हटकेश्वर महादेव मंदिर के साथ जुड़ी है एक दिलचस्प कहानी

An interesting story related to the Hatkeshwar Mahadev Temple
कमल सिंधी । Dec 19 2017 1:44PM

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में महादेव घाट पर हटकेश्वर महादेव का चमत्कारिक मंदिर है। खारुन नदी के तट पर स्थित महादेव मंदिर के पीछे त्रेता युग की एक दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में महादेव घाट पर हटकेश्वर महादेव का चमत्कारिक मंदिर है। खारुन नदी के तट पर स्थित महादेव मंदिर के पीछे त्रेता युग की एक दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है। जिसके चलते यहां देशभर ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर खारुन नदी के तट पर होने की वजह से महादेव घाट के नाम से प्रसिद्ध है। रायपुर शहर से 8 किमी दूर स्थित 500 साल पुराना भगवान शिव का यह मंदिर प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।

आस्था के सैलाब में गोता लगाने के लिए श्रद्धालु महादेव घाट पहुंचते हैं। मान्यता है कि तकरीबन 600 साल पुराने इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से भक्तों की हर इच्छा पूरी हो जाती है। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार इस मंदिर में दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। बारिक नक्काशी से सुसज्जित इस भव्य मंदिर की आंतरिक और बाहरी कक्षों की शोभा देखते ही बनती है। पुजारी महेश बताते हैं कि इस मंदिर के मुख्य आराध्य भगवान हटकेश्वर महादेव नागर ब्राह्मणों के संरक्षक देवता माने जाते हैं। गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग के पास ही रामजानकी, लक्ष्मण और बरहादेव की प्रतिमा है।

हनुमानजी अपने कंधे पर शिवजी को लाये थे

भगवान हनुमान जी शिव जी को अपने कंधे पर यहां लेकर आए थे। इस कथा के चलते ही यह मंदिर दूर-दूर तक जाना जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर की मान्यता भगवान श्रीराम के वन गमन के समय हुई थी। वनवास के दौरान जब वे छत्तीसगढ़ के इस इलाके से गुजर रहे थे, तब इस शिवलिंग की स्थापना लक्ष्मणजी के हाथों हुई थी। कहा जाता है कि स्थापना के लिए हनुमानजी अपने कंधे पर शिवजी को लेकर निकल पड़े, बाद में ब्राह्मण देवता को आमंत्रण करने गए तब तक देर हो गई। इधर लक्ष्मणजी देरी होने से क्रोधित हो रहे थे, क्योंकि स्थापना के समय में देर हो गई थी। जहां स्थापना की योजना बनाई थी, वहां न करके स्थापना के समय को देखते हुए खारुन नदी के तट पर ही स्थापना की।

पिंडदान का विशेष पूजन

खारुन नदी के बीचों-बीच जाकर यहां पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान भी किया जाता है। गया और काशी की तरह यहां विशेष पूजा पाठ भी किया जाता है।

कार्तिक-पूर्णिमा पर लगता है मेला

रायपुर शहर की प्रारंभिक बसाहट खारुन नदी के तट पर स्थित महादेव घाट क्षेत्र में हुई थी। रायपुर के कलचुरी राजाओं ने सर्वप्रथम इस क्षेत्र में अपनी राजधानी बनाई थी। राजा ब्रह्मदेव के विक्रम संवत् 1458 अर्थात 1402 ई. के शिलालेखों से ज्ञात होता है कि हाजीराज ने यहां हटकेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कराया था। वर्तमान में खारुन नदी के तट के आस-पास अनेक छोटे-बड़े मंदिर बन गए हैं। लेकिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण हटकेश्वर महादेव का मंदिर है। यह मंदिर बाहर से आधुनिक प्रतीत होता है, किंतु संपूर्ण संरचना को देखने से इसके उत्तर-मध्यकालीन होने का अनुमान किया जा सकता है। यहां कार्तिक-पूर्णिमा के समय एक बड़ा मेला लगता है। महादेव घाट में ही विवेकानंद आश्रम के संस्थापक स्वामी आत्मानंद (1929-1981) की समाधि भी स्थित है।

- कमल सिंधी

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