गैस कीमत निर्धारण की समीक्षा कर रही समिति ने रिपोर्ट के लिये और समय मांगा

Gas Pricing
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प्राकृतिक गैस की कीमत निर्धारण की समीक्षा के लिये सरकार की तरफ से गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिये और समय मांगा है। समिति को उत्पादकों के साथ-साथ उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं के बीच संतुलन साधने की बड़ी चुनौती है।

प्राकृतिक गैस की कीमत निर्धारण की समीक्षा के लिये सरकार की तरफ से गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिये और समय मांगा है। समिति को उत्पादकों के साथ-साथ उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं के बीच संतुलन साधने की बड़ी चुनौती है। पूर्ववर्ती योजना आयोग के सदस्य रहे किरीट एस पारेख की अध्यक्षता वाली समिति को अंतिम उपभोक्ताओं के लिये उपयुक्त मूल्य के बारे में सुझाव सितंबर के अंत तक देना था।

मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने कहा कि इसकी अहमियत को देखते हुए समिति ने रिपोर्ट के लिये 30 दिन और मांगे है लेकिन सरकार चाहती है कि अक्टूबर के मध्य तक काम पूरा हो जाए। सूत्रों ने कहा कि पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन के विदेश यात्रा से अगले सप्ताह लौटने के बाद रिपोर्ट देने को लेकर समयावधि बढ़ाने के बारे में अंतिम निर्णय किया जाएगा। प्राकृतिक गैस एक जीवाश्म ऊर्जा स्रोत है जो पृथ्वी की सतह के नीचे गहराई से निकाली जाती है।

इसका उपयोग बिजली, उर्वरक उत्पादन, वाहन चलाने के लिये उसे सीएनजी में परिवर्तित करने और खाना पकाने की गैस आदि में किया जाता है। इसकी कीमतें पिछले साल तक नरम थीं। लेकिन हाल के महीनों में इसमें तेजी आई है। इससे सामान्य रूप से उपयोगकर्ता उद्योगों और शहरों में वाहनों को सीएनजी तथा घरों में पाइप के जरिये गैस वितरण (पीएनजी) करने वालों की उत्पादन लागत बढ़ गई है। ऊंची महंगाई दर को देखते हुए सरकार ने देश में उत्पादित गैस की कीमतें तय करने के तरीके की समीक्षा करने के लिये समिति का गठन किया।

समिति में गैस उत्पादक संघ के प्रतिनिधियों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी, ओआईएल, शहरों गैस वितरण से जुड़ी कंपनियों में से एक के सदस्य, गैस कंपनी गेल, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के प्रतिनिधि और उर्वरक मंत्रालय के सदस्य शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि समिति की अबतक दो बैठकें हो चुकी हैं लेकिन वह अपनी सिफारिश को अंतिम रूप नहीं दे पायी है।

नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 में स्थानीय स्तर पर उत्पादित गैस की कीमत के लिये गैस अधिशेष वाले देशों में मूल्यों के आधार पर फार्मूला तय किया। इसके आधार पर अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे अधिशेष गैस वाले देशों में मूल्य के आधार पर प्रत्येक छह महीने... एक अप्रैल और एक अक्टूबर...में दरें तय की जाती हैं। इसमें मूल्य एक साल में एक तिमाही के अंतर पर लिया जाता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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