चापलूस कहने पर कंगना रनौत पर भड़कीं स्वरा भास्कर, सोशल मीडिया से कसं तीखें तंज

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रेनू तिवारी । Jul 21 2020 6:45PM

बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत ने हाल ही ने हाल ही में एक टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने बॉलीवुड के काले सच का बखूबी लोगों के सामने रखा पूरे तर्कों के साथ। कंगना ने इस दौरान कई एक्ट्र्रेस को चापलूस भी कहा और उनपर निशाना साधा।

बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत ने हाल ही ने हाल ही में एक टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने बॉलीवुड के काले सच का बखूबी लोगों के सामने रखा पूरे तर्कों के साथ। कंगना ने इस दौरान कई एक्ट्र्रेस को चापलूस भी कहा और उनपर निशाना साधा। कंगना ने तापपी पन्नू और स्वरा भास्कर को आड़े हाथ लेकर उन्हें चापलूस भी कहा। कंगना का ये इंटरव्यू काफी वायरल हो रहा हैं। कंगना के बॉलीवुड के सच को सामने रखने से काफी लोग नाराज भी हो गये हैं। कंगना के हमले के बाद स्वारा भास्कर ने उन्हें सोशल मीडिया पर जवाब दिया हैं। स्वरा ने कंगना का ट्वीट रिट्वीट करते हुए एक के बाद एक ट्वीट किया।

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स्वरा भास्कर ने लिखा- '1955 में ‘पाथेर पांचाली’ के साथ कंगना जी ने parallel cinema चलाया, 2013 में क्वीन फिल्म के साथ फेमिनिज्म शुरू किया पर इन सबसे पहले 1947 में उन्होंने भारत को आजादी दिलवाई थी, कहत एक अज्ञात चापलूस जरूरतमंद, आउटसाइडर, चापलूसी का फल (आम) खाते और उंगलियां चाटते हुए।' स्वरा ने इसके बाद सिलसिलेवार ट्व‍िट्स कर कंगना के पैरेलल सिनेमा वाले तर्क पर डिटेल पेश की है। 

स्वरा के इस जवाब के बाद कंगना की सोशल मीडिया टीम ने भी उन्हें रिप्लाई किया। कंगना ने लिखा- सिनेमा के सुनहरे दौर के वक्त स्वरा या वे कोई भी पैदा नहीं हुए थे. गैंगस्टर माफ‍ियाओं और डॉन्स ने इंडस्ट्री पर कब्जा कर लिया था। 2014 में क्वीन के आने के बाद पैरेलल सिनेमा सामने आया। अगर हम गलत हैं तो हमें सही करें, बताएं क्या हुआ था? 

इसके बाद एक के बाद एक स्वारा ने ट्वीट कर कर के ट्वीट की लाइन लगा दी। स्वरा ने लिखा- कंगना जी & her team,1955 में सत्यजीत रे की पाथेर पांचाली को पैरलेल सिनमा का आग़ाज़ माना जाता है। उनके साथ मृणाल सेन & ऋत्विक घटक इस सिनमा के parents माने जाते हैं। 70 के दशक में न्यू वेव सिनमा आया (मणि कौल, कुमार शाहणी, सईद मिर्ज़ा, श्याम बेनेगल, कुंदन शाह etc.), साथ ही साथ।

साथ साथ Middle cinema में साई परांजपे जी इत्यादि, फ़ारूक़ शेख़ सर, दीप्ति नवल जी, अमोल पालेकर साहब यादगार चेहरे हैं। 2000 के बाद के बदलते बॉलीवुड सिनमा में, मैं पीपली liveभेजा फ़्राई, खोसला का घोंसला को पैरलेल स्पेस में मानती हूँ। क्वीन (2013) मेरे लिए मेन्स्ट्रीम फ़िल्म थी। 

तनु वेड्ज़ मनु के साथ आपने, आनंद राय & हिमांशु शर्मा ने कमर्शल मेन्स्ट्रीम बॉलीवुड को एक नया रूप दिया। kudos! नहीं, क्वीन पैरलेल सिनमा नहीं। रही बात फ़ेमिनिस्ट फ़िल्मों की तो English Vinglish (2012), क्वीन के पहले आयी थी। Sridevi जी & गौरी शिन्दे को श्रेय मिलना चाहिए। 

 

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