इस्पात व खनन क्षेत्रों के लिए स्वतंत्र नियामक की वकालत

सरकारी शोध संस्थान नीति आयोग ने देश में इस्पात व खनन क्षेत्रों के लिए स्वतंत्र नियामक बनाने का समर्थन किया है ताकि इन दोनों उद्योगों को लाभप्रद बनाया जा सके।

सरकारी शोध संस्थान नीति आयोग ने देश में इस्पात व खनन क्षेत्रों के लिए स्वतंत्र नियामक बनाने का समर्थन किया है ताकि इन दोनों उद्योगों को लाभप्रद बनाया जा सके। इसके साथ ही आयोग ने नयी व गतिशील इस्पात नीति का समर्थन किया है ताकि 100 अरब डालर से अधिक राशि के इस उद्योग को पटरी पर लाया जा सके और 2025 तक 30 करोड़ टन के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाए।

आयोग ने एक परिपत्र में कहा है, ‘चूंकि इस्पात नियंत्रणमुक्त क्षेत्र है, प्रभावी नियमन के लिए एक स्वतंत्र नियामक की जरूरत है जिसका फिलहाल अभाव है।’ इसके अनुसार, 'इसी तरह खनन क्षेत्र में हालांकि एनएमडीसी को नियामक के रूप में काम करना चाहिए लेकिन चूंकि यह खुद लौह अयस्क खनन में कार्यरत है जिससे हितों का टकराव हो सकता है। इसलिए खनन क्षेत्र में भी नये स्वतंत्र नियामक की जरूरत है।’ इस्पात कंपनियों की बिगड़ती वित्तीय हालत के बारे में नीति आयोग ने कहा है कि आपूर्ति व मांग कारकों के चलते बीते कुछ वर्षों से कंपनियों पर भारी ऋण भार है। यह परिपत्र नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत व नीति आयोग पेशेवर रिपुंजय बंसल ने तैयार किया हे।

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