रिजर्व बैंक के गवर्नर की नियुक्ति से जुड़ी जानकारी साझा नहीं करेगी सरकार

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[email protected] । Mar 26 2019 5:17PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने 11 दिसंबर, 2018 को दास को तीन साल के लिए केंद्रीय बैंक का गवर्नर नियुक्त करने को मंजूरी दी थी।

नयी दिल्ली। सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की नियुक्ति से संबंधित ब्योरे की जानकारी देने से इनकार कर दिया है। सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई)के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में सरकार ने पारदर्शिता कानून का उल्लेख किया है जो कि इस तरह के खुलासे से रोकता है। सरकार ने इस संबंध में मंत्रिपरिषद के सदस्यों, सचिवों और अन्य अधिकारियों के बीच हुए विचार विमर्श के बारे में बताने से मना कर दिया। आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में सरकार ने गवर्नर पद के लिए छांटे गए उम्मीदवारों तथा नियुक्ति को लेकर फाइल नोटिंग के बारे में भी बताने से इनकार कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने 11 दिसंबर, 2018 को दास को तीन साल के लिए केंद्रीय बैंक का गवर्नर नियुक्त करने को मंजूरी दी थी।

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सरकार के साथ विवाद के बीच उर्जित पटेल द्वारा गवर्नर पद से इस्तीफे के बाद दास की नियुक्ति की गई थी। इस संवाददाता ने वित्तीय सेवा विभाग के पास इस बारे में आरटीआई आवेदन किया था। इसमें गवर्नर की नियुक्ति के बारे में जारी विज्ञापन, सभी आवेदकों के नाम तथा शीर्ष पद के लिए छांटे गए नामों का ब्योरा मांगा गया था।  आरटीआई आवेदन में उम्मीदवार को छांटने वाली खोज समिति और गवर्नर का नाम तय करने के लिए हुई बैठक का भी ब्योरा मांगा गया था।

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अपने जवाब में वित्तीय सेवा विभाग ने कहा है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर का चयन मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने वित्तीय क्षेत्र नियामकीय नियुक्ति एवं खोज समिति (एफएसआरएएससी) की सिफारिश पर किया है। विभाग ने कहा कि इस समिति के प्रमुख कैबिनेट सचिव थे। समिति के अन्य सदस्यों में प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव और संबंधित विभाग के सचिव के अलावा तीन बाहरी विशेषज्ञ शामिल थे। बाद में समिति ने आरटीआई आवेदन को कैबिनेट सचिवालय को भेज दिया था। कैबिनेट सचिवालय ने अपने जवाब में कहा है कि सूचना के अधिकार कानून की धारा 8(1) (आई) के तहत रिजर्व बैंक गवर्नर की नियुक्ति से संबंधित ब्योरे को साझा नहीं करने की छूट है। यह धारा कैबिनेट के दस्तावेजों मसलन मंत्रिपरिषद, सचिवों तथा अन्य अधिकारियों के बीच हुए विचार विशर्म का खुलासा करने से रोकती है। 

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