Jwala Devi Temple: हिमाचल के इस फेमस मंदिर में दिन-रात जलती रहती है ज्वाला, जानिए रोचक बातें

धार्मिक मान्यता है कि कलियुग में ही इस मंदिर में जलने वाली ज्वाला शांत होगी। वहीं जो मां की कृपा व आशीर्वाद पाना चाहते हैं, उनको मंदिर में दर्शन के लिए जरूर जाना चाहिए। ज्वाला देवी मंदिर की महिमा अपने आप में बहुत विशाल है।
धार्मिक मान्यता है कि कलियुग में ही इस मंदिर में जलने वाली ज्वाला शांत होगी। वहीं जो मां की कृपा व आशीर्वाद पाना चाहते हैं, उनको इस मंदिर में दर्शन के लिए जरूर जाना चाहिए। ज्वाला देवी मंदिर की महिमा अपने आप में बहुत विशाल है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इस मंदिर के कुछ रोचक और महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।
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जानिए कब हुआ मंदिर का निर्माण
कांगड़ा में फेमस ज्वालामुखी मंदिर ज्वलंत मुख वाली देवी ज्वाला को समर्पित है। इस मंदिर को अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, देवी-महाकाली, विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका और अंजी देवी के नाम पर 9 स्थायी ज्वालाओं का घर माना जाता है।
इस मंदिर का निर्माण राजा भूमि चंद ने करवाया था। फिर साल 1835 में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसार चंद ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था।
मंदिर की ज्वाला आज भी है एक रहस्य
कांगड़ा के इस फेमस ज्वाला देवी मंदिर में बिना तेल और बाती के 9 ज्वालाएं सदियों से जलती आ रही हैं। यह 9 ज्वालाएं मां दुर्गा के 9 स्वरूपों का प्रतीक मानी जाती हैं। हालांकि इस मंदिर में जलने वाली ज्वाला के पीछे की वजह जानने का काफी प्रयास किया गया। लेकिन इस ज्वाला के जलने के पीछे के सच को आज तक कोई नहीं जान पाता है। लाख प्रयासों के बाद भी वैज्ञानिकों के हाथ कुछ भी नहीं लगा।
इस मंदिर के प्रति भक्तों का विश्वास अटूट है। कहा जाता है कि जो भी जातक इस दिव्य धाम में एक बार दर्शन कर लेता है, उसकी झोली खुशियों से भर जाती है। साथ ही जातक की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
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