भगवान शनि को भक्तगण इस तरह कर सकते हैं प्रसन्न
सूर्य देव भगवान शनि के पिता एवं गुरु है। अतः शनि ग्रह की प्रसन्नता हेतु इन दोनों की उपासना अतिशीघ्र लाभकारी है। शनि प्रसन्नता हेतु कुछ मंत्र निम्नलिखित हैं।
सूर्य देव भगवान शनि के पिता एवं गुरु है। अतः शनि ग्रह की प्रसन्नता हेतु इन दोनों की उपासना अतिशीघ्र लाभकारी है। शनि प्रसन्नता हेतु कुछ मंत्र निम्नलिखित हैं। इनमें से शनि का ध्यान कर किसी मंत्र का जाप कर सकते हैं।
मंत्रः
ॐ प्रां प्रीं प्रों सः शनैश्चराय नमः
ॐ शं शनैश्चराय नमः
ॐ खां खीं खौं सः शनये नमः
जपसंख्या 23,000 है। किंतु उत्तम प्रभाव हेतु 4 गुना (92,000ၝ) मंत्र जाप करें।
शनि का यह पौराणिक मंत्र, उनकी पत्नियों ने नाम के साथ ध्यान कर, रोज पाठ करने से शनि प्रसन्न होते हैं।
'नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्ड संम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
शनि के दास नामों का नित्य पाठ करने से शनि पीड़ा कभी नहीं होती।
कोणस्थः पिंगलों वभ्रूः कृष्णों रोद्रान्तकौ यम सौरि शनैश्चरो मन्द पिप्लादीन संस्तुतः।
एतामि दश नामाति प्रातः उत्थाय यः पकेृत शनैश्चरकृता पीड़ा न कदाचिद् भविष्यति।।
शनि साधना संबंधी कुछ महत्वपूर्ण बातें अवश्य ध्यान में रखें। दीर्घकालीन साधना को शनिवार से प्रारंभ कर शनिवार को ही समापन करें। शनि साधना में श्याम या नीले वर्ण की सामग्री प्रयुक्त होती है। लोहा, उड़द, सरसों तेल, काला वस्त्र, कुलची आदि। मंत्र जप में शमी या रूद्राक्ष की माला का उपयोग उत्तम होता है।
जो शनिवार का व्रत करते हैं। वे पीपल के वृक्ष के चारों और कच्चा सूत 7 बार लपेटें। इस समय मन ही मन शनि का कोई भी मंत्र जाप करते रहें। तत्पश्चात पीपल को धूप, दीप, फूल आदि से पूजन कर प्रणाम करें। शनिव्रत कथा या कोई शनि स्त्रोत पाठ भी कर सकते हैं। प्रत्येक शनिवार को पीपल वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करें। शुद्ध दूध, धूप आदि अर्पित करें।
जन्मकुंडली में शनि अनुकूल हो तो एवं नीच का वक्री या निर्बल न हो, ऐसे जातक पुण्य, अनुराधा, उ. भाद्रपद नक्षत्र शनिवार को चार कैरेट का नीलम, विधि अनुसार, मध्यमा उंगली में धारण कर सकते हैं। किन्तु नीलम धारण करने के पश्चात आचरण में शुद्धता रखें। शुभ नक्षत्र युक्त शनिवार को 19 धय लंबा काला धागा, माला बनाकर धारण कर सकते हैं। शनिवार को काले कपड़े में भीगे हुए काले चने, कच्चा कोयला, लोहे का टुकड़ा बांध कर तालाब या नदी में डाल दें। यह प्रत्येक शनिवार को 1 वर्ष तक करें। शनिवार को बंदरों को काले चने, गुड़, केला खिलाएं। काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी रोटी खिलाएं। शनिवार को साबुत उड़द दाल, काले तिल, कंबल, जूता, कुलयी, लोहे की वस्तु काली भैंस जो सुलभ हो यथाशक्ति दान करें।
आचार्य सचिन सब्यसाची
(वास्तु सलाहाकार एवं ज्योतिषी)
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