सरकार अति-सक्रिय पनबिजली नीति लाएगी: पीयूष गोयल

पनबिजली क्षेत्र की अटकी पड़ी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिये सरकार का इरादा पवन एवं सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय क्षेत्र की परियोजनाओं को मिलने वाले लाभ 25 मेगावाट से अधिक क्षमता वाली पनबिजली परियोजनाओं को भी उपलब्ध कराने का है।

वडोदरा। पनबिजली क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक नयी नीति बनाने पर विचार कर रही है। पनबिजली क्षेत्र की अटकी पड़ी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिये सरकार का इरादा पवन एवं सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय क्षेत्र की परियोजनाओं को मिलने वाले लाभ 25 मेगावाट से अधिक क्षमता वाली पनबिजली परियोजनाओं को भी उपलब्ध कराने का है। बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘‘हम एक अति-सक्रिय पनबिजली नीति लाने पर विचार कर रहे हैं ताकि ठप पड़ी परियोजनाओं को गति दी जा सके और पवन एवं सौर जैसे नवीकरणीय उर्जा स्रोतों के क्षेत्र में दिया जाना वाला फायदा 25 मेगावाट से अधिक क्षमता की पन बिजली परियोजनाओं को देने की संभावनाओं को तलाशा जा सके।’’ उन्होंने कहा कि सरकार इस नीति को सभी हितधारकों से परिचर्चा के बाद लाएगी। 

बिजली मंत्रालय के एक प्रस्ताव के अनुसार अब तक 25 मेगावाट क्षमता तक के पनबिजली संयंत्रों को लघु पनबिजली परियोजनाओं के तौर पर श्रेणीबद्ध किया गया है और इन्हें नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को मिलने वाले फायदे उपलब्ध हैं। देश में 150 गीगावाट पनबिजली उत्पादन की संभावनायें मौजूद हैं जिसमें से 50 गीगावाट अकेले अरुणाचल प्रदेश में ही पैदा हो सकती है। बिजली मंत्रालय ने इससे पहले कहा था कि 12वीं योजना में पनबिजली से पैदा होने वाली कुल 10,897 मेगावाट में से 4,371 मेगावाट पनबिजली उत्पादन क्षमता को जोड़ने का काम पूरा नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘‘यदि पनबिजली को भी नवीकरणीय ऊर्जा श्रेणी में शामिल कर दिया जाता है तो हमारी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वर्ष 2022 तक 225 गीगावाट तक पहुंच जायेगी।’’ गोयल ने कहा कि पूरी दुनिया में पनबिजली परियोजनाओं को नवीकरणीय ऊर्जा श्रेणी में रखा जाता है। केवल भारत में ही यह व्यवस्था है कि 25 मेगावाट से कम क्षमता की पनबिजली परियोजनाओं को ही नवीकरणीय माना जाता है इससे अधिक क्षमता की परियोजनाओं को इससे अलग माना जाता है।

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