विलंब के कारण 347 बुनियादी संरचनाओं की लागत 3.20 लाख करोड़ रुपये बढ़ी

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रिपोर्ट के अनुसार इन परियोजनाओं पर नवंबर 2018 तक 7,97,496.44 करोड़ रुपये खर्च हुए। यह कुल अनुमानित लागत का 37.07 प्रतिशत है।

नयी दिल्ली। विलंब होने तथा अन्य कारणों से 150 करोड़ रुपये से अधिक की 347 बुनियादी संरचना परियोजनाओं की लागत 3.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक बढ़ गयी हैं। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है। मंत्रालय 150 करोड़ रुपये और इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी संरचना परियोजनाओं की निगरानी करता है। मंत्रालय ने नवंबर 2018 के लिये जारी हालिया रिपोर्ट में कहा, ‘‘1,443 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 18,30,362.48 करोड़ रुपये थी जो अब बढ़कर 21,51,136.69 करोड़ रुपये पर पहुंच गयी है। मूल लागत में 3,20,774.21 करोड़ रुपये यानी 17.53 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।’’ इन 1,443 परियोजनाओं में 347 परियोजनाओं की लागत बढ़ी है तथा 360 परियोजनाओं में देरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार इन परियोजनाओं पर नवंबर 2018 तक 7,97,496.44 करोड़ रुपये खर्च हुए। यह कुल अनुमानित लागत का 37.07 प्रतिशत है।

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मंत्रालय ने कहा कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के अनुसार देखा जाए तो विलंबित परियोजनाओं की संख्या कम होकर 302 पर आ गयी है। उसने कहा कि विलंबित 360 परियोजनाओं में से 106 में एक महीने से 12 महीने की देरी हुई है। इनके अलावा 60 परियोजनाओं में 13 से 24 महीने की, 93 परियोजनाओं में 25 से 60 महीने की तथा 101 परियोजनाओं में 61 महीने या इससे अधिक की देरी हुई है।कुल 360 परियोजनाओं में औसतन 44.43 महीने की देरी हुई है। देरी की मुख्य वजहों में भूमि अधिग्रहण, वन मंजूरी तथा उपकरणों की आपूर्ति शामिल है। इसके अलावा वित्तपोषण की दिक्कतें, भूगर्भीय अवरोध, भू-उत्खनन परिस्थितियां, असैन्य कार्यों की धीमी गति, श्रमिकों की कमी, ठेकेदारों द्वारा अपर्याप्त कार्य, नक्सलवाद, अदालती मामले, करार की दिक्कतें, कानून एवं व्यवस्था आदि शामिल हैं।

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