कौन है ऋषि अग्रवाल? जिसने 23000 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी को दिया अंजाम

ऋषि को सिंगापुर की भी नागरिकता हासिल है। कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि वह देश में ही है यादे से उड़न छू हो चुका है। जांच एजेंसी सीबीआई का मानना है कि वह भारत में ही है और इसी के चलते लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया है।
देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई ने कार्यवाही करते हुए एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक कृषि कमलेश अग्रवाल समेत अन्य निदेशकों के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया है। जांच एजेंसी का कहना है कि मामले से जुड़े सभी आरोपी भारत में है और उनके खिलाफ एलओसी खोल दी गई है ताकि वह देश छोड़कर ना जा सकें। आपको बता दें जांच एजेंसी ने सभी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी सहित कई अलग-अलग मामलों में केस दर्ज किए हैं। इतने बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में एबीजी शिपयार्ड के जिस ऋषि कमलेश अग्रवाल का नाम आ रहा है वो आखिर है कौन? ऋषि सूरत का रहने वाला है। कांग्रेस का तो यह भी आरोप है कि वो पीएम मोदी का करीबी है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऋषि कमलेश अग्रवाल का संबंध उद्योगपति घराना रुईया बंधु से है। कांग्रेस का यह भी आरोप है कि वर्ष 2007 में जब एबीजी शिपयार्ड को गुजरात सरकार की ओर से 1,21,000 वर्ग मीटर जमीन दी गई थी, तब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। कांग्रेस पार्टी के मुताबिक जब मोदी 2013 में कोरिया के दौरे पर गए थे तो उनके साथ प्रतिनिधिमंडल में ऋषि की भी मौजूदगी थी। ऋषि ने वाइब्रेंट गुजरात में भी बड़े निवेश का वादा किया था। अलग-अलग रिपोर्टों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, ऋषि को सिंगापुर की भी नागरिकता हासिल है। कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि वह देश में ही है यादे से उड़न छू हो चुका है। जांच एजेंसी सीबीआई का मानना है कि वह भारत में ही है और इसी के चलते लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एबीजी शिपयार्ड, एबीजी समूह की अग्रणी कंपनी है जो शिप निर्माण और मरम्मत के कार्य से जुड़ी हुई है। गुजरात की इस कंपनी और एबीजी इंटरनेशनल लिमिटेड को 28 बैंकों के कंसोर्सियम ने कर दिया था, एसबीआई बैंक के अधिकारियों की माने तो कंपनी के खराब प्रदर्शन की वजह से कंपनी के खराब प्रदर्शन की वजह से नवंबर 2013 में उसका खाता एनपीए बन गया था। कंपनी को उबारने की कई कोशिशें हुई हैं लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
इसके बाद कंपनी का फॉरेंसिक ऑडिट कराया गया जिसकी रिपोर्ट साल 2019 में आई। इस कंसोर्सियम की अगुवाई आईसीआईसीआई बैंक कर रहा था। लेकिन देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक बैंक होने के नाते एसबीआई ने सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई। बैंकों को 22842 करोड़ का नुकसान जिसमें सबसे ज्यादा आईसीआईसीआई बैंक को 7,089 करोड़ का नुकसान हुआ था।
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