Til Dwadashi 2024: तिल द्वादशी व्रत से प्राप्त होती है सुख समृद्धि

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तिल द्वादशी व्रत करने से हर तरह का सुख और वैभव मिलता है। ये व्रत कलियुग के सभी पापों का नाश करने वाला व्रत माना गया है। पद्म पुराण में बताया गया है कि इस व्रत में ब्राह्मण को तिलों का दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ, करने से अश्वमेध यज्ञ करने जितना फल मिलता है।

आज तिल द्वादशी व्रत है, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है, तो आइए हम आपको तिल द्वादशी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं। 

जानें तिल द्वादशी के बारे में  

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को तिल द्वादशी के नाम से जाना जाता है इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में हमेशा सुख और समृद्धि बनी रहती है। इस साल तिल द्वादशी 07 फरवरी को मनाई जाएगी। षटतिला एकादशी के अगले दिन तिल द्वादशी व्रत किया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान किया जाता है। ये न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं। इसके बाद तिल के जल से भगवान विष्णु का अभिषेक किया जाता है और अन्य पूजन सामग्री के साथ तिल भी चढ़ाए जाते हैं। पूजा के बाद तिल का ही नैवेद्य लगाया जाता है और उसका प्रसाद लिया जाता है।

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तिल द्वादशी व्रत का महत्व 

तिल द्वादशी व्रत करने से हर तरह का सुख और वैभव मिलता है। ये व्रत कलियुग के सभी पापों का नाश करने वाला व्रत माना गया है। पद्म पुराण में बताया गया है कि इस व्रत में ब्राह्मण को तिलों का दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ, करने से अश्वमेध यज्ञ करने जितना फल मिलता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ मास के महत्व वर्णन किया गया है। पंडितों का मानना है कि भगवान श्री हरि विष्णु को माघ महीने में स्नान करने मात्र से ही काफी प्रसन्नता होती है अतः व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, इसलिए हमारे सनातन धर्म में माघ माह का स्नान बहुत ही विशेष माना गया है। माघ माह में पढ़ने वाले सभी तिथियां और व्रत का महात्म्य वर्णन देखने को मिलता है। माघ मास की द्वादशी तिथि को उपवास करके भगवान की पूजा करने से व्यक्ति को अपने जीवन में राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। वैसे तो हमारे शास्त्रों में माघ मास की प्रत्येक तिथि को एक पर भी तरह ही मनाया जाता है लेकिन एकादशी और द्वादशी ऐसी 2 तिथि हैं जो भगवान विष्णु को समर्पित हैं। 

तिल द्वादशी का मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार तिल द्वादशी तिथि का प्रारंभ 06 फरवरी दिन मंगलवार शाम को 04 बजकर 07 मिनिट पर प्रारंभ हो रहा है जो अगले दिन 07 फरवरी दिन बुधवार दोपहर 02 बजकर 02  मिनट तक है। हमारी सनातन धर्म में किसी भी त्यौहार को उड़िया तिथि के अनुसार मनाया जाता है इसलिए तिल द्वादशी 7 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी।

तिल द्वादशी पर ये करें, मिलेगा लाभ

तिल द्वादशी को भगवान शिव और विष्णु जी दोनों की एक साथ पूजा करने का दिन माना जाता है। इस दिन तिल और गुड़ से बने पकवान का ही विष्णु जी और शंकर भगवान को भोग लगाएं। तिल द्वादशी माघ मास में पड़ती है इसलिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान जरूर करें। तिल द्वादशी के दिन व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा दान पुण्य करना चाहिए। इस दिन आप चाहे तो ठंडो के गर्म कपड़ों का भी दान कर सकते हैं। यदि कोई महिला द्वादशी तिथि का व्रत करती है तो वह व्रत का पालन जरूर करें।

तिल द्वादशी के दिन इन कामों से करें परहेज

तिल द्वादशी के दिन कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें करने से हर व्यक्ति को बचाना चाहिए। इस दिन किसी भी व्यक्ति को बिना स्नान किए कुछ नहीं खाना चाहिए। तिल द्वादशी के दिन किसी भी भगवान के बीच मतभेद की नजर से पूजा नहीं करना चाहिए। इस दिन जीव जंतुओं को भी परेशान नहीं करना चाहिए। तिल द्वादशी का बहुत ही महत्व माना गया है इसलिए आप तामसिक सेवन से बचें। द्वादशी तिथि के दिन भूल कर भी मदिरा सेवन नहीं करना चाहिए। द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु की बुराई नहीं करना चाहिए।

तिल द्वादशी के दिन ऐसे करें पूजा 

वैसे तो द्वादशी तिथि को किसी प्रकार की विशेष पूजा नहीं होती आप जो भी पूजा करते हैं, अपने दिनचर्या में वही पूजा आप द्वादशी तिथि को भी कर सकते हैं लेकिन विशेष पूजा होगी लाभदायी। सर्वप्रथम आपको सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए। अब आप अपने दैनिक नित्य कार्यों से निवृत हुए और स्नान करें। यदि आपके आसपास पवित्र नदी है तो आप वहां भी स्नान कर सकते हैं। अब आप अपने पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर लें। अब आप भगवान विष्णु के चित्र को साफ स्थान पर स्थापित करें। अब आप अपनी दैनिक पूजा को विधि पूर्वक करें। द्वादशी तिथि के दिन आप तिल, गुड से बने व्यंजनों का ही भोग लगाएं। अब आप चाहे तो वह प्रसाद अपने सभी घर के सदस्यों में बांट कर खा सकते हैं।

भगवान विष्णु को तिल का नैवेद्य लगाएं

द्वादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले तिल मिले पानी से नहाने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा से पहले व्रत और दान करने का संकल्प लें। फिर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए पंचामृत और शुद्ध जल से विष्णु भगवान की मूर्ति का अभिषेक करें। इसके बाद फूल और तुलसी पत्र फिर पूजा सामग्री चढ़ाएं। पूजा के बाद तिल का नैवेद्य लगाकर प्रसाद लें और बांट दें। इस तरह पूजा करने से कई गुना पुण्य फल मिलता है और जाने-अनजाने हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।

तिल द्वादशी पर शिव मंदिर में लगाएं तिल के तेल का दीपक

शिवजी मंदिर जाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र बोलते हुए शिवलिंग पर जल और दूध से अभिषेक करें। फिर बिल्व पत्र और फूल चढ़ाएं। इसके बाद काले तिल चढ़ाएं। इसके बाद शिव मूर्ति या शिवलिंग के नजदीक तिल के तेल का दीपक लगाएं। शिव पुराण का कहना है कि ऐसा करने से हर तरह की परेशानियां और बीमारियां खत्म होने लगती है।

- प्रज्ञा पाण्डेय

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