कार खरीदते समय भारतीय ग्राहकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण फीचर्स

इस सर्वे से यह भी सामने आया है कि शहरी कार खरीदार अब केवल कार के ब्रांड या लुक्स से प्रभावित नहीं होते। वे स्मार्ट निर्णय ले रहे हैं और कार में ऐसे फीचर्स चाहते हैं जो रोजमर्रा की स्थितियों से सीधे जुड़े हों।
आज की तेज़ी से बदलती दुनिया में कारें अब सिर्फ एक लग्जरी नहीं रह गई हैं, बल्कि जीवन की एक अहम जरूरत बन चुकी हैं। कार खरीदते समय भारतीय ग्राहकों की प्राथमिकताएं अब केवल ब्रांड या डिज़ाइन तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि वो स्मार्ट फीचर्स और व्यावहारिक सुरक्षा उपायों पर ध्यान देने लगे हैं। हाल ही में किए गए एक सर्वे ने यह साफ कर दिया है कि भारतीय कार खरीदारों की सोच अब अधिक व्यवहारिक और जागरूक हो चुकी है।
डैशकैम बना सुरक्षा का नया चेहरा
आज जब हम बात करते हैं सुरक्षा की, तो पहला नाम आमतौर पर एयरबैग्स या क्रैश टेस्ट रेटिंग का आता है। लेकिन पार्क+ रिसर्च लैब्स द्वारा दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरी क्षेत्रों में 3,000 कार मालिकों पर किए गए एक सर्वे में यह खुलासा हुआ कि 48% लोगों के लिए सबसे जरूरी फीचर फ्रंट और रियर डैशकैम है।
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यह परिणाम कई मायनों में चौंकाने वाला है क्योंकि यह दर्शाता है कि ग्राहक अब दुर्घटना के बाद सुरक्षा के बजाय, दुर्घटना के सबूत और पूर्व सुरक्षा की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। रोड रेज, हिट एंड रन केस और इंश्योरेंस क्लेम के विवादों में डैशकैम वीडियो एक निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
शहरी ग्राहक अब ज्यादा स्मार्ट और जागरूक
इस सर्वे से यह भी सामने आया है कि शहरी कार खरीदार अब केवल कार के ब्रांड या लुक्स से प्रभावित नहीं होते। वे स्मार्ट निर्णय ले रहे हैं और कार में ऐसे फीचर्स चाहते हैं जो रोजमर्रा की स्थितियों से सीधे जुड़े हों। चाहे वो ट्रैफिक की भीड़ हो या किसी दुर्घटना का सबूत, ग्राहकों की सोच अब 'फ्यूचर रेडी' हो चुकी है।
भारत NCAP की 5-स्टार रेटिंग भी है अहम
32% लोगों ने यह कहा कि उनके लिए भारत NCAP (New Car Assessment Program) की 5-स्टार सेफ्टी रेटिंग बेहद जरूरी है। यह रेटिंग एक वाहन की संरचनात्मक मजबूती और उसमें बैठे वयस्कों और बच्चों की सुरक्षा की स्थिति को दर्शाती है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि ग्राहक अब कार खरीदते समय सिर्फ ब्रांड वैल्यू या माइलेज नहीं देखते, बल्कि गाड़ी की सेफ्टी ग्रेडिंग पर भी भरोसा करते हैं। यह बदलाव वाहन निर्माताओं को और अधिक सुरक्षित और टिकाऊ मॉडल डिजाइन करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
6 एयरबैग
सिर्फ 10% लोगों ने 6 एयरबैग्स को जरूरी माना। इसका मतलब यह नहीं कि ग्राहक सुरक्षा को हल्के में ले रहे हैं, बल्कि यह दिखाता है कि अब एयरबैग जैसी सुविधा एक सामान्य मानक बन गई है। ज्यादातर कंपनियां अपने बेस मॉडल्स में भी 6 एयरबैग्स देने लगी हैं, जिससे यह सुविधा अब खासियत नहीं, बल्कि एक अपेक्षित सुविधा बन चुकी है। ग्राहक अब उससे आगे की बात सोच रहे हैं – जैसे कैमरा आधारित सुरक्षा, इंटेलिजेंट ब्रेकिंग, और अडवांस वॉर्निंग सिस्टम।
ऑल-डिस्क ब्रेक्स
जहां ऑल-डिस्क ब्रेक्स जैसी तकनीकें गाड़ी की ब्रेकिंग परफॉर्मेंस को काफी हद तक बेहतर बनाती हैं, वहीं सिर्फ 8% लोगों ने इसे एक जरूरी फीचर माना। इसकी एक वजह जानकारी की कमी हो सकती है, या फिर यह भी हो सकता है कि ग्राहक इस फीचर को कम प्राथमिकता पर रखते हैं क्योंकि उन्हें इसके फायदों की पूरी समझ नहीं है।
बाकी फीचर्स पीछे छूटे
अन्य एडवांस फीचर्स जैसे ADAS (Advanced Driver Assistance Systems), लेन डिपार्चर वॉर्निंग, ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन, वेंटिलेटेड सीट्स आदि को सिर्फ 2% ग्राहकों ने प्राथमिकता दी। इससे यह साफ है कि आज का ग्राहक उस तकनीक में निवेश करना चाहता है जिसका असर उसके दैनिक अनुभव पर पड़े।
लग्जरी नहीं, अब यह है जरूरत
डैशकैम और 5-स्टार रेटिंग जैसी सुविधाएं पहले लग्जरी मानी जाती थीं, लेकिन अब ये 'जरूरत' बन चुकी हैं। लोग ऐसी चीजें चाहते हैं जो उन्हें असली जिंदगी की समस्याओं से बचा सकें – जैसे ट्रैफिक झगड़े, गलत चालान, या दुर्घटना के समय सबूत जुटाना।
टेक्नोलॉजी का सही उपयोग वहीं होता है जब वह आम आदमी की परेशानी को हल कर सके। यही वजह है कि ग्राहक अब दिखावे से ज्यादा कार्यक्षमता को महत्व दे रहे हैं।
भारतीय कार खरीदार अब पहले से कहीं ज्यादा समझदार और व्यावहारिक हो चुके हैं। वे गाड़ी खरीदते समय केवल लुक्स या ब्रांडिंग नहीं देखते, बल्कि ऐसी तकनीकों को वरीयता देते हैं जो उन्हें रोजाना की परेशानियों से बचा सकें। डैशकैम जैसी सुविधाएं आज सिर्फ एडऑन नहीं, बल्कि आत्मरक्षा का एक स्मार्ट जरिया बन चुकी हैं। यही ट्रेंड भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को एक नई दिशा दे रहा है– जहां लग्जरी फीचर नहीं, बल्कि व्यवहारिक स्मार्ट फीचर्स प्राथमिकता बन चुके हैं।
- डॉ. अनिमेष शर्मा
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