पैनडेमिक सिचुएशन से उबारने के विशेषज्ञ बनें, बनेगा बढ़िया कॅरियर

Epidemiologist

जिस तरीके से कोविड-19 ने विश्व भर में विस्तार पाया है, कम से कम उस स्तर पर किसी बीमारी का तीव्र विस्तार ना हो सके। जाहिर तौर पर इस स्थिति को पहचानने और महामारी के भिन्न लक्षणों का स्तर, कोई एपिडेमियोलॉजिस्ट ही समझ सकता है।

कोविड-19 ने जिस प्रकार से समूची दुनिया को हिला कर रख दिया है। इससे लोग एक बार फिर सोचने को मजबूर हो गए हैं कि क्या हमारे पास महामारी से संबंधित ढेर सारे विशेषज्ञ होने चाहिए, जो ऐसी स्थिति आने पर अपने ज्ञान और अपने जज्बे से हमें इस मुसीबत में फंसने से बचा लें।

खुदा न खास्ता अगर मुसीबत में कोई फँस भी जाता है, तो जिस तरीके से कोविड-19 ने विश्व भर में विस्तार पाया है, कम से कम उस स्तर पर किसी बीमारी का तीव्र विस्तार ना हो सके। जाहिर तौर पर इस स्थिति को पहचानने और महामारी के भिन्न लक्षणों का स्तर, कोई एपिडेमियोलॉजिस्ट ही समझ सकता है।

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ऐसे में आपके सामने एपिडेमियोलॉजिस्ट बनने हेतु कॅरियर में अपार संभावनाएं हैं। इसके लिए क्या योग्यता होनी चाहिए, आइये जानते हैं...

वास्तव में देखें तो दुनिया भर में पब्लिक हेल्थ से बढ़कर कोई दूसरी चीज नहीं है। हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है कि "पहला सुख, निरोगी काया"। कल्पना कीजिए कि किस स्तर का डर फैल जाता है, अगर स्वास्थ्य पर संकट आ जाए।

बात और भी गंभीर हो जाती है अगर कोई एक बीमारी समूचे विश्व पर एक महामारी की शक्ल में आये। ऐसे में कुछ भी कहना शेष नहीं रह जाता, क्योंकि तब स्थिति कहीं ज्यादा गंभीर हो जाती है। इसलिए आवश्यक है कि ऐसी किसी बीमारी की रोकथाम के फुलप्रूफ इंतजाम होने चाहिए। ऐसे में एपिडेमियोलॉजिस्ट का प्रोफाइल यहां बेहद कामयाब दिखता है। इसमें किसी बीमारी की पहचान और वह कितनी तेजी से फैल सकती है और उसे प्रभावी ढंग से कैसे रोक सकते हैं, यह कार्य अपने रिसर्च के द्वारा एक एपिडेमियोलॉजिस्ट ही कर सकता है। 

एपिडेमियोलॉजिस्ट में मुख्यतः दो भाग हैं, जिसमें एक रिसर्च फील्ड से संबंधित है तो दूसरा क्लीनिकल फील्ड से संबंधित है।

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वस्तुतः यह पूरी तरह से प्रोफेशनल होते हैं जो महामारी जैसे रोगों में लोगों की प्रतिक्रिया से लेकर, जेनेटिक बीमारी और बायो टेररिज्म तक पर कार्य करते हैं। इसके लिए आपके पास एक मास्टर डिग्री होना चाहिए।

हमारे देश की बात करें तो इसके लिए 12वीं पास स्टूडेंट, जिसने फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी ली हुई है। वह बीएससी अथवा दूसरे अंडर ग्रेजुएट कोर्स में अपना दाखिला करा सकता है और ऐसे ही जब आप  ग्रेजुएशन करने जाएंगे तो यह जान लें कि किसी भी यूनिवर्सिटी से कम से कम 55 फ़ीसदी मार्क आपकी ग्रेजुएशन में होना चाहिए।

इसके पश्चात एपिडेमियोलॉजिस्ट के संबंध में प्रचलित तमाम कोर्सेज में आप पार्टिसिपेट कर सकते हैं। इसमें बैचलर आफ साइंस, पब्लिक हेल्थ में बैचलर डिग्री और मास्टर डिग्री। इसके बाद मास्टर ऑफ साइंस एपिडेमियोलॉजिस्ट में आता है। तत्पश्चात पीजी डिप्लोमा और अंत में आप एपिडेमियोलॉजिस्ट से पीएचडी कर सकते हैं। अथवा पब्लिक हेल्थ से पीएचडी कर सकते हैं।

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स्कूल की बात करें तो दिल्ली का जवाहरलाल नेहरू, मुंबई स्थित होमी भाभा नेशनल इंस्टीट्यूट मौजूद है। ऐसे ही चेन्नई में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एपिडेमियोलॉजी स्थापित है। इसके अलावा आईआईटी के विभिन्न संस्थान इसकी ट्रेनिंग देते हैं। जैसे आईआईटी गांधीनगर, टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज मुंबई, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, तमिलनाडु, राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज, पटना, जिसके नाम से भी जाना जाता है।

- मिथिलेश कुमार सिंह

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