पंजाब चुनावों में क्या हैं बड़े मुद्दे ? चन्नी-सिद्धू-अमरिंदर-सुखबीर पर क्या भारी पड़ेगी AAP ?

punjab assembly elections 2022

अरविंद केजरीवाल के ऐलानों को देखते हुए अब और दल भी मुफ्त वाले कई वादे कर रहे हैं। पंजाब की जनता क्या वास्तविक मुद्दों को दरकिनार कर नेताओं की ओर से फैलाये जा रहे इस भ्रमजाल में फँसेगी यह देखने वाली बात होगी।

कुछ समय पहले तक पंजाब में कांग्रेस के लिए एकतरफा माहौल बना हुआ था लेकिन विधानसभा चुनावों से छह महीने पहले के घटनाक्रम ने इस एकतरफा माहौल को चतुष्कोणीय मुकाबले में परिवर्तित कर दिया है। इस समय पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए मैदान पूरी तरह सज चुका है बस अब इंतजार इस बात का है कि किस राजनीतिक दल या गठबंधन की ओर से कौन-कौन से चुनावी योद्धा मैदान में उतरेंगे। पंजाब में वैसे तो पिछले कुछ समय से कभी कांग्रेस और कभी शिरोमणि अकाली दल और भाजपा गठबंधन का शासन रहा है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी कोई चूक नहीं कर रही है और उसका एकमात्र लक्ष्य पंजाब की सत्ता को हासिल करना है। पंजाब में एक ही चरण में चुनाव होते हैं और इस बार भी ऐसा ही होने की उम्मीद है। राज्य की 117 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनावों का ऐलान अगले साल जनवरी के पहले सप्ताह में ही होने की उम्मीद जताई जा रही है इसीलिए विभिन्न दलों के बड़े नेताओं के कार्यक्रम यहां लगातार आयोजित किये जा रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: किसान आंदोलन तो खत्म हो गया अब कैसे नेतागिरी करेंगे राकेश टिकैत ?

इस समय पंजाब में क्या चुनावी माहौल है?

जहां तक राजनीतिक दलों की वर्तमान स्थिति की बात है तो सत्तारुढ़ कांग्रेस के समक्ष चुनौती सिर्फ विपक्षी दल ही नहीं पेश कर रहे हैं बल्कि उसे अपने ही लोगों की चुनौती भी झेलनी पड़ रही है। चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री तो बन गये लेकिन पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू उनकी नाक में दम किये हुए हैं और जब-तब बयान देकर उनके लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं। दूसरी ओर पंजाब में सरकार और कांग्रेस का बरसों तक नेतृत्व करने के बाद अब कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पार्टी बना चुके हैं। अमरिंदर की पार्टी और भाजपा का गठबंधन राष्ट्रवाद के मुद्दे पर पंजाब में राजनीतिक माहौल गरमायेगा। शिरोमणि अकाली दल और बसपा को उम्मीद है कि उनकी सोशल इंजीनियरिंग के चलते इस बार उनकी सरकार बनेगी। विधानसभा चुनावों में इन सबके अलावा कई नवगठित मोर्चे भी मैदान में रहेंगे।

पंजाब चुनावों के प्रमुख मुद्दे क्या हैं?

जहां तक पंजाब विधानसभा चुनावों में उठने वाले मुद्दों की बात है तो उनमें विकास, रोजगार, कृषि क्षेत्र के लिए सहूलियतें, महंगाई, भ्रष्टाचार, धर्मग्रंथ बेअदबी मामले में अब तक कार्रवाई नहीं होना, ड्रग्स का फैलता जाल, सीमापार से उत्पन्न किये जाने वाले खतरे, बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों में नियमित होने की प्रतीक्षा कर रहे कर्मचारियों की मांगें, महंगी होती शिक्षा, बिजली और स्वास्थ्य सेवाएं आदि प्रमुख मुद्दे रहेंगे। इसके अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की ओर से जिन मुफ्त सौगातों के वादे किये जा रहे हैं क्या जनता उन पर मोहित होती है यह देखने वाली बात होगी। केजरीवाल के ऐलानों को देखते हुए अब और दल भी मुफ्त वाले कई वादे कर रहे हैं। पंजाब की जनता क्या वास्तविक मुद्दों को दरकिनार कर नेताओं की ओर से फैलाये जा रहे इस भ्रमजाल में फँसेगी यह देखने वाली बात होगी। इसके अलावा पंजाब में जैसे राजनीतिक दल अपनी तैयारी कर रहे हैं वैसे ही विभिन्न मजदूर संगठन, ट्रक ऑपरेटर्स संघ, कर्मचारी संघ और अन्य यूनियनें भी तैयारी के साथ मैदान में उतर चुकी हैं। यह लोग अपनी-अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करने लगे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यही वह समय है जब उनकी बात सुनी जा सकती है।

इसे भी पढ़ें: ममता बनर्जी के प्रयासों को हल्के में लेना कांग्रेस को भारी पड़ सकता है

चुनाव के किसके लिए क्या मायने?

पंजाब विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की बात करें तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा पार्टी के अन्य बड़े राष्ट्रीय और क्षेत्रीय नेता जमकर चुनाव प्रचार करेंगे क्योंकि कांग्रेस के लिए बात सिर्फ अपनी सत्ता बचाये रखने भर की नहीं है। पंजाब चुनावों को जीतकर कांग्रेस असंतुष्ट नेताओं को यह भी संदेश देना चाहेगी कि उनके बिना भी पार्टी चल सकती है और चुनाव जीत सकती है। दूसरी ओर कैप्टन अमरिंदर सिंह भी सत्ता वापस पाने के लिए जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं और उनका प्रयास यह संदेश देने का होगा कि पंजाब में कांग्रेस अगर जीतती थी तो सिर्फ उन्हीं की बदौलत जीतती थी। भाजपा शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन टूटने के बाद अब पहली बार किसी और नये साथ के साथ चुनाव लड़ रही है। पार्टी का प्रयास रहेगा कि उसे 23 से ज्यादा सीटें चुनाव लड़ने के लिए मिलें। उल्लेखनीय है कि अकाली-भाजपा गठबंधन के दौरान भाजपा के हिस्से में सिर्फ 23 सीटें ही चुनाव लड़ने के लिए आती थीं। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी आदि चुनावी मोर्चा संभालेंगे तो कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ संयुक्त रैलियों के आयोजन पर भी चर्चा की जा रही है। भाजपा को उम्मीद है कि कृषि कानून वापस होने के बाद उसके खिलाफ नाराजगी नहीं रही है इसलिए चुनाव परिणाम इस मायने में दिलचस्प होंगे कि कृषि कानून वापस लेने का भाजपा को कितना लाभ हुआ।

केजरीवाल को बड़ा मुद्दा अभी स्पष्ट करना है

दूसरी ओर अगर आम आदमी पार्टी की बात करें तो उसके राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जल्द ही पंजाब में डेरा डालने वाले हैं वह अपने दिल्ली मॉडल की जिन खूबियों की यहां चर्चा कर रहे हैं उनसे जनता कुछ हद तक तो प्रभावित नजर आ रही है लेकिन सबसे बड़ा सवाल लोगों के मन में यही है कि पंजाब में आप को सत्ता दी तो उसका नेतृत्व कौन करेगा। मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में भले भगवंत मान अपने आपको मान रहे हों लेकिन जनता उन्हें इस पद लायक नहीं मानती है। ऐसे में आगे आने वाले दिनों में क्या केजरीवाल नेतृत्व के मुद्दे पर लोगों के सवाल का सही जवाब दे पाते हैं यह देखने वाली बात होगी।

क्या बिखर जायेगा शिरोमणि अकाली दल?

पंजाब में अगर इस बार शिरोमणि अकाली दल की सरकार नहीं बनी तो सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ पार्टी में बगावत बढ़ सकती है। प्रकाश सिंह बादल की ओर से पार्टी की कमान अपने बेटे को सौंपे जाने के बाद से पार्टी के कई वरिष्ठ नेता नाराज चल रहे हैं। उनका कहना है कि शिरोमणि अकाली दल को लोकतांत्रिक तरीके से नहीं चलाया जा रहा। कई वरिष्ठ नेता तो नाराजगी के चलते पार्टी से अलग होकर अपना नया गुट बना चुके हैं। यदि विधानसभा चुनावों में हार होती है तो अकाली दल के कई गुट हो सकते हैं या फिर जरूरत पड़ने पर अकाली दल वापस भाजपा के साथ भी जा सकता है।

बहरहाल, पंजाब चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या जो आने वाली है वह है टिकटों के वितरण की। जिस नेता को टिकट नहीं मिलेगा वह ऐन चुनावों के समय पाला बदलेगा। इसलिए पंजाब के बारे में कुछ स्पष्ट आकलन प्रस्तुत करने से पहले यह देखना होगा कि कौन-कौन से चुनावी महारथी किस-किस दल की ओर से चुनाव मैदान में उतरते हैं।

-नीरज कुमार दुबे

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़