राहुल का यूपी से मन रूठा, अब प्रियंका ही देखेंगी यहाँ पार्टी का सारा काम

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अजय कुमार । Jun 29 2019 10:46AM

प्रियंका का पूरा ध्यान किसानों और नौजवानों पर है। किसानों की बदहाली और युवाओं की बेरोजगारी और प्रदेश में बढ़ते अपराध खासकर महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं को वह 2022 के चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाना चाहती हैं।

लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के हौसले भले पस्त पड़ गए हों, लेकिन आम चुनाव में उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी संभालने वाली प्रियका वाड्रा ने हार नहीं मानी है। वह मिशन 2022 को पूरा करने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए हैं। राहुल गांधी के यूपी से दूरी बना लेने के बाद प्रियंका के कंधों पर यूपी की पूरी जिम्मेदारी आ गई है। प्रियंका 2022 में यूपी में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के सभी कील−कांटे मजबूत कर लेना चाहती हैं। प्रियंका का पूरा ध्यान किसानों और नौजवानों पर है। किसानों की बदहाली और युवाओं की बेरोजगारी और प्रदेश में बढ़ते अपराध खासकर महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं को वह 2022 के चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाना चाहती हैं। हालांकि आम चुनाव में भी कांग्रेस ने किसानों की समस्याओं और युवाओं की बेरोजगारी का मुद्दा खूब उछाला था, लेकिन बात बन नहीं पाई थी। प्रियंका लगातार किसानों और नौजवानों की समस्याएं उठा भी रही हैं। हाल ही में प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठा चुकी प्रियंका प्रदेश के गन्ना किसानों को उनके बकाये का भुगतान नहीं मिल पाने के कारण लगातार योगी सरकार पर हमलावर होते हुए उन्हें चुनाव के समय किसानों से किए वायदे भी याद दिला रही हैं। प्रियंका के मिशन−2022 के एजेंडा में जिला इकाई टीम में ओबीसी और एससी समुदाय के नेताओं की सुनिश्चित हिस्सेदारी शामिल है। पार्टी की नजर राज्य में किसान नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्र नेताओं पर भी है। उन्हें कांग्रेस में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

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बहरहाल, प्रियंका को पता है कि सिर्फ कोरी बयानबाजी से सियासी हवा का रूख नहीं मोड़ा जा सकता है, इसलिए वह जमीनी हकीकत को समझ कर उसे भी मजबूत करने में लगी हैं। खासकर कांग्रेस संगठन की मजबूती पर प्रियंका ज्यादा जोर दे रही हैं। इसी क्रम में उन्होंने जिला स्तर की कमेटियों को भंग करने के साथ ही राज्य में पार्टी में बड़े बदलाव की रूपरेखा तैयार की है। 2019 लोकसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस सिर्फ एक सीट जीत पाई थी, जो उसका अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। वोट प्रतिशत के मामले में भी कांग्रेस की स्थिति काफी दयनीय है।

चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 49.6 प्रतिशत, बीएसपी को 19.26 प्रतिशत, एसपी को 17.96 प्रतिशत और आरएलडी को 1.67 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस को 6.31 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। यदि बात 2014 के लोकसभा चुनावों की करें तो तब बीजेपी को 42.3 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। इस लिहाज से पार्टी ने इस बार अपने वोट शेयर में 7 फीसदी से ज्यादा का इजाफा किया है। वहीं एसपी−बीएसपी के साथ कांग्रेस का वोट शेयर पहले से घट गया है।

एसपी को पिछली बार 22.20, बीएसपी को 19.60 और कांग्रेस को 7.50 प्रतिशत वोट मिले थे। यानी एसपी को इस बार 4 फीसदी और कांग्रेस को 1 फीसदी से ज्यादा का नुकसान हुआ है। बीएसपी कुछ हद तक वोट बैंक बचाने में कामयाब रही लेकिन उसे भी प्वांइट 34 प्रतिशत का नुकसान झेलना पड़ा है। प्रियंका इन सब बातों और आंकड़ों से बेफिक्र होकर अपना काम कर रही हैं। वह यूपी कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए पुराने चेहरों की जगह युवाओं की तलाश कर रही हैं। उन्होंने कांग्रेस नेताओं को जिला कमेटियों के लिए 40 वर्ष या इससे कम के नेताओं की तलाश करने को कहा है। जिला कमेटी का गठन करते समय युवा जोश के अलावा सामाजिक समीकरण पर भी पूरा ध्यान दिया जाएगा। प्रियंका ने जिला कमेटी में दलित, ओबीसी और महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित करने का कहा है। प्रियंका ने कहा है कि जिला कमेटी के सदस्यों में सभी वर्गों के सदस्यों में से आधे से अधिक की आयु 40 वर्ष से कम होनी चाहिए। उन्होंने जिला कमेटियों में अधिक महिला सदस्यों को भी शामिल करने को कहा है। पार्टी में बड़े बदलाव की योजना के तहत इंडियन यूथ कांग्रेस जैसे पार्टी के प्रमुख संगठनों को मजबूत करने पर भी ध्यान दिया जाएगा। प्रियंका के समीक्षा बैठकें करने के दौरान कई नेताओं ने कहा था कि पहले कांग्रेस सरकारों में यूथ कांग्रेस का अधिक प्रतिनिधित्व होता था और किसी सार्वजनिक अभियान में उसे हमेशा शामिल किया जाता था।

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कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा का ध्यान उन 12 विधानसभा क्षेत्रों पर भी लगा हुआ है जहां जल्द ही उप−चुनाव होना है। इसमें से 11 विधानसभा सीटें इस क्षेत्र के विधायकों के सांसद बन जाने से खाली हुईं थीं। प्रियंका ने उप−चुनाव की तैयारियों पर नजर रखने के लिए दो सदस्यों की टीमें बनाई हैं, इन सीटों पर आगामी कुछ महीनों में चुनाव होना है। प्रियंका के जुलाई में उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के दौरे की योजना भी बनाई जा रही है। वह हर जिले में संगठन की स्थिति की समीक्षा और पार्टी कार्यकर्ताओं से विचार−विमर्श करेंगी। इसका मकसद अधिक लोगों तक पहुंचना है ताकि कांग्रेस संगठन में सुधार के सुझाव मिलें। ऐसा लगता है कि यूपी की पूरी जिम्मेदारी प्रियंका के कंधों पर डाल दी गई है।

गौरतलब है कि आम चुनाव के समय से ही राहुल गांधी यूपी से दूरी बनाकर चल रहे थे। उन्होंने यहां की जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रियंका वाड्रा पर डाल दी थी। राहुल गांधी प्रदेश से इतनी दूरी बनाकर चल रहे हैं कि वह अमेठी में हार के बाद यहां के उन मतदाताओं को धन्यवाद देने भी नहीं पहुंचे हैं जिन्होंने उनको वोट किया था, जबकि शिष्टाचारवश ऐसा करना जरूरी होता है। प्रियंका वाड्रा 2022 तक कांग्रेस की जमीन मजबूत कर देना चाहती हैं ताकि व योगी सरकार को सीधे चुनौती दे सकें। प्रियंका की मंशा है कि 2022 में कांग्रेस की सरकार भले न बने, लेकिन उसे इस स्थिति में तो पहुंचाया ही जा सकता है कि वह सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सके। प्रियंका आहिस्ता−आहिस्ता अपनी स्थिति मजबूत करके आगे बढ़ने का सपना देख रही हैं।

-अजय कुमार

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