Manikarnika Snan 2025: शिव-विष्णु मिलन का प्रतीक मणिकर्णिका स्नान 04 नवंबर को, पापों से मुक्ति दिलाता है यह घाट

Manikarnika Snan 2025
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हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुदर्शी मनाई जाती है। यह दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु और शिव जी के मिलन का प्रतीक भी माना जाता है। इस शुभ मौके पर मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने की परंपरा है।

हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुदर्शी मनाई जाती है। यह दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु और शिव जी के मिलन का प्रतीक भी माना जाता है। इस शुभ मौके पर मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने की परंपरा है। इस बार 04 नवंबर 2025 को मणिकर्णिका स्नान किया जा रहा है। इस दिन लाखों श्रद्धालु वाराणसी में गंगाजी में डुबकी लगाते हैं और मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं। तो आइए जानते हैं मणिकर्णिका स्नान की तिथि, मुहूर्त, महत्व और पौराणिक कथा के बारे में...

कब है मणिकर्णिका स्नान

इस साल मणिकर्णिका स्नान 04 नवंबर 2025 के दिन किया जा रहा है। इस दिन वैकुंठ चतुदर्शी भी मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु ने काशी के मणिकर्णिका घाट पर स्नान किया था और फिर भगवान शिव की विधिविधान से पूजा-अर्चना की थी। जिसके फलस्वरूप भगवान शिव ने भगवान विष्णु को आशीर्वाद दिया था कि जो भी इस घाट पर स्नान करेगा, वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाएगा और मोक्ष की प्राप्ति होगी।

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पौराणिक मान्यता

मणिकर्णिका घाट का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व होता है। पौराणिक मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव और मां पार्वती ने ध्यान किया था और भगवान विष्णु के पद चिन्ह भी स्थित हैं। इसको मोक्षदायिनी घाट भी कहा जाता है। क्योंकि यहां पर अंतिम संस्कार करने और स्नान करने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस घाट को मणिकर्णिका इसलिए भी कहा जाता है कि क्योंकि यहां पर मां पार्वती का कुंडल गिरा था।

महत्व

बता दें कि मणिकर्णिका स्नान बेहद पवित्र और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। कहा जाता है कि यहां पर स्नान करने से जातक को भगवान शिव और मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे जातक के जीवन सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। वहीं मणिकर्णिका स्नान करने से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह स्नान के जातक के लिए मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग माना जाता है और यह बैकुंठ चतुर्दशी पर इस स्नान से पुण्यफल प्राप्त होता है।

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