रुपये को संभालने मैदान में उतरा RBI, सात महीने में सबसे बड़ी मजबूती दर्ज

रुपये की तेज गिरावट के बीच RBI ने आक्रामक हस्तक्षेप करते हुए डॉलर बिक्री की, जिससे मुद्रा में जोरदार उछाल आया। इस कदम से सट्टेबाजी पर फिलहाल लगाम लगी, हालांकि विशेषज्ञ आगे सीमित बढ़त की संभावना जता रहे हैं।
शुरुआत के साथ बुधवार को मुद्रा बाजार में बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला, जब भारतीय रिज़र्व बैंक ने रुपये के समर्थन में जोरदार दखल दिया है। बता दें कि लगातार रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के बाद रुपये में एकतरफा कमजोरी की धारणा बनने लगी थी, जिस पर केंद्रीय बैंक ने सख्त रुख अपनाया है।
मौजूद जानकारी के अनुसार, RBI ने स्थानीय बाजार में डॉलर बेचकर हस्तक्षेप किया, जिसके बाद रुपया करीब एक फीसदी तक मजबूत हुआ और यह उछाल पिछले सात महीनों में सबसे बड़ा माना जा रहा है। मंगलवार को ऐतिहासिक निचले स्तर पर बंद होने के बाद बुधवार को रुपया 90 के स्तर के करीब लौटता दिखा है।
गौरतलब है कि बीते कुछ हफ्तों से रुपये की गिरावट को लेकर बाजार में सवाल उठ रहे थे कि केंद्रीय बैंक खुलकर हस्तक्षेप क्यों नहीं कर रहा है। कारोबारियों का कहना है कि हाल ही में किए गए डॉलर-रुपया स्वैप और उसके बाद अचानक की गई डॉलर बिक्री ने सट्टा पोजीशन लेने वालों को चौंका दिया है।
बैंकिंग सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि RBI का यह कदम यह संदेश देने के लिए है कि रुपये में केवल एक दिशा की चाल को स्वीकार नहीं किया जाएगा। अक्टूबर में भी इसी तरह की आक्रामक कार्रवाई कर केंद्रीय बैंक ने अटकलों पर विराम लगाया था।
हालांकि अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह मजबूती स्थायी होगी, ऐसा कहना अभी जल्दबाज़ी होगी। अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में देरी, विदेशी निवेशकों की निकासी और ऊंचे आयात के कारण डॉलर की मांग बनी हुई है। ऐसे में RBI का हस्तक्षेप फिलहाल दबाव कम करने का जरिया है, न कि किसी तय स्तर की रक्षा करने का वादा है।
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि इस महीने अब तक विदेशी निवेशकों ने शेयर और बॉन्ड बाजार से बड़ी रकम निकाली है, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ा है। केंद्रीय बैंक की ताजा कार्रवाई से फिलहाल सट्टेबाजों की पोजीशन जरूर खुली हैं, लेकिन आगे की दिशा वैश्विक संकेतों और नीति स्तर के फैसलों पर निर्भर रहने वाली है, ऐसा जानकार मान रहे हैं।
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