कोल इंडिया उत्पादन 12 प्रतिशत तक बढ़ाने को कदम उठाए, बिजली मंत्रालय का कोयला विभाग से अनुरोध

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ANI Twitter.

एक सूत्र ने मंगलवार को कहा, ‘‘बिजली मंत्रालय ने कोयला मंत्रालय से चालू वित्त वर्ष में विद्युत क्षेत्र के लिये कोल इंडिया और एससीसीएल के उत्पादन को कम से कम 10-12 प्रतिशत बढ़ाने के लिये कोयला मंत्रालय से आग्रह किया है ताकि बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके और इसकी कमी न होने पाए।

नयी दिल्ली|  बिजली मंत्रालय ने कोयला मंत्रालय से चालू वित्त वर्ष में कोल इंडिया लि. और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लि. (एससीसीएल) के उत्पादन को 10 से 12 प्रतिशत बढ़ाने को लेकर कदम उठाने का आग्रह किया है

एक सूत्र ने मंगलवार को कहा, ‘‘बिजली मंत्रालय ने कोयला मंत्रालय से चालू वित्त वर्ष में विद्युत क्षेत्र के लिये कोल इंडिया और एससीसीएल के उत्पादन को कम से कम 10-12 प्रतिशत बढ़ाने के लिये कोयला मंत्रालय से आग्रह किया है ताकि बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके और इसकी कमी न होने पाए। इससे देश के आर्थिक पुनरुद्धार में रुकावट की संभावना को समाप्त किया जा सकेगा।

सूत्र ने कहा कि बिजली मंत्रालय ने अनौपचारिक रूप से मामले को कोयला मंत्रालय के समक्ष रखा है। इस बारे में औपचारिक बातचीत जल्द की जाएगी। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की निगरानी वाले 155 तापीय बिजलीघरों में 23 मई, 2022 की स्थिति के अनुसार तय मानकों का 25 प्रतिशत कोयला भंडार था।

इन संयंत्रों की क्षमता 1,64,000 मेगावॉट है। सूत्र ने अनुसार, चालू वित्त वर्ष में विद्युत क्षेत्र के निजी उपयोग वाली खदानों से कोयले का उत्पादन 43 प्रतिशत बढ़कर 12 करोड़ टन तक पहुंचने का अनुमान है। ऐसे में सीआईएल और एससीसीएल से उत्पादन में मात्र चार से छह प्रतिशत वृद्धि की संभावना है।

कोल इंडिया ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिये विद्युत क्षेत्र को 54 करोड़ टन कोयला उपलब्ध कराया जबकि एसईसीएल ने 5.36 करोड़ टन कोयला उपलब्ध कराया है। अनुमानों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में कोल इंडिया बिजली क्षेत्र को 56.5 करोड़ टन टन तथा एससीसीएल 5.7 करोड़ टन कोयला उपलब्ध करा सकती है।

सूत्र ने कहा, ‘‘... जहां एक ओर बिजली क्षेत्र के निजी उपयोग वाली कोयला खदानों से चालू वित्त वर्ष में उत्पादन को 40 प्रतिशत बढ़ाने के लिये यथासंभव प्रयास किया जा रहा है, वहीं कोयला मंत्रालय के तहत आने वाली कोयला खनन कंपनियों को भी अपनी ओर से उत्पादन बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए और उत्पादन में कम से कम 10-12 प्रतिशत बढ़ोतरी करनी चाहिए, ताकि आपूर्ति संकट को दूर किया जा सके।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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