RBI डिप्टी गवर्नर ने कहा, व्यापक जोखिम वाले एनबीएफसी के लिये कड़े नियमन की जरूरत

RBI  डिप्टी गवर्नर

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि व्यापक जोखिम वाले एनबीएफसी के लिये कड़े नियमन की जरूरत है।राव ने कहा, ‘‘यह भी तर्क दिया जा सकता है कि ऐसे एनबीएफसी के लिये युक्तिसंगत नियामकीय व्यवस्था इस रूप से हो जिसकी तुलना बैंकों से की जा सके।

नयी दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिये कायदे-कानून को लेकर फिर से विचार करने की जरूरत बतायी है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि जिन एनबीएफसी का अन्य क्षेत्रों पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ता है और काफी हद तक ये व्यवस्था के लिये जोखिम पैदा कर सकते हैं, उनकी पहचान होनी चाहिये और उनके लिये मजबूत नियमन की जरूरत है। राव ने कहा, ‘‘यह भी तर्क दिया जा सकता है कि ऐसे एनबीएफसी के लिये युक्तिसंगत नियामकीय व्यवस्था इस रूप से हो जिसकी तुलना बैंकों से की जा सके। ताकि एक सीमा से अधिक जोखिम की स्थिति होने पर, ऐसे एनबीएफसी को वाणिज्यिक बैंक में तब्दील करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके या फिर उनके दायरे को कम किया जा सके।’’

इसे भी पढ़ें: कोरोना काल के बावजूद इस बैंक का मुनाफा दूसरी तिमाही में बढ़कर दोगुने से अधिक हुआ

उद्योग मंडल एसोचैम के एक कार्यक्रम में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि इससे वित्तीय क्षेत्र मजबूत होगा। साथ ही बहुसंख्यक एनबीएफसी कुछ हल्के नियामकीय व्यवस्था के अंतर्गत काम कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि बैंकों की तुलना में फिलहाल नियामकीय व्यवस्था के मामले में एनबीएफसी में लचीलापन है। ये इकाइयां ऐसे में व्यवस्था के लिये जोखिम पैदा कर सकती हैं। अत: नियमन के बारे में फिर से विचार करने की जरूरत है। राव ने कहा, ‘‘हम एनबीएफसी के लिये श्रेणीबद्ध नियामकीय रूपरेखा पर विचार कर सकते हैं। इस बारे में प्रणाली को लेकर उनके योगदान के संदर्भ में इस पर विचार किया जा सकता है।’’ छोटे कर्ज देने वाले सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) के बारे में उन्होंने कहा कि एनबीएफसी- एमएफआई का योगदान सूक्ष्म वित्त क्षेत्र में कम होकर 30 प्रतिशत से कुछ अधिक रह गया है।

इसे भी पढ़ें: अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दिया संकेत, बिना इसके आर्थिक भरपाई संभव नहीं

इसका कारण कई एमएफआई का लघु वित्त बैंकों मे तब्दील होना है। राव ने कहा, ‘‘आज हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां मजबूत नियामकीय व्यवस्था कुछ छोटे सूक्ष्म वित्त क्षेत्र पर ही लागू हैं। सूक्ष्म वित्त क्षेत्र के मामले में नियामकीय प्रावधानों को फिर से निर्धारित करने की जरूरत है ताकि हमारा नियमन गतिविधियां पर आधारित हो न कि इकाई आधारित।’’ उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय प्रौद्योगिकी के आधार पर काम कर रहे एनबीएफसी नई प्रकार की चुनौतियां पैदा कर रही हैं। भविष्य में वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिये नियमन बनाते समय आरबीआई को वृद्धि के साथ-साथ ग्राहकों और आंकड़ों की सुरक्षा का भी ध्यान रखना होगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


All the updates here:

अन्य न्यूज़