लीड लेस पेसमेकर क्या है? इसके क्या-क्या फायदे हैं?

Lead Less Pacemaker
Prabhasakshi
कमलेश पांडेय । May 26 2022 4:54PM

चिकित्सकों का कहना है कि लीड लेस पेसमेकर इम्प्लांटेशन तकनीक चिकित्सा बाजार में अपेक्षाकृत नई तकनीक है, जिसे चार साल पहले साल 2018 में ही उतारा गया था। बावजूद इसके हमारे देश में इसे लगाने के केवल कुछ मामले ही अभी तक सामने आए हैं।

ऐसे मरीज जिनमें हार्ट की काम करने की क्षमता कम होने का पता चलता है, और मरीज के शरीर का एक हिस्सा पैरालाइज होने या अन्य कारणों के चलते रूटीन पेसमेकर लगाना लगभग मुश्किल होता है, ऐसे में लीडलेस पेसमेकर लगाने का निर्णय लिया जाता है। साथ ही पेसमेकर से एलर्जी वाले रोगी में भी लीडलेस पेसमेकर लगाया जाता है जिसे साधारण पेसमेकर से एलर्जी की दुर्लभ बीमारी होती है। ऐसे रोगी के ह्रदय में साधारण पेसमेकर लगाने पर उनमें खराबी आ जाती है और उसको बदलना पड़ता है।

चिकित्सक बताते हैं कि लीड लेस पेसमेकर हृदय में इम्प्लांट किया जाने वाला एक ऐसा पेसमेकर है जो बिना वायर का होता है और बिना चीरफाड़ किये पैर की नस के माध्यम से भी हार्ट तक पहुंचाया जा सकता है। वैसे तो बाजार में इस तकनीक की लॉन्चिंग वर्ष 2018 में ही हो चुकी है, लेकिन अभी तक मरीजों का रुझान इस ओर ज्यादा नहीं बढ़ा है। यही वजह है कि दिल्ली एनसीआर के एक अहम शहर गाजियाबाद में इस तकनीक को पहुंचने में लगभग 4 वर्ष लग गए।

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विशेषज्ञों के मुताबिक, लीड लेस पेसमेकर इसलिए भी खास है क्योंकि इसको इम्प्लांट किये जाने के दौरान हार्ट को चीरना नहीं पड़ता है, जिसके चलते मरीज को महज दो दिन में ही छुट्टी दे दी जाती है। वहीं, पैर की नस के माध्यम से लीड लेस पेसमेकर लगाये जाने से किसी भी तरह के इन्फेक्शन का खतरा बिल्कुल कम या फिर ना के बराबर होता है। 

हाल ही में यशोदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, कौशाम्बी, गाजियाबाद में एक स्थानीय मरीज के हृदय में बिना वायर वाला पेसमेकर लगाया गया है, जो चिकित्सा जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस अस्पताल में चिरंजीव विहार, गाजियाबाद निवासी 65 वर्षीय एक मरीज के हृदय में बिना वायर वाला यानी लीडलेस पेसमेकर सफलतापूर्वक लगाया गया है, जिसे चिकित्सा जगत की भाषा में लीड लेस पेसमेकर इम्प्लांटेशन भी कहा जाता है। 

बताया गया है कि इसे हृदय में प्रत्यारोपित करने में महज 20 मिनट का समय लग और मरीज को महज 3 दिन बाद ही हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गयी। लीड लेस पेसमेकर इम्प्लांटेशन जैसी इस अत्याधुनिक तकनीक में, इम्प्लांटेशन के दौरान 65 वर्षीय मरीज के हार्ट में किसी भी प्रकार का चीरा नहीं लगाया गया और पैर की नस के जरिये ही पेसमेकर लगाया गया, जो चिकित्सा जगत के लिए किसी क्रांति से कम नहीं है। 

इस बारे में पूछे जाने पर हॉस्पिटल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. असित खन्ना ने बताया कि सम्बन्धित मरीज लीड लेस पेसमेकर लगाए जाने के बाद भी पूरी तरह से स्वस्थ है। उन्होंने इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि यह प्रक्रिया एंजियोग्राफी की तरह की जाती है। जिसके तहत मरीज की जांघ के पास एक छोटा छेद किया जाता है, जिसके माध्यम से एक लीडलेस पेसमेकर शरीर में प्रवेश कराया जाता है। फिर उसे हृदय में कैथलैब में मशीन में देखते हुए हार्ट में ही प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में जरा भी रक्तस्राव नहीं होता है, जिसके चलते इस तकनीक को अपनाने वालों की संख्या में इजाफा होना तय है।

इस बारे में गहन जानकारी साझा करते हुए उन्होंने बताया कि पारंपरिक कृत्रिम पेसमेकर (सीपीएम) से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए ही अब लीडलेस पेसमेकर लगाए जाते हैं। क्योंकि लीडलेस पेसमेकर पारंपरिक पेसमेकर से 90 प्रतिशत छोटा होता है। वस्तुतः यह एक छोटा उपकरण है जिसे सीधे हृदय में भेजा जाता है। इसके लिए सम्बन्धित मरीज की छाती में चीरा लगाने की भी जरूरत नहीं होती है।

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चिकित्सकों का कहना है कि लीड लेस पेसमेकर इम्प्लांटेशन तकनीक चिकित्सा बाजार में अपेक्षाकृत नई तकनीक है, जिसे चार साल पहले साल 2018 में ही उतारा गया था। बावजूद इसके हमारे देश में इसे लगाने के केवल कुछ मामले ही अभी तक सामने आए हैं। वहीं, डॉक्टरों का दावा है कि गाजियाबाद में यह पहला सफल प्रयास है। गौरतलब है कि अभी तक मरीजों को इस तकनीक से इलाज के लिए गाजियाबाद से बाहर जाना पड़ता था। 

लीडलेस पेसमेकर के फायदे बताते हुए प्रख्यात डॉ असित खन्ना ने कहा कि ऐसे मरीज जिनमें हार्ट की काम करने की क्षमता कम होने का पता चलता है, और मरीज के शरीर का एक हिस्सा पैरालाइज होने या अन्य कारणों के चलते रूटीन पेसमेकर लगाना लगभग मुश्किल होता है, ऐसे में लीडलेस पेसमेकर लगाने का निर्णय लिया जाता है। साथ ही पेसमेकर से एलर्जी वाले रोगी में भी लीडलेस पेसमेकर लगाया जाता है जिसे साधारण पेसमेकर से एलर्जी की दुर्लभ बीमारी होती है। ऐसे रोगी के हृदय में साधारण पेसमेकर लगाने पर उनमें खराबी आ जाती है और उसको बदलना पड़ता है।

बता दें कि लीडलेस पेसमेकर एक नई तकनीकी का पेसमेकर है, जिससे एलर्जी भी नहीं होती है। पेसमेकर से एलर्जी होना एक दुर्लभ घटना है, जिससे हल्की सूजन से लेकर गंभीर सूजन तक हो सकती है। इसलिए ये समस्या हृदय रोगियों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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