Amarnath Yatra 2025: भगवान शिव और मां पार्वती के संवाद की साक्षी है अमरनाथ गुफा, जानिए इसका महत्व

Amarnath Yatra 2025
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हर साल सावन के महीने भगवान शिव के स्वयंभू हिमलिंग के दर्शन होते हैं। भक्त कई किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा करके इस पवित्र गुफा तक पहुंचते हैं। वहीं बर्फ से बने शिवलिंग के दर्शन से व्यक्ति अपने जीवन को धन्य मानते हैं।

अमरनाथ यात्रा का नाम सुनते ही हमारे मन में बर्फ के बीच स्थित भगवान शिव की पवित्र गुफा उभर आती है। वहीं इस यात्रा में हर साल लाखों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं। कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से इस यात्रा पर जाते हैं, उनकी हर मुराद पूरी होती है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। अमरनाथ यात्रा की यह गुफा जम्मू-कश्मीर के हिमालय में करीब 12,756 फीट की ऊंचाई पर मौजूद हैं।

बता दें कि हर साल सावन के महीने भगवान शिव के स्वयंभू हिमलिंग के दर्शन होते हैं। भक्त कई किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा करके इस पवित्र गुफा तक पहुंचते हैं। वहीं बर्फ से बने शिवलिंग के दर्शन से व्यक्ति अपने जीवन को धन्य मानते हैं। बताया जाता है कि भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। तब यही गुफा भगवान शिव और मां पार्वती की संवाद की साक्षी बनी थी। इसलिए इस स्थान को अमरनाथ कहा जाता है। भगवान शिव में आस्था रखने वाले लोग जीवन में एक बार इस यात्रा को जरूर करना चाहते हैं, जिससे उनके पाप मिट जाएं और मोक्ष मिल सके।

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इतिहास

अमरनाथ गुफा की खोज को लेकर कई मत हैं। इतिहास के मुताबिक 1850 में बूटा मलिक नामक गड़रिए ने इस गुफा की खोज की थी। पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब कश्मीर घाटी पानी में डूब गई थी और झील बन गई थी। तब ऋषि कश्यप ने प्राणियों की रक्षा के लिए इस जल को कई नदियों और छोटे-छोटे जल स्त्रोतों से आगे प्रवाहित करने का काम किया। इस दौरान ऋषि भृगु हिमालय यात्रा पर थे, इस दौरान उनको अमरनाथ गुफा और शिवलिंग दिखाई दिया। तब से ही अमरनाथ में भगवान शिव की पूजा की जाने लगी।

महत्व

धार्मिक पुराणों के मुताबिक अमरनाथ गुफा वह जगह है, जहां भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरकथा सुनाई थी। अमर कथा सुनने के बाद भी जो जीव जीवित रह जाता है, वह अमर हो जाता है। इसलिए भगवान शिव ने यहां आकर सब कुछ त्याग दिया था और फिर मां पार्वती को कथा सुनाई थी। बताया जाता है कि भगवान शिव ने अपना वाहन नंदी, नागों और गणों को भी दूर भेज दिया। जिससे कोई इस रहस्य को सुन न सके। लेकिन इस दौरान कबूतर के एक जोड़े ने इस कथा को सुन लिया और तभी से माना जाता है कि वह आज भी अमर हैं। इस कथा के कारण इस गुफा को अमरनाथ गुफा कहा जाता है।

अमरनाथ यात्रा की इतिहास

बता दें कि इस साल अमरनाथ यात्रा की शुरुआत 03 जुलाई से हो रही है और यह 31 अगस्त तक चलेगी। वहीं देशभर से हजारों की संख्या में भक्त इस पवित्र यात्रा में शामिल होते हैं। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। जिससे कि यात्रा निर्बाध रूप से संपन्न हो सके।

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