जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से ज्यादा बड़ा खतरा बन गये हैं ओवर ग्राउंड वर्कर

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हाल ही में राज्य पुलिस की अपराध शाखा द्वारा जारी की गई एक विभागीय रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी वादी में सिर्फ गांदरबल ही एकमात्र ऐसा जिला है, जहां कोई आतंकी नहीं है, लेकिन 38 ओजीडब्ल्यू सक्रिय हैं।

यह चौंकाने वाला तथ्य है कि कश्मीर में आतंकवाद के मोर्चे पर तैनात सुरक्षा बलों के लिए असली खतरा बंदूकधारी आतंकी नहीं बल्कि उनके ओवर ग्राउंड वर्कर तथा पत्थरबाज हैं जिनकी संख्या हजारों में है। ऐसे में अब सुरक्षा बल आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की ओर ध्यान न देकर पत्थरबाजों तथा ओवर ग्राउंड वर्करों के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं। करीब एक साल से कश्मीर में चलाए जा रहे कासो अर्थात् तलाशी अभियानों में सुरक्षा बलों का जोर आतंकियों की धर पकड़ की ओर नहीं है बल्कि ओवर ग्राउंड वर्करों तथा पत्थरबाजों की तलाशी की जाती है। अधिकारियों ने इसे माना भी है कि इन तलाशी अभियानों में अगर कोई ओवर ग्राउंउ वर्कर मिल जाता है तो समझो दो-चार आतंकियों का खात्मा पक्का है क्योंकि ये ओवर ग्राउंड वर्कर उस इलाके में सक्रिय आतंकियों के प्रति खबर रखते हैं।

अधिकारियों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के लगातार बढ़ते दबाव के कारण सक्रिय आतंकियों की संख्या बेशक घट रही है मगर लगातार बढ़ रहे आतंकियों के ओवर ग्राउंड वर्करों (ओजीडब्ल्यू) की संख्या सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पूरे राज्य में लगभग 246 आतंकी सक्रिय हैं, लेकिन उनके ओजीडब्ल्यू की संख्या 2186 है। हैरानगी की बात यह भी है कि जिन जिलों में एक भी आतंकी नहीं है, वहां भी उनके ओजीडब्ल्यू सक्रिय हैं। सिर्फ लद्दाख संभाग ही ऐसा क्षेत्र है, जहां न आतंकी हैं और उनके ओजीडब्ल्यू।

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हाल ही में राज्य पुलिस की अपराध शाखा द्वारा जारी की गई एक विभागीय रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी वादी में सिर्फ गांदरबल ही एकमात्र ऐसा जिला है, जहां कोई आतंकी नहीं है, लेकिन 38 ओजीडब्ल्यू सक्रिय हैं। इसी तरह जम्मू संभाग के जम्मू, सांबा व ऊधमपुर जिलों में न कोई आतंकी है और न कोई ओजीडब्ल्यू, लेकिन रियासी, डोडा व रामबन में बेशक कोई आतंकी नहीं हैं, लेकिन इन तीनों जिलों में 370 ओजीडब्ल्यू काम कर रहे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि ओजीडब्ल्यू आतंकियों से ज्यादा खतरनाक होते हैं। यह रहते आम लोगों की तरह हैं, लेकिन आतंकियों के लिए काम करते हैं। यह न सिर्फ आतंकियों तक सुरक्षा बलों की सूचनाएं पहुंचाते हैं, बल्कि उनके लिए हथियारों, पैसों और सुरक्षित ठिकानों का बंदोबस्त करते हैं। यह आतंकियों के लिए महत्वपूर्ण जगहों की रैकी भी करते हैं। कई बार तो आतंकी हमले का समय और जगह का चयन करने से लेकर पूरी साजिश यही ओजीडब्ल्यू रचते हैं।

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इसी तरह पत्थरबाज भी खतरनाक माने जा रहे हैं। दरअसल आतंकी बनने के सफर का पहला पड़ाव पत्थरबाजी ही माना जाता है। यह देखा गया है कि कई पत्थरबाज पहले पत्थरबाजी में हाथ जमा कर फिर ओवर ग्राउंड वर्कर की भूमिका निभाते हुए बाद में बंदूक थाम लेते हैं। ऐसे में कश्मीर में सुरक्षा बलों के लिए आतंकियों से अधिक खतरा पत्थरबाजों और ओजीडब्ल्यू से है जिससे निपटने को वे पूरा जोर तो लगा रहे हैं लेकिन अक्सर कामयाबी हाथ से फिसल जाती है।

-सुरेश एस डुग्गर

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