चीनी के दामों में होगी बढ़ोतरी, क्या 2020 होगा महंगाई का साल?

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[email protected] । Sep 6 2019 2:40PM

प्रतिकूल मौसम की वजह से महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में गन्ना खेती के रकबे में गिरावट आने के बाद चीनी सत्र 2020 में चीनी की कीमतें आठ प्रतिशत बढ़कर 33 से 34 रुपये प्रति किलो हो सकती है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। क्रिसिल रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में मौसम की प्रतिकूल स्थिति के कारण चीनी उत्पादन में 10 प्रतिशत की कमी आ सकती है।

नयी दिल्ली। प्रतिकूल मौसम की वजह से महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में गन्ना खेती के रकबे में गिरावट आने के बाद चीनी सत्र 2020 में चीनी की कीमतें आठ प्रतिशत बढ़कर 33 से 34 रुपये प्रति किलो हो सकती है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। क्रिसिल रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में मौसम की प्रतिकूल स्थिति के कारण चीनी उत्पादन में 10 प्रतिशत की कमी आ सकती है।

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इसमें कहा गया है कि इसके अतिरिक्त, निर्यात में 20 प्रतिशत की वृद्धि के कारण चीनी के भंडार में भी कमी आयेगी जिसके कारण चीनी की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है। क्रिसिल को उम्मीद है कि सितंबर 2020 तक के चीनी सत्र में चीनी का दाम 8 प्रतिशत बढ़कर 33-34 रुपये प्रति किलोग्राम हो सकता है। चीनी सत्र या विपणन वर्ष अक्टूबर 2019 से सितंबर 2020 तक का है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि एकमुश्त निर्यात सब्सिडी की घोषणा के बाद चीनी सत्र 2019 के लिए चीनी निर्यात 38 लाख टन होने का अनुमान है जो चीनी सत्र 2020 में बढ़कर 45 - 50 लाख टन तक होने की उम्मीद है।

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इसमें कहा गया है कि इथेनॉल की बिक्री में बढ़ोतरी और चीनी की कीमतों में आठ फीसदी की बढ़ोतरी से चीनी सत्र 2020 में चीनी मिलों के मुनाफे में और सुधार होगा। चीनी सत्र 2019 के लिए, सरकार ने निर्यात की जाने वाली चीनी के लिए प्रति टन 1,000-3,000 रुपये प्रति टन की परिवहन सब्सिडी और इसके साथ ही गन्ने के लिये 139 रुपये प्रति टन की कच्चा माल सब्सिडी देने का फैसला किया था। निर्यात की गई चीनी पर 1,000-3,000 रुपये प्रति टन की परिवहन सब्सिडी निर्यात करने वाले चीनी मिल से निकटतम बंदरगाह के बीच की दूरी के आधार पर तय की जायेगी। कुल मिलाकर यह सब्सिडी निर्यात की गई चीनी पर 2,300-4,300 रुपये प्रति टन बैठेगी। इसके बावजूद, क्रिसिल का मानना ​​है कि 60 लाख टन चीनी के निर्यात लक्ष्य को हासिल करना कठिन हो सकता है क्योंकि अधिक वैश्विक भंडार होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें कमजोर बने रहने की उम्मीद है।

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