ट्रांसपोर्ट नोड्स का मौजूदा रिटेल आकार 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है

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[email protected] । Feb 25 2020 6:15PM

प्रमुख इंटरनेशनल प्रॉपर्टी कंसल्‍टेंसी नाइट फ्रैंक इंडिया ने ‘कैच देम मूविंग’, रिपोर्ट ऑन ट्रांजिट रिटेल शीर्षक से की गई अपनी नई स्टडी में यह अनुमान लगाया है कि भारत के कई ट्रांसपोर्ट हब, जैसे एयरपोर्ट, हाइवे और बस स्टेशनों में आगामी नए दशक में कुल रिटेल कारोबार की संभावना कई गुना बढ़ जाएगी।

मुंबई। प्रमुख इंटरनेशनल प्रॉपर्टी कंसल्‍टेंसी नाइट फ्रैंक इंडिया ने ‘कैच देम मूविंग’, रिपोर्ट ऑन ट्रांजिट रिटेल शीर्षक से की गई अपनी नई स्टडी में यह अनुमान लगाया है कि भारत के कई ट्रांसपोर्ट हब, जैसे एयरपोर्ट, हाइवे और बस स्टेशनों में आगामी नए दशक में कुल रिटेल कारोबार की संभावना कई गुना बढ़ जाएगी। यात्रियों के आने-जाने और ट्रांसपोर्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर में संभावित रूप से स्वस्थ बढ़ोतरी के समर्थन से 2030 तक ट्रांजिट रिटेल के अवसरों में 21.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी का अनुमान है। 

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एयरपोर्ट पर रिटेल कारोबार की क्षमता का बेहतर ढंग से उपयोग किया गया है, जबकि यह मेट्रो, रेलवे, हाइवे और बस स्टेशनों जैसे दूसरे मोड्स के लिए यह अभी शैशवावस्था में है। रिपोर्ट में भारत में ट्रांजिट रिटेल का मौजूदा आकार 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान लगाया गया है। वर्तमान में इन नोड्स पर रिटेल कारोबार का आधारभूत ढांचा उपलब्ध न होने से इन ट्रांजिट हब के आसपास रिटेल कारोबार के अवसरों के बड़े हिस्से का बेहतर ढंग से उपयोग नहीं किया जा सका है। 

रिटेल कारोबार की बड़ी क्षमता 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लीज रेंटल के अवसरों में बदल जाएगी, जिसमें 2030 तक 3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। मौजूदा लीज रेंट के अवसरों पर विचार करते हुए सरकार आवागमन के साधनों से संबंधित केंद्रों के रिटेल असेट्स की क्षमता का बेहतर ढंग से उपयोग करते हुए इससे 10 बिलियन अमेरिका डॉलर तक फंड हासिल कर सकती है। इस तरह धन कमाने के अवसर मिलने से इन केंद्रों के विकास के लिए यात्रियों से प्राप्त होने वाले किराए पर निर्भरता कम होगी और अब तक बहुत बड़े पैमाने पर जिन क्षेत्रों में मौजूद अवसरों से लाभ नहीं कमाया गया था, वहां एक रिटेल इको सिस्टम विकसित किया जाएगा। इससे भविष्य के नए आधारभूत ढांचे के विकास के लिए पैसा आने का नया रास्ता खुलेगा। 

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नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक श्री शिशिर बैजल ने कहा, “भारत आधारभूत ढांचे के क्षेत्र में क्रांति के दौर से गुजर रहा है। सरकार का ध्यान आवागमन के इन केंद्रों को विकसित करने और इनका आधुनिकीकरण करने पर है, जिसमें एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, मेट्रो और हाइवे शामिल हैं। इससे भारत में संगठित रिटेल क्षेत्र के लिए असीमित संभावनाओं के दरवाजे खुल रहे हैं। यातायात के प्रमुख केंद्रों पर सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से रिटेल इंफ्रास्ट्रक्टर का विकास होने से मेट्रो, रेलवे, हाइवे और बस स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ से ऑपरेटरों और रिटेलर्स को अपना कारोबार बढ़ाने और पैसे कमाने के बड़े अवसर मिले हैं।

श्री शिशिर ने कहा, “भारत में रिटेल के क्षेत्र में प्रॉपर्टी की ग्रोथ घरेलू और वैश्विक माहौल में काफी संवेदनवशील रही है। भारत में संगठित रिटेल पूरे रिटेल मार्केट का केवल एक छोटा सा हिस्सा है। जबकि यहां बहुत ज्यादा आबादी होने के काऱण देश में इस क्षेत्र के विकास की काफी संभावना है। भारत में संगठित रिटेल के कारोबार के क्षेत्र में बड़ा विकास मॉल के बाहर हुआ है। इन क्षेत्रों में होने वाली बिक्री यहां आने वाले लोगों की भीड़ और वहां होने वाले बदलाव पर निर्भर है। अब ट्रांजिट रिटेल के उभरने से इस क्षेत्र में रिटेलर्स को ऐसे लोग बहुत बड़ी संख्या में मिलेंगे, जो पैसा खर्च करने के लिए तैयार हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अब ट्रांसपोर्ट हब में रिटेलर्स को प्रमुखता देने और उनके प्रॉडक्ट्स के लोगों की नजर में आने की क्षमता के साथ उपयुक्त जगह बनानी होगी। इसके साथ ही स्मार्ट रेवेन्यू मॉडल बनाने होंगे और यहां पर उचित मात्रा में लोगों के उपयोग में आने वाले सामान की व्यवस्था रखनी होगी, जिससे रिटेलर्स को ट्रांसपोर्ट हब में अपनी मौजूदगी में अपना फायदा नजर आना सुनिश्चित हो।“ 

भारत में ट्रांजिट रिटेल

मानक अवधि एयरपोर्ट मेट्रो रेलवे रोड बस स्टेशन कुल

मौजूदा यात्रियों की भीड़  (मिलियन, सालाना) 2019 349 2,623 16,134 190* 29,561 -

रिटेल मार्केट

मार्केट का अनुमानित आकार (अमेरिकी डॉलर बिलियन,  सालाना) 2019 1.4 0.6 0.1 0.1 0.01 2.2

अनुमानित रिटेल अवसर (अमेरिकी डॉलर बिलियन,  सालाना) 2030 9.3 5.6 1.9 4.2 0.9 21.6

प्राइवेट ऑपरेटरों के लिए मार्केट में अवसर

ऑपरेटरों, लीज रेंट में अवसर (अमेरिकी डॉलर बिलियन,  सालाना) 2019 0.4 0.2 0.2 0.2 0.03 1.0

ऑपरेटर के लिए अनुमानित लीज रेंट के अवसर (अमेरिकी डॉलर बिलियन,  सालाना) 2030 1.6 0.8 0.3 0.5 0.1 3.2

स्रोत नाइट फ्रैंक रिसर्च, नोट : * यात्रियों के आवागमन में होने वाली सालाना बढ़ोतरी

नोट : यहां रिटेल से मतलब मॉडर्न रिटेल से है।

नाइट फ्रैंक इंडिया में गवर्नमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर एडवाइजरी विभाग में कार्यकारी निदेशक श्री राजीव विजय ने कहा, “ट्रांसपोर्ट टर्मिनल पर रोजाना बहुत से लोगों का गारंटी से आना सुनिश्चित होता है। हालांकि अलग-अलग यात्रियों के यहां अपने साधनों के इंतजार में रुकने का समय अलग-अलग होता है और उनकी खर्च करने की क्षमता भी अलग-अलग होती है। एक अच्छा टर्मिनल यात्रियों को अपने यात्रा के मार्ग में आने वाले खाने-पीने के स्टॉलों और दुकानों पर आने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास करता है। यात्रा से संबंधित अन्य सुविधाओं के इतर टर्मिनल की योजना बनाते और उसे डिजाइन करते समय टर्मिनल में आने वाले यात्रियों की संख्या, टर्मिनल के ले आउट, आकार, वहां होने वाली दुकानों और उन दुकानों पर मौजूद रहने वाले प्रॉडक्ट्स की संख्या का ध्यान काफी पहले से रखकर चलना चाहिए। उपभोक्ताओं को यात्रा के दौरान शानदार अनुभव होने की उम्मीद बढ़ाने और ऑपरेटर के लिए यात्रा के किराए के अलावा अन्य तरीके से पैसा कमाने के अवसरों को बढ़ाने के लिए भी टर्मिनल की रिटेल कारोबार की बेहतर ढंग से योजना बनाना जरूरी है।“ 

नाइट फ्रैंक में वैल्यूएशन एंड एडवाइडरी के नेशनल डायरेक्टर सौरभ मेहरोत्रा का कहना है, “ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के विकास में सबसे महत्वपूर्ण पूंजी का खर्च शामिल है, जिसके विकास के लिए अक्सर बजट जरूरी होता है। पीपीपी प्रोजेक्ट्स के लिए व्यवाहरिकता को ध्यान में रखते हुए फंडिंग की जरूरत होती है। इस तरह की कई परियोजनाओं को संचालन के प्रारंभिक दौर में कारोबार को चलाने का खर्चा निकालना बेहद मुश्किल होता है। प्रॉपर्टी के विकास के माध्यम से यहां कारोबार के लिए जमीन मिल जाने के बाद परियोजना की व्यवहारिकता को सुधारने का बेहतरीन अवसर मिलता है। मेट्रो, बस स्टेशनों और रेलवे स्टेशनों पर रिटेल कारोबार और फूड एवं बेवरेज स्टॉलों का एकीकृत विकास यात्रियों के किराए के अलावा अतिरिक्त राजस्व के अर्जन में प्रमुख भूमिका निभाता है। इसके साथ ही यह उपभोक्ताओं के मूल्य को बढ़ाता है। अगले दशक में ट्रांजिट रिटेल से 20 हजार करोड़ रुपये की सालाना आमदनी के मौके मिलने की उम्मीद है। अगर इसे पूरी तरह योजना बनाकर लागू किया जाए तो यह भविष्य के आधारभूत ढांचे के विकास के बोझ को कम करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।“  

ट्रांजिट रिटेल पर कैच देम मूविंग-रिपोर्ट के प्रमुख नतीजे

एयरपोर्ट

·030 तक हवाईअड्डों पर रिटेल के अवसरों का 9.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। 2019 में यह अवसर 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रहे।

·2030 तक एयरपोर्ट ऑपरेटरों के लिए लीज रेंट के अवसरों के 1.6 बिलियन तक बढ़ने का  अनुमान है। 

·2019 में कुल लीज रेंट पर दी गई प्रॉपर्टी का 59 फीसदी से ज्यादा हिस्सा किसी भी तरह की ड्यूटी से मुक्त था।

·2019 मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर प्रति यात्री रिटेल रेवेन्यू का औसत 7 अमेरिकी डॉलर था। इसके बाद दिल्ली एयरपोर्ट पर प्रति यात्री रिटेल रेवेन्यू का औसत 6 अमेरिकी डॉलर था। 

·2019 में हवाई जहाज से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या 349 मिलियन थी, जिसके 2030 में बढ़कर 1.1 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।

मेट्रो स्टेशन

·2030 तक मेट्रो स्टेशनों पर रिटेल के कुल अवसरों के 5.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। 2019 में 0.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रहे।

·मेट्रो में सालाना सफर करने वाले यात्रियों की संख्या के 2030 तक 7.32 बिलियन के आंकड़े को छूने का अनुमान है। मेट्रो स्टेशन रिटेल कारोबार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण हैं।

·2030 तक मेट्रो स्टेशन के ऑपरेटरों के लिए लीज रेंट के अवसर 0.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है।

रेलवे स्टेशन

·2030 तक दोबारा विकसित किए गए रेलवे स्टेशनों पर कुल रिटेल के अवसर 1.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने के अनुमान हैं, जबकि 2019 में यह 0.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहे

·सरकार का रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और मौजूदा स्टेशनों के आधुनिकीकरण पर फोकस इसमें बड़ी भूमिका निभाएगा।  

·2030 तक रेलवे स्टेशनों के ऑपरेटरों के लिए लीज रेंट के अवसरों के 0.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। 

हाइवे

·2030 तक हाइवे पर रिटेल के अवसरों के 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। 2019 में यह अवसर 0.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रहे।

·2030 तक हाइवे के ऑपरेटरों के लिए लीज रेंट के अवसरों के 0.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

·सरकार की पहल और हाइवे से सफर करने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ना इसके सबसे बड़े कारक है।

बस स्टेशन

2030 तक बस अड्डों की कुल रिटेल या मिश्रित इस्तेमाल से विकास की क्षमता के 0.9 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2010 में 0.01 अमेरिकी डॉलर रहे। बस अड्डों पर लीज रेंट से हासिल होने वाले मौकों में 2030 तक 0.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ोतरी का अनुमान है।  

नाइट फ्रैंक के विषय में 

नाईट फ्रैंक एलएलपी अग्रणी स्वतंत्र वैश्विक संपत्ति परामर्शी कंपनी है। इसका मुख्यालय लन्दन में है। विश्व के 60 बाजारों में स्थित इसके 512 कार्यालयों में 19,000 से अधिक लोग काम करते हैं। इस ग्रुप के ग्राहकों में व्यक्तिगत मालिकों और क्रेताओं से लेकर बड़े-बड़े निर्माता, निवेशक और कॉर्पोरेट किरायेदार तक सम्मिलित हैं। कंपनी के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया वेबसाइट www.knightfrank.comदेखें। 

भारत में, नाइट फ्रैंक का मुख्यालय मुंबई में है और बैंगलोर, दिल्ली, पुणे, हैदराबाद, चेन्नै, कोलकाता तथा अहमदाबाद में इसके 1,400 से अधिक विशेषज्ञ कार्यरत है। ठोस अनुसंधान और विश्लेषणों से समर्थित हमारे विशेषज्ञ परामर्श, मूल्यांकन और सलाह, सौदों (आवासीय, वाणिज्यिक, खुदरा, होटल, अचल एवं चल संपत्ति), सयंत्र प्रबंधन तथा परियोजना प्रबंधन में व्यापक प्रकार की रियल एस्टेट सेवाएं मुहैया करती है। अधिक जानकारी के लिए www.knightfrank.co.in वेबसाइट देखें। 

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