जले खाद्य तेल से जैव ईंधन उत्पादन की व्यवस्था की जाएगी: धर्मेन्द्र प्रधान

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[email protected] । Feb 13 2019 7:52PM

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा यूरोपीय देशों की तरह हालांकि, हमारे पास इस्तेमाल हो चुके खाने के तेल के उपयोग के लिये कोई नियमन नहीं है लेकिन इस संबंध में हम अब कई उपाय कर रहे हैं।

मुंबई। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बुधवार को कहा कि सरकार  खाना पकाने के जले तेल को जैव-ईंधन के लिए कच्चा माल घोषित करने पर विचार कर रही है जिसे डीजल के साथ मिलाया जा सकता है। सरकार ने जैवईंधन नीति के तहत 2030 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल और डीजल में पांच प्रतिशत जैविकडीजल मिलाने का लक्ष्य रखा गया है। इस्तेमाल के बाद बचे जले हुए खाद्य तेलों तेल को बायोडीजल में परिवर्तित करने वाले संयंत्र का उद्धाटन करने के मौके पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इससे हमें बायोडीजल के लिये काफी हद तक जरूरी कच्चे माल की आपूर्ति में मदद मिलेगी। 

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उन्होंने कहा कि हमने 2030 तक डीजल में पांच प्रतिशत जैवडीजल मिलाने का लक्ष्य तय किया है लेकिन आज हमारे सामने इसके लिये जरूरी कच्चा माल प्राप्त करने की चुनौती है। इसके लिये हमने इस्तेमाल हो चुके कुकिंग आयल की पहचान की है। यह जैवडीजल में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह संयंत्र आस्ट्रिया की स्वच्छ ऊर्जा कंपनी म्युंजेर बायोइंडस्ट्रीज जीएमबी की भारतीय इकाई म्यूंजेर भारत ने लगाया हे। खाना पकाने के बचे तेल से जैवडीजल बनाने वाली यह दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। कंपनी ने भारत में 2016 में काम शुरू किया। 

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प्रधान ने कहा यूरोपीय देशों की तरह हालांकि, हमारे पास इस्तेमाल हो चुके खाने के तेल के उपयोग के लिये कोई नियमन नहीं है लेकिन इस संबंध में हम अब कई उपाय कर रहे हैं। उम्मीद है कि इन प्रयासों के साथ हम जैवडीजल के लिये 20 लाख टन तक फीडस्टॉक तैयार कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार खाने के बचे तेल को प्राथमिक जैवडीजल के तौर पर नामित करने पर भी विचार कर रही है। 

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