भारत में पिचों को लेकर हाय-तौबा समझ से परे : Kasprowicz

Kasprowicz
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भारत में 29 साल के अंतराल पर आस्ट्रेलिया की पहली जीत (1998) के शिल्पकारों में रहे कास्प्रोविच ने ‘द ऐज’ से कहा ,‘‘ मुझे पिच को लेकर यह हाय-तौबा समझमें नहीं आ रही। ये पारंपरिक भारतीय विकेट हैं और पता नहीं इन्हें लेकर इतना हल्ला क्यो हो रहा है।’’

पूर्व तेज गेंदबाज माइकल कास्प्रोविच का मानना है कि बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के दौरान भारत में पिचो को लेकर मची हाय-तौबा (हाइप)समझ से परे है क्योंकि वे विशुद्ध भारतीय विकेट हैं और आस्ट्रेलिया को उनके अनुरूप ढलना होगा। भारत में 29 साल के अंतराल पर आस्ट्रेलिया की पहली जीत (1998) के शिल्पकारों में रहे कास्प्रोविच ने ‘द ऐज’ से कहा ,‘‘ मुझे पिच को लेकर यह हाय-तौबा समझमें नहीं आ रही। ये पारंपरिक भारतीय विकेट हैं और पता नहीं इन्हें लेकर इतना हल्ला क्यो हो रहा है।’’

भारत में इकलौती टेस्ट श्रृंखला जीतने वाली ऑस्ट्रेलिया की टीम (2004) का हिस्सा रहे इस पूर्व खिलाड़ी कहा ,‘‘ इंदौर टेस्ट में विकेट ज्यादा टर्न ले रहा था लेकिन मैच सुबह जल्दी शुरू होने से शायद थोड़ी नमी रही हो। दिन में बाकी समय उतना टर्न नहीं मिल रहा था।’’ भारत ने नागपुर और दिल्ली टेस्ट जीते लेकिन इंदौर में आस्ट्रेलिया ने जीत दर्ज की। पहले दो टेस्ट की पिचों को आईसीसी ने ‘औसत ’ करार दिया जबकि इंदौर की पिच को ‘खराब’ कहा। पूर्व कप्तान मार्क टेलर और मार्क वॉ समेत कई पूर्व खिलाड़ियों ने इंदौर की पिच की निंदा की। कास्प्रोविच ने कहा ,‘‘ मुझे 1998 का बेंगलुरू टेस्ट याद है जहां सूखी पिच दिख रही थी। उस पर कोई घास नहीं थी लेकिन दरारें थी। आपको हालात से सामंजस्य बिठाना होता है। आखिर यह टेस्ट क्रिकेट है।’’ चौथा टेस्ट नौ मार्च से अहमदाबाद में खेला जायेगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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