Ask the Expert| जानें क्या है Brain Stroke: इस बीमारी के लक्षण से लेकर अटैक के बाद ऐसे रखें ख्याल, जानें सब कुछ

Brain Stroke
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रितिका कमठान । Apr 15 2024 5:27PM

ब्रेन स्ट्रोक एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो अचानक दिमाग को पूरी तरह से प्राप्त आवश्यक ऑक्सीजन और पोषण की आपूर्ति नहीं करती। ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी के कारण होता है। ब्रेन में आर्टरी ब्लड सप्लाई करती है, ऑक्सीजन भी आर्टरी सप्लाई करती है। जब दिमाग में ऑक्सिजन नहीं पहुंचा है तो ब्रेन स्ट्रोक होता है।

ब्रेन स्ट्रोक ऐसी बीमारी है जो मरीज को पूरी तरह से बेड रिडन तक कर सकती है। कई मामलों में मरीज इस गंभीर और घातक बीमारी से ऊबर जाते हैं मगर कई मामलों में ऐसा संभव नहीं हो पाता है। दिमाग की नसों में ब्लॉकेज होने के कारण आमतौर पर ये बीमारी होती है, जिसके कई बार लक्षण भी देखने को नहीं मिलते है।

ब्रेन स्ट्रोक क्या है?

ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी के कारण होता है। ब्रेन में आर्टरी ब्लड सप्लाई करती है, ऑक्सीजन भी आर्टरी सप्लाई करती है। जब दिमाग में ऑक्सिजन नहीं पहुंचा है तो ब्रेन स्ट्रोक होता है। अगर आर्ट्री में ब्लॉकेज होता है और ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती तो ब्रेन स्ट्रोक होता है। कई बार आर्ट्री में ब्लॉट रुक जाता है, ऐसी स्थिति में भी स्ट्रोक होता है। आर्ट्री में क्लॉट रुकता है तो ब्रेन स्ट्रोक हो जाता है। ये ऐसी बीमारी है जो शुगर, बीपी के मरीजों को होने का खतरा अधिक होता है। कई मामलों में एक तरफ का शरीर काम करना बंद कर देता है। बोलने की क्षमता खत्म हो जाती है।

स्ट्रोक के कई प्रकार भी होते है। एक स्ट्रोक में आर्ट्री में जो खून की सप्लाई हो रही है वो ब्लॉक हो जाए। शरीर में कहीं क्लॉट है और वो आर्ट्री के जरिए ब्रेन में पहुंच जाए। तीसरी तरीके में नंबनेस या विकनेस होती है जो ठीक हो जाते ही। हैमरेज होने पर मरीज बेहोश हो जाता है। बिना सीटी स्कैन के मरीज के बारे में जानना संभव नहीं है।

क्यों होता है ब्रेन स्ट्रोक

जिस मरीज में कोलेस्ट्रोल अधिक मात्रा में होगा उन्हें ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा बना रहता है। ब्लड प्रेशर के मरीज में ब्रेन स्ट्रोक अधिक हो सकता है। ब्लड प्रेशर बढ़ने से भी स्ट्रोक आता है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ा होने से ब्रेन की आर्ट्री में भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है, जिससे फंगस बनता है और ये क्लॉट बना देता है। कई मामलों में बेड रिडन पेशेंट है, जिसकी मूवमेंट नहीं होती है उनमें भी ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा अधिक होता है। 

दिख सकते हैं स्ट्रोक के लक्षण?

ब्रेन स्ट्रोक के मरीज का इलाज सफलता के साथ करने के लिए गोल्डन पीरियड के बारे में जानना जरुरी है। गोल्डन पीरियड के दौरान मरीज को इलाज मिलने पर उसे ठीक करना आसान है, क्योंकि इस दौरान डॉक्टर स्ट्रोक के प्रकार का पता लगातर इलाज शुरू कर सकते है। 

ऐसे समझें स्ट्रोक के लक्षण

बोलने और दूसरे क्या कह रहे हैं, इसे समझने में अचानक परेशानी होना। शरीर के एक तरफ चेहरे, हाथ या पैर का पक्षाघात या सुन्नता। एक या दोनों आँखों में देखने में समस्या, चलने में परेशानी और संतुलन खोना आदि ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण हो सकते है। हाथ से दवाब देखें। मरीज का जल्द से जल्द सीटी स्कैन करवाना चाहिए ताकि बीमारी का इलाज शुरु किया जा सके। आमतौर पर मरीज को इलाज के तहत फीजियोथैरेपी करवाई जाती है, जिससे मरीज स्वस्थ हो जाता है।

ऐसे करें मरीज की मदद

स्ट्रोक में मरीज की मदद तत्काल रूप से करना थोड़ा संभव नहीं होता है, जैसे की हार्ट अटैक के मामलों में सीपीआर देकर किया जा सकता है। जब तक मरीज का सीटी स्कैन ना करवाया जाए और स्थिति साफ ना हो, तब तक दवाइयां देना सही नहीं होता है। ऐसा करने पर दवाइयों का दुष्प्रभाव हो सकता है। ऐहतियात के तौर पर सबसे नजदीकी डॉक्टर से बीपी चैक करवाया जा सकता है। अगर ब्लड प्रेशर बढ़ा हो तो ये संभावना होती है कि मरीज को ब्रेन स्ट्रोक हुआ है। अगर बीपी नॉर्मल होता है तो स्ट्रिमिक स्ट्रोक हुआ होगा।

स्ट्रोक का शरीर पर होता है ये इम्पैक्ट

अगर मरीज गोल्डन पीरियड में ही अस्पताल पहुंचता है और उसका इलाज शुरू हो जाता है तो उसके जल्दी ठीक होने के चांस बढ़ जाते है। इसके बाद फिजियोथैरेपी करवाना काफी अधिक जरुरी होता है। स्ट्रोक के मरीजों को आमतौर पर आईसीयू में ऑब्जरवेशन में रखा जाता है, क्योंकि इस दौरान मरीज का ब्लड प्रेशर बढ़ा रहता है। ऐसे में मरीज के ब्लड प्रेशर को कम करने की कोशिश होती है ताकि स्ट्रोक दोबारा अटैक ना कर सके। ऑब्जरवेशन में रखकर मरीज को देखा जाता है कि उसका ऑपरेशन कब तक किया जा सकता है। मरीज को फिजियोथैरेपी जीवन में लंबे समय तक लेनी होती है। स्मोकिंग ना करें, ब्लड प्रेशर के मरीजों को ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखना जरुरी है। शराब का सेवन करने वाले मरीजों को इससे दूरी बनानी होगी। एक्सरसाइज करने पर भी काफी अधिक सेहत में सुधार होता है। 

क्या ये जैनेटिक है

सीधे तौर पर स्ट्रोक जैनेटिक बीमारी नहीं है। ब्लड प्रेशर या डायबिटीज परिवार में होना अहम कारण हो सकता है। स्ट्रोक की जांच शुरु में ही करने के लिए लिपिड प्रोफाइल, ब्लड प्रेशर की जांच करनी चाहिए ताकि इसके खतरे को भांप सकें।

स्ट्रोक शरीर पर डालता है असर

स्ट्रोक जिस भी तरफ होता है तो शरीर के उलटे तरफ असर करता है। बाएं तरफ स्ट्रोक हुआ है तो दाएं तरफ ये असर डालता है। शरीर में कई ऐसे लक्षण भी दिखते हैं, जिससे ये पहचाना जा सकता है कि मरीज को स्ट्रोक का खतरा हो सकता है। शरीर में नंबनेस हो रहा होता है। मरीज को अचानक सर में दर्द होता है और ये अचानक ठीक हो जाता है। अचानक सिर में झनझनाहट होती है और ठीक हो जाती है। कभी कभी अचानक शरीर में विकनेस होती है और ठीक होती है। ऐसी स्थिति में मरीज को सीटी स्कैन या एमआरआई करवाना चाहिए।

किस स्थिति में गंभीर होता है स्ट्रोक

मरीज को अगर नंबनेस, कंपकपाहट, सिरदर्द हो रहा है तो इलाज करवाना चाहिए। लक्षण दिखने पर जांच जरुर करवानी चाहिए। शुरुआती लक्षण दिखने पर ही इलाज शुरु करने पर लाभ होता है। अगर मरीज को स्ट्रोक हुआ है और वो गोल्डन पीरियड में अस्पताल नहीं पहुंच सका तो उसे इसके काफी नकारात्मक लक्षण देखने को मिल सकता है, जैसे शरीर पर पैरालाइज होना।

स्ट्रोक के बाद पैरालसिस होना कितना आम है

स्ट्रोक होने के कारण ही पैरालसिस होता है, जिसमें एक हिस्सा कम काम करता है या बिलकुल काम करना बंद कर देता है। स्ट्रोक के होने पर पैरालाइज होता है। 

अस्पताल में होगी थैरेपी?

स्ट्रोक होने के बाद फिजियोथैरेपी लेना जरुरी होता है। अगर मरीज के वाइट्ल्स ठीक है तो उसे डिस्चार्ज कर सकते है। घर पर रहकर दवाइयां और फिजियो लिया जा सकता है। 

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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