आरबीआई गवर्नर ने एमपीसी बैठक में भारत की तीव्र वृद्धि का जताया था अनुमान

Shaktikanta Das
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रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पिछले महीने हुई बैठक में रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी का फैसला बहुमत से लिए जाते समय कहा था कि तमाम भू-राजनीतिक झटकों के बीच भारत के दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहने की उम्मीद है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पिछले महीने हुई बैठक में रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी का फैसला बहुमत से लिए जाते समय कहा था कि तमाम भू-राजनीतिक झटकों के बीच भारत के दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहने की उम्मीद है। छह सदस्यीय एमपीसी ने गत 30 सितंबर को रेपो दर में लगातार तीसरी बार नीतिगत दरों में बढ़ोतरी करते हुए रेपो दर को आधा प्रतिशत और बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत कर दिया था।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दास की अध्यक्षता में हुई एमपीसी की बैठक का ब्योरा शुक्रवार को जारी किया। इसके मुताबिक, एमपीसी के छह में से पांच सदस्य 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी किए जाने के पक्ष में थे जबकि आशिमा गोयल 0.35 प्रतिशत वृद्धि चाहती थीं। इस बैठक में गवर्नर दास ने कहा था कि आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे सुधर रही हैं लेकिन अभी इनके मिले-जुले संकेत देखने को मिल रहे हैं।

दास ने कहा था, ‘‘उच्च आवृत्ति वाले संकेतक आर्थिक गतिविधियों में रफ्तार को दर्शा रहे हैं लेकिन वैश्विक कारक बाह्य मांग पर दबाव डाल रहे हैं।’’ आरबीआई गवर्नर ने बैठक में कहा था कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सात प्रतिशत वृद्धि का अनुमान अपने साथ जोखिम भी लिए हुए है। उन्होंने कहा था, ‘‘चाहे जिस तरह के भी हालात पैदा हों, भारत के दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल रहने की उम्मीद है।’’

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और एमपीसी के सदस्य माइकल देवव्रत पात्रा ने इस बैठक में इस बात पर जोर दिया था कि मौद्रिक नीति को अर्थव्यवस्था के लिए एक नॉमिनल एंकर की भूमिका निभानी होगी ताकि देश वृद्धि के नए पथ पर बढ़ सके। इसके साथ ही उन्होंने मुद्रास्फीति के लक्ष्य के अनुरूप मौद्रिक नीति को रखने पर भी ध्यान देने को कहा। आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत (दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ) पर रखने का दायित्व सौंपा गया है। लेकिन लगातार तीन तिमाहियों से आरबीआई इस काम को पूरा कर पाने में नाकाम रहा है। ऐसी स्थिति में अब उसे सरकार को एक रिपोर्ट सौंपकर इसका ब्योरा देना होगा।

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