केंद्र ने राज्यों से छोटे किसानों की पहचान करने के लिये कहा: नीति आयोग
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को बजट भाषण में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की घोषणा की। इसके तहत दो हेक्टेयर यानी पांच एकड़ तक की जमीन वाले किसानों को प्रति वर्ष छह हजार रुपये दिये जाएंगे।
नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को बजट में घोषित प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ पहुंचाने के लिए छोटे एवं सीमांत किसानों की पहचान करने को कहा है। इस योजना को एक दिसंबर 2018 से लागू किया गया है और मार्च के अंत तक इसकी पहली किस्त चुकायी जानी है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने शनिवार को इसकी जानकारी दी।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अनुमानित 12 करोड़ किसानों की मदद के लिये इस योजना को 20 हजार करोड़ रुपये पहले ही आवंटित कर दिया है। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को बजट भाषण में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की घोषणा की। इसके तहत दो हेक्टेयर यानी पांच एकड़ तक की जमीन वाले किसानों को प्रति वर्ष छह हजार रुपये दिये जाएंगे। कुमार ने पीटीआई भाषा से एक साक्षात्कार में भरोसा जाहिर किया कि पूर्वोत्तर को छोड़ अन्य राज्यों में इस योजना को लागू करने में विशेष दिक्कत नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में इस योजना को लागू करने में कुछ समय लग सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘कृषि मंत्रालय इस प्रस्ताव पर काम कर रहा है और इस कारण वे इस पर मिशन मोड में काम करेंगे। यह एक ऐसी योजना है जिसमें क्रियान्वयन सुनिश्चित करना होगा। हम ऐसा करने में सक्षम होंगे।’’ कुमार ने कहा कि अंतरिम बजट में छोटे किसानों के प्रति सरकार की चिंता दिखाई देती है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ राज्यों में तत्काल आधार पर तैयारियां करनी होंगी और इसी कारण कृषि सचिव ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और कृषि के प्रधान सचिवों को एक फरवरी को पत्र लिखा है।’’
कुमार ने बताया कि कृषि सचिव ने चिट्ठी में सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को गांवों के छोटे किसानों की सूची तैयार करने को कहा है जिसमें किसान का नाम, लिंग और यह जानकारी होगी कि वे एससी/एसटी श्रेणी के तो नहीं हैं। इसे ग्राम पंचायत के नोटिस बोर्ड पर भी लगाया जाएगा ताकि चालू वित्त वर्ष के दौरान जल्दी से जल्दी पैसे वितरित किये जा सकेंगे।
इसे भी पढ़ें- रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका से 73,000 असॉल्ट राइफलों की खरीद को दी मंजूरी
कुमार ने कहा कि अधिकांश राज्यों में जमीन के डिजिटलीकरण का काम शुरू किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश समेत कुछ राज्यों में जमीन के रिकॉर्ड पहले ही डिजिटल किये जा चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब आप तहसील कार्यालय जाएंगे तो आप कंप्यूटर से जमीनों के रिकॉर्ड का प्रिंट निकाल सकते हैं। देश के अधिकांश हिस्से में जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटल बनाया जा चुका है। इस कारण योजना को लागू करना मुश्किल नहीं होना चाहिये।
इसे भी पढ़ें- उपभोक्ता फोरम ने SBI को एक विधवा की मासिक पेंशन राशि देने के निर्देश दिए
उन्होंने कहा कि एक फरवरी तक जमीनों के रिकॉर्ड में जिन किसानों के नाम आ चुके हैं वे इस योजना के लिये योग्य होंगे। कुमार ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में इस योजना को लागू करने में समय लग सकता है क्योंकि वहां जमीनों का स्वामित्व समुदाय के आधार पर होता है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के लिये वैकल्पिक व्यवस्था विकसित की जाएगी और केंद्रीय मंत्रियों की एक समिति इसे मंजूरी देगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय इस योजना को लागू करेगा।
The #AspirationalDistricts Programme is providing targeted development to identified districts of the country. Capturing the spirit of #CompetitiveFederalism, it has achieved notable results with improved performance across all indicators. #BudgetForNewIndia pic.twitter.com/MJ8yh7lVj9
— NITI Aayog (@NITIAayog) February 1, 2019
यह पूछे जाने पर कि सालाना छह हजार रुपये यानी मासिक 500 रुपये की मदद किसानों के लिये पर्याप्त होगी, कुमार ने कहा, ‘‘500 रुपये किसानों के लिये छोटी राशि नहीं है। यदि आप आज के समय में गरीब किसानों के यहां जाए, इस पैसे का इस्तेमाल उपभोग पर किया जा सकता है, इसका इस्तेमाल बच्चों को स्कूल भेजने में किया जा सकता है, इससे सिंचाई के लिये पानी खरीदा जा सकता है।’’
अन्य न्यूज़