Sawan Vinayak Chaturthi 2025: सावन विनायक चतुर्थी व्रत से होते हैं सभी विघ्न होते है दूर, आती है सुख-समृद्धि

सावन का महीना बेहद पावन होता है। यह महीना देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस महीने में भगवान शिव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही सावन सोमवार का व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही कई अन्य प्रमुख पर्व सावन महीने में मनाए जाते हैं।
हिंदू धर्म में सावन मास की विनायक चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व है। सावन में भगवान गणेश की पूजा से व्यक्ति के जीवन में आ रहे सभी विध्न दूर हो जाते हैं। इस बार सावन का सोमवार और सावन विनायक चतुर्थी व्रत एक साथ पड़ रहा है, इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव और भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा की जाती है तो आइए हम आपको सावन विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें सावन विनायक चतुर्थी के बारे में
सावन का महीना बेहद पावन होता है। यह महीना देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस महीने में भगवान शिव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही सावन सोमवार का व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही कई अन्य प्रमुख पर्व सावन महीने में मनाए जाते हैं। वैसे तो हर महीने में विनायक चतुर्थी मनाई जाती है जिस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना होती है। लेकिन सावन विनायक चतुर्थी व्रत करने से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है। सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के अगले दिन विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही विशेष काम में सफलता और मनचाही मुराद पाने के लिए साधक व्रत रखते हैं। पंडितों के अनुसार सावन विनायक चतुर्थी व्रत से हर तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है और यह उपवास करने से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
इसे भी पढ़ें: Hariyali Teej 2025: नारी की आस्था, प्रेम और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम हरियाली तीज
सावन विनायक चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त
हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। इस साल 24 जुलाई को हरियाली अमावस्या है। वहीं, हरियाली अमावस्या या सावन अमावस्या के चार दिन बाद विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, 27 जुलाई को देर रात 10 बजकर 41 मिनट पर सावन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की शुरुआत होगी। वहीं, 28 जुलाई को देर रात 11 बजकर 24 मिनट पर सावन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 28 जुलाई को विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी।
सावन विनायक चतुर्थी व्रत का शुभ योग
सावन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में शिव परिवार की पूजा की जाएगी। इस शुभ अवसर पर परिघ, हर्षण और रवि योग का संयोग बन रहा है। हर्षण योग का संयोग रात भर है। वहीं, रवि योग शाम 05 बजकर 35 मिनट तक है। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
सावन विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व
सावन माह में पड़ने वाली विनायक चतुर्थी का अपना एक विशेष महत्व है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं, व्रत रखते हैं और उनसे सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। पंडितों के अनुसार सावन विनायक चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विघ्न दूर होते हैं। अगर आप इस दौरान कोई शुभ काम करने की सोच रहे हैं तो विनायक चतुर्थी के दिन किया जा सकता है। सनातन धर्म में विनायक चतुर्दशी का अपना एक अलग महत्व है। चूंकि अभी सावन का महीना चल रहा है, जो कि भगवान शिव को समर्पित है, ऐसे में इस माह में पड़ने वाली विनायक चतुर्थी बहुत ही ज्यादा लाभदायक होती है। इस दिन व्रत, त्योहार रखने से गजानन के साथ-साथ माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ का भी विशेष आशीर्वाद उनके भक्तों पर बना रहता है।
सावन विनायक व्रत में चढ़ाएं ये भोग, मिलेगा लाभ
पंडितों के अनुसार इस दिन बप्पा को भोग के तौर पर मोदक, बेसन के लड्डू या फिर केला चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही सिंदूर, लाल फूल, नारियल, सुपारी, कलवा भी अर्पित करें, जो कि काफी ज्यादा शुभ माना जाता है। उनकी पूजा करते वक्त 21 दूर्वा अर्पित करें। पूजा के दौरान आप “श्री गणेशाय नमः” मंत्र का भी जाप कर सकते हैं।
सावन विनायक चतुर्था व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा भी है खास
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के तट पर चौपड़ खेल रहे थे। खेल में हार-जीत का फैसला करने के लिए, भगवान शिव ने एक बालक को बनाया और उसमें प्राण डाल दिए। बालक को निर्णायक बनाया गया, लेकिन उसने हर बार शिवजी को विजयी घोषित किया, जबकि माता पार्वती तीन बार जीती थीं। इससे माता पार्वती क्रोधित हो गईं और उन्होंने बालक को लंगड़ा होने का श्राप दे दिया। बालक ने अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी, लेकिन माता पार्वती ने कहा कि श्राप वापस नहीं लिया जा सकता, लेकिन वह विनायक चतुर्थी का व्रत करके और नाग कन्याओं से विधि जानकर इस श्राप से मुक्ति पा सकता है। बालक ने माता पार्वती के कहे अनुसार किया, और विनायक चतुर्थी का व्रत किया, जिससे गणेश जी प्रसन्न हुए और उसे श्राप से मुक्ति मिल गई। यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है।
सावन विनायक चतुर्थी व्रत पर भगवान गणेश को ऐसे करें प्रसन्न
पंडितों के अनुसार इस दिन बड़ों का अनादर या अपमान गलती से भी नहीं करना चाहिए। नकारात्मक विचारों से दूर रहे। तामसिक भोजन, मदिरा आदि का सेवन न करें। क्रोध पर संयम रखें, शांत दिमाग से पूजा पाठ करें। आप इस दिन महादेव और माता पार्वती की भी पूजा कर सकते हैं, जिससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
- प्रज्ञा पाण्डेय
अन्य न्यूज़












