बिहार विधानसभा चुनाव: आखिर कितने उपमुख्यमंत्री बनाने का वादा करेंगे तेजस्वी ?

सबसे बड़ी समस्या तो तेजस्वी यादव के सामने है। एक जमाने में नीतीश कुमार की सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुके तेजस्वी यादव के सामने समस्या यह है कि वह कितने नेताओं से उपमुख्यमंत्री बनाने का वादा करें।
चुनाव आयोग अगले महीने यानी अक्टूबर में बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। यह माना जा रहा है कि चुनाव आयोग 2020 की तरह ही इस बार भी राज्य की सभी 243 सीटों पर 3 चरणों में चुनाव करवा सकता है।
बिहार में इस बार मुख्य मुकाबला एनडीए गठबंधन और इंडिया गठबंधन के बीच ही होना तय माना जा रहा है। हालांकि इस चुनावी घमासान में अपना-अपना हिस्सा हासिल करने के लिए जन सुराज से प्रशांत किशोर और एआईएमआईएम से असदुद्दीन ओवैसी सहित कई अन्य नेता भी जोर-शोर से जुटे हुए हैं। एनडीए और इंडिया , दोनों गठबंधनों में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत लगातार जारी है। हालांकि एनडीए में चिराग पासवान की जिद और इंडिया में मुकेश सहनी की जिद ने दोनों ही गठबंधनों को फंसा कर रखा हुआ है।
इसे भी पढ़ें: भारत के प्रधानमंत्री को पूरा विश्व दे रहा सम्मान और विपक्ष कर रहा अपमान
सबसे बड़ी समस्या तो तेजस्वी यादव के सामने है। एक जमाने में नीतीश कुमार की सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुके तेजस्वी यादव के सामने समस्या यह है कि वह कितने नेताओं से उपमुख्यमंत्री बनाने का वादा करें। वर्ष 2020 के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, सीपीआई (माले), सीपीआई और सीपीएम के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के साथ इस बार वीआईपी के मुकेश सहनी भी जुड़ गए हैं। बताया जा रहा है कि लालू यादव, तेजस्वी यादव और कांग्रेस ने मिलकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा और चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस की पार्टी को भी साथ लेने का फैसला कर लिया है। ऐसे में गठबंधन में शामिल दलों के बीच सीट बंटवारा करना लालू और तेजस्वी यादव के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
हालांकि सीट बंटवारे से भी बड़ी चुनौती उपमुख्यमंत्री का पद भी बन गया है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान साए की तरह साथ रहने वाले मुकेश सहनी अपनी पार्टी के लिए सिर्फ सीट ही नहीं मांग रहे हैं बल्कि उपमुख्यमंत्री का पद भी मांग रहे हैं। मुकेश सहनी ने तेजस्वी यादव के सामने विधानसभा की 50 सीट और उपमुख्यमंत्री के पद की मांग रख दी है। आपको याद दिला दें कि, मुकेश सहनी वही नेता हैं जिन्होंने 2020 के पिछले विधानसभा चुनाव के समय विपक्षी महागठबंधन की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ही तेजस्वी यादव पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए गठबंधन को छोड़ने का ऐलान कर दिया था। उसके बाद वह एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए थे। एनडीए गठबंधन में उनकी पार्टी 11 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 1.52 प्रतिशत वोट हासिल कर 4 सीटें जीती थी। इस बार भी बीजेपी के कई नेता उनके फिर से एनडीए गठबंधन में शामिल होने की बात कह चुके हैं।
लेकिन फिलहाल मुकेश सहनी विपक्षी इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं और उनकी उपमुख्यमंत्री पद की मांग ने तेजस्वी की टेंशन को बढ़ा दिया है। वर्ष 2020 के पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी 144 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जबकि कांग्रेस को 70, सीपीआई (माले) को 19, सीपीआई को 6 और सीपीएम को 4 सीटें लड़ने के लिए मिली थी।
गठबंधन में दूसरे नंबर की पार्टी कांग्रेस है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने अभी तक तेजस्वी यादव की मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर सार्वजनिक मुहर इसलिए नहीं लगाई है क्योंकि वह भी इस बार उपमुख्यमंत्री का पद चाहती है। राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा ने कांग्रेस की मांग को और ज्यादा मजबूती दे दी है। पिछले विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस कुछ सीटों पर तो दावा छोड़ सकती है लेकिन उपमुख्यमंत्री पद का वादा, वह चुनाव से पहले ही करवा लेना चाहती है।
गठबंधन में शामिल तीसरे सबसे बड़े दल सीपीआई ( माले) को बिहार में सीपीआई और सीपीएम भी बड़ा भाई मान चुके हैं। लेफ्ट फ्रंट के सभी दलों के नेता होने का दावा करते हुए सीपीआई ( माले) ने भी इस बार उपमुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी जता दी है।
वैसे यह अपने आप में अजीब सा लगता है कि चुनाव की घोषणा होने से पहले ही सहयोगी दल मंत्रिमंडल भी तय कर लेना चाहते हैं। लेकिन सहयोगी दलों की इन मांगों ने तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। उनके सामने सबसे पहली और बड़ी चुनौती तो सीट बंटवारे की है ही लेकिन इससे भी बड़ी चुनौती इस बात की है कि वो कितने नेताओं को उपमुख्यमंत्री बनाने का वादा करे।
- संतोष कुमार पाठक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं।
अन्य न्यूज़













