हुआ था। इस दौरान दो देशों के साथ करोड़ों परिवारों का भी विभाजन हुआ था। भारत से पाकिस्तान जाने और पाकिस्तान से भारत आने के बीच न जाने कितने लोग अपने परिवार से बिछड़ गए थे। 1947 में जो जहाँ रह गया, वो हमेशा के लिए वहीं का होकर रह गया। लेकिन 2019 में करतारपुर कॉरिडोर के खुलने के बाद विभाजन के दौरान बिछड़े लोग एक-बार फिर से अपनों से मिल पा रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण हाल ही में सामने आया है। करतारपुर कॉरिडोर में विभाजन के दौरान बिछड़े भाई-बहन 75 साल बाद एक दूसरे से मिले। दोनों के मिलने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे देखकर लोग काफी भावुक हो गए हैं।
An other separated family meetup at kartarpur Corridor (a Corridor of Peace). Mr sheikh Abdul Aziz and his sister Mohinder kaur who got separated at the time of partition in 1947 met at Gurdwara Sri Darbar Sahib kartarpur.
— PMU Kartarpur Official (@PmuKartarpur) May 20, 2023
Both families were very happy and praised the government pic.twitter.com/TACb7O7SjH
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81 वर्षीय मोहिंदर कौर, जो कि भारत के पंजाब की रहने वाली हैं, हाल ही में अपने भाई 78 वर्षीय शेख अब्दुल अजीज से मिली। दोनों विभाजन के दौरान एक-दूसरे से अलग हो गए थे। पंजाब के रहने वाले सरदार भजन सिंह के बेटे शेख अब्दुल अजीज विभाजन के दौरान उनसे अलग हो गए थे। अजीज परिवार से बिछड़कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर चले गए। वहां जाकर अजीज ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया।
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75 साल बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए मोहिंदर कौर और शेख अब्दुल अजीज के परिवारों को एक-दूसरे के बारे में पता चला और उन्होंने दोनों को मिलवाने का प्लान बनाया। रविवार को दोनों परिवारों ने करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब का दौरा किया, जहाँ मोहिंदर अपने भाई अजीज से मिली। दोनों ने एक-दूसरे को देखते ही गले लगाया और फिर परिवार के अन्य सदस्य एक दूसरे से मिलें। सबने गुरुद्वारा दरबार साहिब पर माथा भी टेका। इसके अलावा दुबारा मिलने की ख़ुशी में मिठाइयां भी बांटी।
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