Kharif season में उर्वरक की कमी नहीं होगी, शुरुआती स्टॉक, स्थानीय उत्पादन पर्याप्त : सरकार

Kharif
प्रतिरूप फोटो
Google Creative Commons

मंत्री ने कहा कि देश को खरीफ (गर्मी में बोई जाने वाली) फसलों की मांग को पूरा करने के लिए हाजिर बाजार से यूरिया आयात करने की जरूरत संभवत: नहीं पड़ेगी, क्योंकि दीर्घावधि के आपूर्ति समझौतों के तहत आयात किया जा रहा यूरिया आ जाएगा।

रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने बुधवार को कहा कि आगामी खरीफ बुवाई के मौसम में उर्वरकों की कोई कमी नहीं होगी क्योंकि घरेलू उत्पादन और बचा हुआ स्टॉक मिट्टी के पोषक तत्वों की स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा। मंत्री ने कहा कि देश को खरीफ (गर्मी में बोई जाने वाली) फसलों की मांग को पूरा करने के लिए हाजिर बाजार से यूरिया आयात करने की जरूरत संभवत: नहीं पड़ेगी, क्योंकि दीर्घावधि के आपूर्ति समझौतों के तहत आयात किया जा रहा यूरिया आ जाएगा।

हालांकि, उन्होंने कहा, स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए डीएपी (डी-अमोनियम फॉस्फेट) का कुछ आयात किया जायेगा। मांडविया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘आगामी खरीफ मौसम में उर्वरकों की कोई कमी नहीं होगी। हमारे पास अगले महीने की शुरुआत में बचा हुआ स्टॉक होगा और अगले वित्त वर्ष के अप्रैल और सितंबर के बीच अनुमानित घरेलू उत्पादन खरीफ मौसम के दौरान मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा।’’ उन्होंने कहा कि देश को हाजिर बाजार से यूरिया और एनपीके आयात करने की जरूरत नहीं होगी।

मांडविया ने बताया कि मंत्रालय द्वारा आगामी खरीफ सत्र के लिए उर्वरक की मांग और आपूर्ति की योजना पहले ही बना ली गई है। खरीफ सत्र में फसलों की बुवाई मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है। इस मौसम की धान और कपास, दालें और सोयाबीन प्रमुख फ़सलें हैं। मांडविया ने विवरण देते हुए कहा कि खरीफ सत्र के लिए यूरिया की अनुमानित आवश्यकता 179 लाख टन है, जबकि कुल उपलब्धता 194.31 लाख टन होगी, जिसमें एक अप्रैल तक 55 लाख टन का शुरुआती स्टॉक और अगले छह महीने के दौरान 139.31 लाख टन का उत्पादन शामिल है।

इसी तरह, डीएपी का शुरुआती स्टॉक 25 लाख टन है और उत्पादन 20 लाख टन होने का अनुमान है, जिससे खरीफ सत्र के लिए कुल उपलब्धता 45 लाख टन हो जाती है। उन्होंने कहा कि खरीफ के लिए डीएपी की आवश्यकता 58.82 लाख टन होने का अनुमान है, उन्होंने कहा कि अंतर को आयात के माध्यम से भर दिया जाएगा। एनपीकेएस के लिए, खरीफ फसलों के लिए उर्वरकों की कुल आवश्यकता 63.72 लाख टन है, जबकि कुल उपलब्धता 77.15 लाख टन होगी, जिसमें 28 लाख टन का शुरुआती स्टॉक और 49.15 लाख टन का अनुमानित उत्पादन शामिल है।

आयात के बारे में पूछे जाने पर मांडविया ने कहा, ‘‘हमें खरीफ सत्र के लिए यूरिया और एनपीके उर्वरकों के आयात की जरूरत नहीं होगी। थोड़ी मात्रा में डीएपी आयात करने की जरूरत होगी। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 91.36 लाख टन यूरिया, 54.62 लाख टन डीएपी, 24.60 लाख टन एमओपी (म्यूरेट ऑफ पोटाश) और 11.70 लाख टन एनपीके उर्वरकों का आयात किया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़