प्रेम कुमार धूमल को अपनों ने लूटा...गैरों में कहाँ दम था...

Prem Kumar Dhumal lost election due to his own party
विजय शर्मा । Dec 19 2017 11:29AM

हिमाचल प्रदेश में भाजपा तो जीत गई लेकिन उनका मुख्यमंत्री का चेहरा नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर सीट से चुनाव हार गए हैं। धूमल कांग्रेस प्रत्याशी राजिन्दर सिंह राणा से करीब 3000 वोटों से हार गए हैं।

हिमाचल प्रदेश में भाजपा तो जीत गई लेकिन उनका मुख्यमंत्री का चेहरा नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर सीट से चुनाव हार गए हैं। धूमल कांग्रेस प्रत्याशी राजिन्दर सिंह राणा से करीब 3000 वोटों से हार गए हैं। जिला हमीरपुर की सुजानपुर विधानसभा सीट कई मायनों में खास थी। एक तो नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल यहां से भाजपा के प्रत्याशी थे तो उन्हें चुनौती देने वाले कोई ओर नहीं बल्कि धूमल के ही राजनैतिक शिष्य राजिन्दर सिंह राणा थे। यहां गुरु शिष्य के बीच सीधा मुकाबला था। दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे धूमल का अपने ही शिष्य और कांग्रेस प्रत्याशी से हारना चौंकाने वाला है। इससे पहले राजिंदर सिंह राणा ने अनीता वर्मा के खिलाफ पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़कर चुनाव जीता था क्योंकि भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया था लेकिन उसके बाद कांग्रेस ने उनका इस्तीफा कराकर लोकसभा का चुनाव लड़वाया था जिसमें वह हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से प्रेम कुमार धूमल के सुपुत्र अनुराग ठाकुर से चुनाव हार गये थे और बाद में विधानसभा उपचुनाव भी हार गये थे। अब इस बात की चर्चा तथा मंथन बाद में होगा कि धूमल क्यों और कैसे हारे? 

धूमल की हार के बाद अब यह यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है कि अब प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा? प्रदेश के कई जीते हुए विधायकों ने धूमल के लिए अपनी सीट छोड़ने का ऐलान किया है लेकिन क्या भाजपा आलाकमान हार के बाद भी उन्हें मुख्यमंत्री बनायेगा। कानूनन इसमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन ऐसा लगता है कि पार्टी में व्याप्त गुटबाजी के चलते ऐसा संभव नहीं है। भाजपा को प्रदेश में 44 सीटें मिली हैं जबकि कांग्रेस 21 पर सिमट गई है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह एवं उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह चुनाव जीत गये हैं। कांग्रेस की हार के बावजूद जीत गये हैं जबकि धूमल पार्टी की जीत के बावजूद हार गये हैं। चुनावों से पूर्व ही नहीं बल्कि प्रदेश की जनता पिछले दो सालों से अंधेरे में थी कि भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री कौन होगा।

भाजपा का मुख्यमंत्री का चेहरा न होने के चलते पार्टी की हालत खराब हो रही थी तो चुनाव से सप्ताह भर पहले प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया था लेकिन अब वह चुनाव हार गये हैं। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री कौन होगा? धूमल की हार के लिए पार्टी की रणनीति को कारण माना जा रहा है। धूमल पहले हमीरपुर से विधायक थे और प्रदेश में विपक्ष के नेता थे। वह हमीरपुर से ही चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन ऐन मौके पर उन्हें नई विधानसभा सीट सुजानपुर से टिकट दिया गया, जहां उनकी कोई तैयारी नहीं थी। हालांकि पिछला विधायक वहां भाजपा का ही था लेकिन उसकी सीट बदलकर हमीरपुर कर दी गई थी। पार्टी हाईकमान पहले प्रेम कुमार धूमल को ज्यादा तरजीह नहीं दे रहा था। बस उनको साथ लेकर चल रहे थे। पार्टी की हार सामने देखकर उन्हें मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया था। उनकी सीट पहले ही बदल दी गई थी, जहां से उनकी कोई तैयारी नहीं थी। हार के कारणों का मंथन बाद में होगा लेकिन धूमल अब क्या करेंगे? दूसरी तरफ धूमल के धुर विरोधियों ने अपनी गोटियां बिछानी शुरू कर दी हैं और बाजी फिर से नड्डा के हाथ आती दिख रही है।

फैसला भाजपा आलाकमान के हाथ में है। अब फिर कयास लगाये जा रहे हैं कि धूमल, नड्डा या फिर कौन? कहा जा रहा है कि मंडी जराह सीट से पांचवीं बार विधायक बने जय राम ठाकुर को दिल्ली बुलाया गया है। जय राम ठाकुर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं। वह आरएसएस और एबीवीपी से जुड़े रहे हैं। वह युवा होने के साथ ही बेदाग और ईमानदार हैं। इसलिए कयास लगाये जाने लगे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन प्रदेश की जनता धूमल की हार को पचा नहीं पा रही है और यह कहा जा रहा है कि पार्टी हाईकमान ने उन्हें नई सीट से चुनाव लड़ाकर साइडलाईन किया है। पार्टी मंथन करेगी कि अब प्रदेश का नेतृत्व किसे सौंपा जायेगा।

प्रेम कुमार धूमल के चिर प्रतिद्वंद्वी आज खुश हुए हैं लेकिन प्रदेश के लाखों कार्यकर्ताओं को इससे निराशा हुई है कि धूमल पार्टी की प्रतिद्वन्द्विता का शिकार हुए हैं। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद अनुराग ठाकुर का लिए चुनाव परिणाम का दिन बड़ा निराशा भरा रहा है। एक तरफ उनके पिता प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गये हैं तो दूसरी तरफ मंडी से उनके ससुर गुलाब सिंह ठाकुर एक निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश राणा से चुनाव हार गये हैं। प्रेम कुमार धूमल और गुलाब सिंह ठाकुर के साथ ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती भी चुनाव हार गये हैं।

-विजय शर्मा

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