Pitra Paksha 2025: पितृपक्ष खत्म होते ही पूर्वज लौटते हैं अपने लोक, जानिए इस आध्यात्मिक यात्रा का अनसुना सच

Pitra Paksha 2025
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सर्वपितृ अमावस्या पितरों के लिए धरती पर रहने का आखिरी दिन होता है। इसके बाद पूर्वज अपने स्थान को वापस लौट जाते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि पितृपक्ष खत्म होने के बाद हमारे पूर्वज कहां जाते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि पितृपक्ष खत्म होने के बाद पूर्वज कहां चले जाते हैं।

पितृपक्ष पूर्वजों को याद करने और उनके सम्मान करने का दिन होता है। यह ऐसा समय होता है, जब हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आकर अपने वंशजों को देखते हैं और उनको आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तिथि तक चलता है। सर्वपितृ अमावस्या पितरों के लिए धरती पर रहने का आखिरी दिन होता है। इसके बाद पूर्वज अपने स्थान को वापस लौट जाते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि पितृपक्ष खत्म होने के बाद हमारे पूर्वज कहां जाते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि पितृपक्ष खत्म होने के बाद पूर्वज कहां चले जाते हैं।

पितृपक्ष के बाद कहां जाते हैं पूर्वज

ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्वज एक विशेष लोक में निवास करते हैं, जिसको पितृलोक कहा जाता है। यह लोग पृथ्वी और स्वर्ग के बीच स्थित माना जाता है। जब किसी की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा भी पितृलोक में निवास करती है।

पितृपक्ष के समय यमराज सभी आत्माओं को उनके वंशजों से मिलने के लिए पृथ्वी पर आने की अनुमति देते हैं। पितृपक्ष के समाप्त होने के बाद पृथ्वी लोक के द्वार फिर से बंद हो जाते हैं और सभी पूर्वज अपने स्थान यानी की पितृलोक वापस लौट जाते हैं।

सर्वपितृ अमावस्या की रात को जब पितृ पक्ष समाप्त होते हैं, तो माना जाता है कि सभी पितर अपने लोक यानी की पितृलोक चले जाते हैं। इसी वजह से इस दिन पितरों के लिए भोजन और पानी रखा जाता है।

ऐसा करना एक प्रतीकात्मक क्रिया है, जोकि दर्शाती है कि हम अपने पितरों को प्रेम और सम्मान के साथ विदा कर रहे हैं। माना जाता है कि जब पितर संतुष्ट और प्रसन्न होकर अपने लोक जाते हैं, तो वह अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

वहीं जिन लोगों द्वारा किया गया श्राद्ध कर्म पूर्ण रूप से सफल हो जाता है। उनके पितृ पितृलोक में नहीं बल्कि मोक्ष को प्राप्त कर स्वर्ग के सुख को भोगते हैं या फिर भगवान के निज धाम में रहकर सेवा का अवसर उठाते हैं।

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