जापान को निर्यात बढ़ाने के लिये सीईपीए का उपयोग करें: निर्मला

नयी दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि भारतीय कंपनियों को जापान को निर्यात बढ़ाने के लिये व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) का अधिक-से-अधिक उपयोग करना चाहिए और व्यापार घाटे को पाटने में मदद करनी चाहिए। दोनों देशों के बीच सीईपीए पर 2011 में हस्ताक्षर किये गये और यह व्यापक समझौतों में से एक है। इसमें वस्तु एवं सेवाओं, आईपीआर, सरकारी खरीद, सीमा शुल्क प्रक्रिया आदि जैसे बातें शामिल हैं। विकासशील देशों के लिये शोध एवं सूचना प्रणाली द्वारा आयोजित एक सेमिनार में निर्मला ने कहा, ‘‘भारतीय कंपनियों के लिये अधिक-से-अधिक इस समझौते के उपयोग का अवसर है क्योंकि व्यापार घाटा चिंता का कारण बना हुआ है।’’ मंत्री ने आगे कहा कि भारतीय व्यापारियों और विनिर्माताओं को जापान में अधिक बाजार पहुंच के रास्ते तलाशने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘जापान की औषधि बाजार में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी नीचे बनी हुई है और यह केवल सक्रिय औषधि रसायन (एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इनग्रिडिएन्ट्स..एपीआई) तक सीमित है। अत: इस क्षेत्र में काफी कुछ किये जाने की जरूरत है।’’ निर्मला ने कहा कि जापान के औषधि क्षेत्र में काफी संभावना है और भारतीय कंपनियों के लिये वहां काफी कुछ है। देश के आईटी निर्यात के बारे में उन्होंने कहा कि यह काफी कम एक अरब डालर है। ‘‘मुझे पूरा विश्वास है कि हम जापानी बाजार में बेहतर पैठ बना सकेंगे।''
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि दोनों देशों के बीच सीईपीए से पहले 2010 में व्यापार 10.4 अरब डालर था और फिलहाल यह 14.5 अरब डालर है। उन्होंने जापान के साथ भारत के बढ़ते व्यापार घाटा को लेकर चिंता जतायी। निर्मला ने कहा, ‘‘हालांकि जापान के साथ व्यापार घाटा सीईपीए से पहले 2010 में 3.1 अरब डालर था और अब यह 5.2 अरब डालर पहुंच गया है।’’ दोनों देशों के बीच 2011 में सीईपीए पर हस्ताक्ष हुए। उसके बाद व्यापार गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
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