सेंसर बोर्ड के फिल्मों के प्रमाणन के सिद्धांत में खामी है: नंदिता दास

There is a flaw in the theory of authentication of the censor board films: Nandita Das
[email protected] । Jan 27 2018 5:25PM

फिल्म निर्माता एवं अभिनेत्री नंदिता दास ने कहा है कि सेंसर बोर्ड के फिल्मों के प्रमाणन के सिद्धांत में खामी है क्योंकि कुछ मुट्ठीभर लोग यह निर्णय नहीं कर सकते हैं कि पूरा देश क्या देखना चाहता है।

जयपुर। फिल्म निर्माता एवं अभिनेत्री नंदिता दास ने कहा है कि सेंसर बोर्ड के फिल्मों के प्रमाणन के सिद्धांत में खामी है क्योंकि कुछ मुट्ठीभर लोग यह निर्णय नहीं कर सकते हैं कि पूरा देश क्या देखना चाहता है। 48 वर्षीय अभिनेत्री ने जयपुर साहित्य महोत्सव में कहा कि यह बहुत ‘खतरनाक’ है कि संस्कृति के कुछ स्व-घोषित संरक्षक लोगों को यह बताते हैं कि क्या सही है और क्या गलत। 

अभिनेत्री ने कहा, “अभी प्रमाणन को लेकर ज्यादा मुद्दे सामने आ रहे हैं। कला के विकास के लिए आजादी की जरूरत होती है। सेंसर बोर्ड और फिल्म के प्रमाणन के सिद्धांत अपने में ही दोषपूर्ण है। कैसे कुछ मुट्ठी भर लोग यह निर्णय ले सकते हैं कि एक राष्ट्र के तौर पर हम लोग क्या देखना चाहते हैं।” 

दिग्गी पैलेस के फ्रंट लॉन में अभिनेत्री ने विस्तार से अपनी आने वाली फिल्म ‘मंटो’ के बारे मे बात की। यह फिल्म मशहूर लेखक सआदत हसन मंटो की बायोपिक है। इस फिल्म में मंटो का किरदार नवाजुद्दीन सिद्दीकी निभा रहे हैं। इस सत्र में अभिनेता भी मौजूद थे। नंदिता ने कहा कि उन्होंने फिल्म के विषय के रूप में मंटो का चुनाव उनके धर्म और राष्ट्रीयता की वजह से नहीं बल्कि लेखक किस चीज के लिए आवाज उठाते थे, इसकी वजह से किया। अभिनेत्री ने कहा, “ मंटो खुद को राष्ट्रीयता और धर्म की पहचान से ऊपर का इंसान मानते थे। वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बड़े हीरो थे।” 

हालांकि अभिनेत्री ने कहा कि वह दोबारा पीरियड फिल्म नहीं बनाएंगी क्योंकि पुराने समय के सेट तैयार करने में ‘अव्यवस्था’ की वजह से काफी मुश्किलें आती हैं। नंदिता ने कहा कि वह मंटो और नवाजुद्दीन के गुस्से, हास्य और अहं भाव में समानता देखती हैं। अभिनेत्री ने इस बात का खुलासा किया कि अभिनेता ने ‘मंटो’ में अभिनय के लिए एक भी पैसा नहीं लिया।

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