Veer Savarkar Death Anniversary : किसी के लिए हीरो तो किसी के लिए आज भी विलेन हैं सावरकर, जानिए क्या है असली कहानी ?

Savarkar
प्रतिरूप फोटो
ANI
Prabhasakshi News Desk । Feb 26 2025 11:00AM

वीर सावरकर का नाम भारतीय इतिहास में हमेशा से गर्व के साथ लिया जाता रहा है। हालांकि कुछ साल से देश में उनके नाम पर काफी विवाद छिड़ा हुआ है। कोई सावरकर को हीरो मानता है तो कोई विलेन। इतिहास को पढ़ने के दौरान समझ में आता है कि जिस लिए सावरकर को माफीवीर कहा जाता है

वीर सावरकर का नाम भारतीय इतिहास में हमेशा से गर्व के साथ लिया जाता रहा है। हालांकि कुछ साल से देश में उनके नाम पर काफी विवाद छिड़ा हुआ है। कोई सावरकर को हीरो मानता है तो कोई विलेन। इतिहास को पढ़ने के दौरान समझ में आता है कि जिस लिए सावरकर को माफीवीर कहा जाता है असल में वो खत उन्होंने अपने साथी कैदियों की रिहाई के लिए दिया था। उन्होंने अंग्रेजों के आगे सिर कभी नहीं झुकाया और ना ही कभी खुद के लिए माफी मांगी। उन्होंने अंग्रेजों को लिखे खत में एक सिफारिश करते हुए कहा था कि मेरे बजाय मेरे साथी कैदियों की रिहाई को मंजूर किया जाए।

सावरकर का जन्म और परिवार

भागपुर के नासिक गांव में वीर सावरकर का जन्म 28 मई साल 1883 को हुआ था। उनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर है। राजनीतिज्ञ, वकील, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी और हिंदुत्व दर्शन के सूत्रधार सावरकर के पिता का नाम दामोदर पंत सावरकर और माता का नाम यशोदा सावरकर है। उन्होंने अपने माता-पिता को छोटी उम्र में ही खो दिया था। उनका जन्म एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके भाई का नाम गणेश, नारायण और बहन का नाम मैनाबाई था। सावरकर अपने बहादुरी के कारण ही लोगों के बीच वीर सावरकर के नाम से जाने जाते थे।

शिक्षा और आंदलनों में सहभागिता

विनायक दामोदर सावरकर ने फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे, महाराष्ट्र से बैचलर ऑफ आर्ट्स की पढ़ाई पूरी की। वे द ऑनरेबल सोसाइटी ऑफ़ ग्रेज़ इन, लंदन में बैरिस्टर के रूप में कार्यरत थे। उन्हें इंग्लैंड में लॉ की पढ़ाई करने का प्रस्ताव मिला और उन्हें स्कॉलरशिप की पेशकश भी की गई। उन्हें इंग्लैंड भेजने और अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने में श्यामजी कृष्ण वर्मा ने मदद की। उन्होंने वहां 'ग्रेज इन लॉ कॉलेज' में दाखिला लिया और 'इंडिया हाउस' में शरण ली। लंदन में वीर सावरकर ने अपने साथी भारतीय छात्रों को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए एक संगठन 'फ्री इंडिया सोसाइटी' का गठन किया।

जानिए कैसे हुई सावरकर की गिरफ्तारी ?

पढ़ाई के दिनों से ही विनायक सावरकर ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने का मन बना लिया था। इसलिए वे कम उम्र में देश के स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। अंग्रेजों के नाक में उन्होंने इतना दम कर दिया था कि ब्रिटिश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के कारण वीर सावरकर की ग्रेजुएशन की डिग्री वापस ले ली थी। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में सावरकर हथियारों के इस्तेमाल से भी पीछे नहीं हटे। 13 मार्च 1910 को उन्होंने लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया और मुकदमा चलाने के लिए भारत भेज दिया गया। लेकिन सावरकर जहाज से निकल भागे। हालांकि फ्रांस में उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 

कालापानी की हुई सजा

अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तारी के बाद उन्हें 24 दिसंबर 1910 को अंडमान के कालापानी जेल भेजने की सजा सुनाई गई। जेल में बंद अनपढ़ कैदियों को शिक्षा देने की भी उन्होंने भरपूर कोशिश की। महात्मा गांधी की हत्या मामले में भारत सरकार द्वारा उनपर आरोप लगाया गया था। इसके बाद कोर्ट में चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था। आज ही के दिन यानी 26 फरवरी 1966 को उनका 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया और पंचतत्व में उनका शरीर विलीन हो गया।

All the updates here:

अन्य न्यूज़