GSTN को सुरक्षा मंजूरी महत्वपूर्ण: सुब्रमणियम स्वामी

[email protected] । Aug 23 2016 2:46PM

स्वामी ने जीएसटी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी नेटवर्क का ढांचा तैयार करने के लिये गठित कंपनी को ‘देश विरोधी’ बताते हुए आज कहा कि जीएसटीएन को सुरक्षा संबंधी स्वीकृति मिलना जरूरी है।

भाजपा सांसद सुब्रमणियम स्वामी ने जीएसटी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी नेटवर्क का ढांचा तैयार करने के लिये गठित कंपनी को ‘देश विरोधी’ बताते हुए आज कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को संसद तभी पारित कर सकती है जब कि जीएसटीएन को सुरक्षा संबंधी स्वीकृति मिल चुकी हो। वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) एक विशेष उद्देश्यीय इकाई है। इसका गठन पिछली संप्रग सरकार के समय किया गया था। स्वामी ने ट्विट पर एक के बाद एक कई टिप्पणियों और प्रश्नों के उत्तर में कहा कि जीएसटी तभी क्रियान्वित हो सकता है जब उच्चतम न्यायालय प्रवेश कर से संबंधित याचिका का निपटान कर दे जो उसके विचारारार्थ है।

स्वामी ने ट्विट किया, ‘‘जीएसटी विधेयक संसद तभी पारित कर सकती है जब दो मुद्दों- जीएसटीएन को गृह मंत्रालय की सुरक्षा संबंधी मंजूरी दे और एच (हसमुख) अधिया की सात चुनौतियों का समाधान है। तारीखः 2020,’’ लेकिन यह तत्काल साफ नहीं हुआ है कि ‘तारीख: 2020’ से उनका क्या मतलब है। जीएसटीएन में सरकार की हिस्सेदारी 24.5 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और पुडुचेरी तथा वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति समेत राज्य सरकारें इसमें 24.5 प्रतिशत हिस्सेदार हैं। शेष 51 प्रतिशत हिस्सेदारी गैर-सरकारी वित्तीय संस्थानों के पास है। स्वामी पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में प्राधिकरण की मांग करते रहे हैं। ट्विटर पर आज उन्होंने सात चुनौतियों का जिक्र किया है। इसमें जीएसटी दर, छूट प्राप्त सूची के बारे में फैसला तथा केंद्र तथा राज्यों द्वारा दोहरा नियंत्रण नहीं होना सुनिश्चित करना शामिल है। इन चुनौतियों का जिक्र राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने किया है। उनका कहना है कि जीएसटी को एक अप्रैल 2017 से लागू करने के रास्ते में ये चुनौतियां हैं।

सुब्रमणियम स्वामी के एक ट्विटर ‘फालोअर’ ने जब पूछा कि जीएसटी कानून कब से प्रभाव में आएगा और क्या इसकी कोई संभावना है कि इसका क्रियान्वयन 2017 से हो, स्वामी ने जवाब दिया, ‘‘अभी जो स्थिति है उसमें यह उच्चतम न्यायालय की बाधा को पार नहीं करेगा।’’ उच्चतम न्यायालय की नौ न्यायाधीशों की पीठ कुछ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है जिसमें राज्यों द्वारा लगाये जाने वाले प्रवेश-कर की वैधता को चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इससे मुक्त व्यापार प्रभावित होता है। केंद्र ने दलील दी है कि जीएसटी के क्रियान्वयन से प्रवेश कर की समस्या खत्म हो जाएगी।

अन्य ट्विट में स्वामी ने कहा, ‘‘आखिर यह मीडिया जीएसटीएन के देश विरोधी ढांचे का मुद्दा उठाने पर मुझसें नाराज क्यों है? राज्यसभा की प्रवर समिति की 22 जुलाई 2015 की संसद में पेश रिपोर्ट में भी यही बात कही गयी है।’’ उन्होंने कहा कि ‘यही देश-विरोधी ताकतें’ रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के दूसरे कार्यकाल की वकालत कर रहे थे। स्वामी ने कहा, ‘‘...यही देश विरोधी ताकतें आर 3 (रघुराम राजन) को दूसरा कार्यकाल के लिये दबाव दे रहे थे और वे अब जीएसटीएन को लागू करने के लिये प्रतिबद्ध हैं जिसका नियंत्रण विदेशी वाणिज्यिक हितों द्वारा होगा।’’

भाजपा सांसद ने राजन पर नीतिगत दर को जानबूझकर ऊंचा रखने तथा आर्थिक वृद्धि को प्रभावित करने का आरोप लगाया है। इस महीने की शुरूआत में स्वामी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जीएसटीएन में निजी इकाइयों को बहुलांश हिस्सेदारी को लेकर कड़ी आपत्ति जतायी थी। संप्रग शासन के दौरान जीएसटी के संग्रह और लेखा के प्रबंधन तथा नियंत्रण के लिसे जीएसटीएन का गठन किया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री से यह सुनिश्चित करने को कहा कि इसका नियंत्रण सरकार के अधीन आने वाली इकाई के हाथ में हो।

We're now on WhatsApp. Click to join.

Tags

    All the updates here:

    अन्य न्यूज़