Vat Savitri Vrat Katha: जब यमराज को हार माननी पड़ी, जानें सावित्री-सत्यवान की मृत्युंजय प्रेम कथा

Vat Savitri Vrat Katha
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वट सावित्री व्रत सावित्री और सत्यावान की कथा से जुड़ी हुई है। महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के राज्यों में वट सावित्री व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सावित्री सत्यवान की कथा सुने बगैर वट सावित्री व्रत अधूरा माना जाता है।

हिंदू धर्म में हर महीने की पूर्णिमा और अमावस्या तिथि काफी अहम मानी जाती है। वहीं हर महीने की पूर्णिमा और अमावस्या पर खास व्रत किए जाते हैं। वहीं ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत किया जाता है। बता दें कि यह व्रत सावित्री और सत्यावान की कथा से जुड़ी हुई है। महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के राज्यों में वट सावित्री व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सावित्री सत्यवान की कथा सुने बगैर वट सावित्री व्रत अधूरा माना जाता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको वट सावित्री से जुड़ी सावित्री और सत्यवान की कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के मुताबिक राजर्षि अश्वपति की एक बेटी थी, जिसका नाम सावित्री था। कुछ समय बाद उनकी बेटी बड़ी हुई, तो राजर्षि अश्वपति ने बेटी का विवाह करने का सोचा। उन्होंने अपनी बेटी के लिए सुयोग्य वर तलाश करना शुरू कर दी। लेकिन उनको सुयोग्य वर नहीं मिला। जिस पर उन्होंने अपनी बेटी सावित्री से मनचाहा वर ढूंढने के लिए कहा। कुछ समय बाद सावित्री द्युमत्सेन के बेटे सत्यवान से मिलीं।

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इसके बाद सावित्री विवाह की इच्छा लेकर अपने पिता राजर्षि अश्वपति के पास पहुंचीं। वहीं सत्यवान अल्पायु थे, देवर्षि नारद ने इस बात की जानकारी सावित्री के पिता राजा अश्वपति को दी। यह जानकर राजर्षि अश्वपति ने सावित्री से इस शादी को न करने की सलाह दी। लेकिन वह नहीं मानी और उन्होंने विधि अनुसार सत्यवान संग विवाह किया। वहीं शादी के कुछ समय बाद सावित्री के पति की मृत्यु हो गई, जिसके बाद यमराज सत्यवान की आत्मा को धरती से परलोक जाने लगे।

सावित्री ने मांगा वरदान

यह देखकर सावित्री यमराज के पीछे-पीछे चल पड़ीं। यमराज ने सावित्री को रोकने का बहुत प्रयास किया, लेकिन वह नहीं मानी। इसके बाद यमराज ने सावित्री को तीन वरदान मांगने के लिए कहा। पहले वरदान में सावित्री ने अपने दिव्यांग सास ससुर के लिए आंख की ज्योति मांगी। वहीं दूसरे वरदान में सावित्री के अपने पति का खोया राजपाट मांगा। तीसरे वरदान में सावित्री ने कहा कि अगर आप मुझसे प्रसन्न हैं, तो मुझे 100 पुत्रों की मां बनने का आशीर्वाद दें। यह सुनकर यमराज ने तथास्तु कहा।

फिर भी सावित्री यमराज के पीछे-पीछे चलती रहीं। सावित्री को अपने पीछे आते देखकर यमराज ने कहा कि हे देवी मैंने आपको वरदान दे दिया है अब आप मेरे पीछे क्यों आ रही हैं। तब सावित्री ने कहा कि आपने मुझे 100 पुत्रों की मां बनने का वरदान दिया है, लेकिन वह अपने पति के बिना कैसे मां बन सकती हैं। यह सुनकर यमराज स्तब्ध रह गए और उन्होंने फौरन सत्यावान को अपने पाश से मुक्त कर दिया।

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