वोडाफोन की कंपनियों पर जुर्माना लगाने के मामले में दखल से High Court का इनकार

High Court
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भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने वोडाफोन की इन दोनों इकाइयों पर रिलायंस जियो इंफोकॉम को इंटर-कनेक्टिविटी सुविधा देने से कथित तौर पर मनाकरने पर यह जुर्माना लगाने की सिफारिश की थी। वोडाफोन और जियो के बीच हुए इंटर-कनेक्टिविटी समझौते के तहत यह सुविधा दी जानी थी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने वोडाफोन की दो कंपनियों पर 1,050 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के दूरसंचार नियामक ट्राई के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने वोडाफोन की इन दोनों इकाइयों पर रिलायंस जियो इंफोकॉम को इंटर-कनेक्टिविटी सुविधा देने से कथित तौर पर मनाकरने पर यह जुर्माना लगाने की सिफारिश की थी। वोडाफोन और जियो के बीच हुए इंटर-कनेक्टिविटी समझौते के तहत यह सुविधा दी जानी थी। वोडाफोन की तरफ से 21 अक्टूबर, 2016 को जारी इस निर्देश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने गत 24 मई को सुनाए अपने फैसले में कहा कि जुर्माने को दूरसंचार विवाद निपटान अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) में भी चुनौती दी गई है जो कि ट्राई अधिनियम के तहत पैदा होने वाले सभी विवादों के निपटारे के लिए अधिकृत है। पीठ ने कहा कि इस बारे में उसके किसी भी निर्देश का टीडीसैट पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इस वजह से न्यायालय ने वोडाफोन मोबाइल सर्विसेज लिमिटेड और वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की तरफ से दायर याचिका को निरस्त कर दिया। केंद्र सरकार ने 29 सितंबर, 2021 को वोडाफोन की इन कंपनियों पर जुर्माना लगाने का आदेश पारित किया था। यह जुर्माना सेल्युलर मोबाइल टेलीफोन सेवा नियम, 2009 और बुनियादी टेलीफोन सेवा नियमन के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर लगाया गया था।

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