PMC के निलंबित प्रबंध निदेशक का खुलासा, HDIL पर बैंक का 2,500 करोड़ का कर्ज

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[email protected] । Sep 28 2019 1:21PM

भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को नियामकीय कार्रवाई करते हुए पीएमसी प्रबंधन को भंग कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने छह महीने के लिए पीएमसी के कामकाज के लिए प्रशासक नियुक्त किया है। बैंक का कुल बकाया कर्ज करीब 8,400 करोड़ रुपये है जबकि उसके पास कुल 11,630 करोड़ रुपये की जमा है।

मुंबई। पंजाब एंड महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक (पीएमसी) के निलंबित प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस ने शुक्रवार को खुलासा किया कि एचडीआईएल को बैंक ने 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज दिया। उन्होंने कहा कि यह बैंक के कुल कर्ज का करीब एक तिहाई है। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि बैंक के पूर्व प्रबंधन ने गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) के मामले में निदेशक मंडल को अंधेरे में रखा। थॉमस ने संवाददाताओं से कहा कि पिछले छह-सात साल में एचडीआईएल पर बैंक का बकाया कर्ज बढ़कर 2,500 करोड़ रुपये से अधिक हो गया। हालांकि, प्रबंधन ने निदेशक मंडल को इस बात की जानकारी नहीं दी कि उसका सबसे बड़ा ग्राहक पिछले दो-तीन साल से एनपीए हो गया है।

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भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को नियामकीय कार्रवाई करते हुए पीएमसी प्रबंधन को भंग कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने छह महीने के लिए पीएमसी के कामकाज के लिए प्रशासक नियुक्त किया है। बैंक का कुल बकाया कर्ज करीब 8,400 करोड़ रुपये है जबकि उसके पास कुल 11,630 करोड़ रुपये की जमा है। थॉमस ने कहा कि निदेशक मंडल को इस बात की जानकारी नहीं थी कि एचडीआईएल का कर्ज एनपीए हो गया है। उसे इसकी जानकारी नहीं दी गयी। इसका आवंटन केंद्रीय कार्यालय स्तर पर किया गया।

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हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि ऋण आवंटन किसने किया। यहां यह गौर करने की बात है कि पीएमसी बैंक के चेयरमैन वारियम सिंह एचडीआईएल के निदेशक मंडल में 2018 तक नौ साल से अधिक समय तक रहे। उनकी इस कंपनी (एचडीआईएल) में 1.7 प्रतिशत हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा कि एचडीआईएल के पास करीब 2,500 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसमें 30 अगस्त को 96.50 करोड़ रुपये के दिये गये दो ऋण भी शामिल हैं। हालांकि, ये कर्ज पूरी तरह सुरक्षित हैं और इसके बदले ढाई गुणा कीमत की जमीनें व भवन गांरटी के रूप में रखे गये हैं। उन्होंने कहा कि वह इस दौरान किस्तों का भुगतान करते रहे। सिर्फ पिछले दो-तीन साल से वह भुगतान में चूक करने लगे।

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उन्होंने कहा कि ये ऋण इसलिये दिये गये थे ताकि कंपनी बैंक ऑफ इंडिया को बकाया का भुगतान कर एनसीएलटी में जाने से खुद को बचा सके। उन्होंने दावा किया कि मेरा कहना यह है कि अपने सबसे पुराने और बड़े उपभोक्ता एचडीआईएल को एनसीएलटी के पास जाने देने से हम बुरी तरह प्रभावित होते क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया के कारण गारंटी में रखी गयी संपत्ति का अवमूल्यन होता। यह पूछे जाने पर कि इतने लंबे समय तक एचडीआईएल का एनपीए छिपाकर कैसे रखा गया,उन्होंने कहा कि मैं आपको यह नहीं बताने वाला कि हमने इसे कैसे छिपाया। वह रिजर्व बैंक है जो इसे देख नहीं पाया। उन्होंने दावा किया कि रिजर्व बैंक द्वारा कार्रवाई करने के पांच दिन पहले बैंक ने खुद ही केंद्रीय बैंक को इसकी जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि हमारी नियत बहुत स्पष्ट थी। हम तेजी से वृद्धि करना चाहते थे और एनपीए का खुलासा करने से बैंक के ऊपर बुरा असर पड़ता।

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